मुज़फ्फरनगर में मुस्लिम छात्र को दुसरे छात्रो से थप्पड़ मरवाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई सख्ती, दिए निर्देश, कहा ‘अगर छात्र को धर्म के आधार पर सजा दी जाती है, तो वहां ‘शिक्षा की कोई क्वालिटी नहीं हो सकती।’
तारिक़ आज़मी
डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मुज़फ़्फ़रनगर के एक स्कूल में टीचर के कहने पर एक छात्र को दूसरे बच्चों से थप्पड़ मरवाने के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार पर सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने कहा कि अगर छात्र को धर्म के आधार पर सजा दी जाती है, तो वहां ‘शिक्षा की कोई क्वालिटी नहीं हो सकती।’ अदालत आज महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी की इस सम्बन्ध में दाखिल उस पीआईएल पर सुनवाई कर रही थी, जिसमे उन्होंने इस मामले में ‘त्वरित कार्रवाई’ की मांग उठाई थी।
मिल रही जानकारी के मुताबिक जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस पंकज मिथल की पीठ ने पाया कि मामले के अंदर एफआईआर दर्ज करने में देरी हुई और पीड़ित पिता ने एफआईआर में जो धर्म विशेष के चलते मारपीट के आरोप लगाए थे उन्हें भी हटा दिया गया। कोर्ट ने आदेश दिया की मामले में जांच की निगरानी राज्य से नामांकित वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी से होनी चाहिए और उस अधिकारी से कोर्ट में रिपोर्ट जमा करने के लिए कहा गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के आदेश का पालन करने में राज्य सरकार से प्रथम दृष्टया गलती हुई, क्योंकि यह छात्रों के शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न और धर्म, जाति के आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव की इजाजत नहीं देता। कोर्ट ने कहा कि अगर किसी छात्र को एक विशेष समुदाय के आधार पर सजा देने की मांग की जाती है तो वहां बेहतर तरीके से शिक्षा नहीं दी जा सकती।
पीठ ने कहा कि जिस तरह से घटना हुई है उससे राज्य की अंतरात्मा को झकझोर देना चाहिए। कोर्ट ने कहा, ‘यह बहुत गंभीर मुद्दा है। शिक्षिका छात्रों से कह रही है कि अपने क्लासमेट को इसलिए मारो क्योंकि वह एक विशेष समुदाय से है। क्या ये है क्वालिटी एजुकेशन? अगर आरोप सही हैं, तो इससे राज्य की अंतरात्मा को झटका लगना चाहिए।’
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जस्टिस अभय एस ओका ने कहा कि अगर ये आरोप सही हैं तो यह एक टीचर की दी हुई सबसे खराब शारीरिक सजा हो सकती है, क्योंकि शिक्षक ने दूसरे छात्रों से पीड़ित छात्र को पीटने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा कि वह राज्य सरकार से यह उम्मीद नहीं रखता है कि अब बच्चे की शिक्षा उसी स्कूल से आगे करवाई जाए। पीठ ने राज्य सरकार से इस मामले में शामिल छात्रों की काउंसलिंग करवाने का भी आदेश दिया है।
बताते चले कि उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर में तृप्ता त्यागी नाम की एक शिक्षिका पर आरोप है कि उन्होंने अपनी क्लास में एक बच्चे को धर्म के आधार पर दूसरे बच्चों से थप्पड़ लगवाए थे। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल भी हुआ था। इस वीडियो के वायरल होने के बाद मामले में पुलिस ने मामूली धाराओं में शिकायत दर्ज किया था। जिसके बाद तुषार गाँधी ने याचिका दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से जल्द निस्तारण की मांग किया था।