महापर्व डाला छठ: अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को व्रती महिलाओ ने दिया अर्घ्य, गंगा नदी के किनारो पर उमड़ा आस्‍था

रेयाज़ अहमद

गाजीपुर: सूर्य षष्ठी के महापर्व डाला छठ शहरी और ग्रामीण अंचलो में अपरा श्रद्धा और धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। गंगा नदी के दोनो किनारो पर लाखो की संख्‍या में श्रद्धांलुओ का जनसैलाब बृहस्पितिवार की शाम को उमड़ा हुआ है। लोक आस्था का महापर्व छठ के आज तीसरे दिन डूबते हुए सूर्य अर्थात अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ ही व्रतियों का पहला चरण समाप्त हो गया।

व्रती अगले दिन सुबह उगते हुए सूर्य यानी उदयगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देंगी। गुरूवार को ग्रामीण अंचलो में बच्छलपुर, तिवारीपुर, कार्यपालक, बलुआ, सुल्तानपुर, गोपुर आदि क्षेत्रों में गंगा घाट पर हजारो श्रद्धालुओ ने महापर्व छठ के पूजन में भाग लिया। घाटो को बड़े ही आकर्षक ढंग से बिजली की सजावट की गयी थी, प्रशासन द्वारा सुरक्षा के चाकचौबंध व्‍यवस्‍था किये गये है।

गंगा नदी में नावो से लगातार नाविक, गोताखोर चक्रमण कर रहें थे और श्रद्धालुओ को सुरक्षा के प्रति सर्तक कर रहें थे, ग्रामीण अंचलो में भी स्‍थानीय पोखरो और जलाशयो में जाकर व्रती महिलाओ ने डूबते सूय को अर्घ्‍य देकर पूजन किया। शाम को व्रती बांस से बने दउरा में ठेकुआ, ईख, फल समेत अन्य प्रसाद लेकर नदी, तालाब या अन्य जलाशयों में जाकर शाम के समय डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देती हैं।

केवल छठ में ही अस्ताचलगामी यानी डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का प्रावधान है। ऐसी मान्यता है कि सायंकाल में सूर्यदेव और उनकी पत्नी देवी प्रत्युषा की भी उपासना की जाती है। जल में खड़े होकर सूप में फल, ठेकुआ रख कर अर्घ्य देने की परंपरा है।

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