ज्ञानवापी मस्जिद की इन्तेजामकार तंजीम के सचिव एसएम यासीन ने पूर्व सीजेआई की तारीफ करते हुवे कहा ‘बुल्डोज़र पर ब्रेक और एएमयु जैसे मुद्दों पर इन्साफ उस दौर में दिया जब अदालतों के रवय्ये संतोषजनक नही थे’
तारिक आज़मी
वाराणसी: मुल्क की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में आज सीजेआई डीवाई चंद्रचूड के कार्यकाल का आज आखरी दिन था। आज अपने कार्यकाल के आखरी दिन उन्होंने अलीगढ मुस्लिम विश्वविध्यालय प्रकरण में अहम और तवारीखी फैसला दिया। इसके पहले मुल्क में चल रहे बुल्डोज़र पर ब्रेक लगाने वाली बेंच में भी वह शामिल थे। उनके कार्यकाल में उनके फैसलों पर आज ज्ञानवापी मस्जिद की देख रेख करने वाली संस्था अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव एसएम यासीन ने तारीफे किया।
एसएम यासीन ने कहा कि ‘भारतवर्ष में मज़लूमों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों को इंसाफ मिलने का आखरी सहारा सर्वोच्च न्यायालय ही रह गया है। अगरचे बाबरी मस्जिद का फैसला उम्मीद पर खरा नहीं उतरता दिखा। इसी प्रकार ज्ञानवाफी मस्जिद के मामले में भी न्यायालयों का रवैय्या संतोषजनक नहीं रहा है, लेकिन इन सब के बावजूद हम यही कहकर संतुष्ट हो जाते हैं कि ‘आई विल सी यू इन द कोर्ट।’
उन्होंने कहा कि ‘गत सप्ताह माननीय मुख्य न्यायाधीश ने बहुत से एतिहासिक फैसले दिए है, जो वर्षों तक याद रखे जाएंगे। रिटायरिंग मुख्य न्यायाधीश डी0वाई0 चन्द्रचुड भी याद रखे जाएंगे। आसाम नागरिकता कानून, मदरसों से संबंधित फैसले और आज का अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा बहाली फैसले मील का पत्थर साबित होंगे।‘
एसएम् यासीन ने आगे कहा कि ‘साम्प्रदायिक संगठनों, सरकारों, जो मुसलमानों के तमाम अधिकारों को छीनने पर तुली हुई हैं, बुलडोज़र जैसी हिटलरी तानाशाही कार्रवाईयों को रोक कर अदालतों पर विश्वास को बहाल किया है। सरकार की चापलूसी में लिप्त हर जायज़ नाजायज़ फ़ैसलों की वाहवाही करने वाले मुसलमानों के मुँह पर भी कालिख पुत गई है। एक बार पुनः तमाम अमन पसंद, सेक्युलर ज़ेहन के लोग हम जैसों का मुबारकबाद क़बूल करें जो हर हाल में क़ानून की बात करते हैं।‘