वाराणसी: सर्व सेवा संघ द्वारा चल रहे सत्याग्रह के 67वे दिन सत्याग्रहियों ने मोमबत्ती जला कर दर्ज करवाया विरोध
ए0 जावेद
वाराणसी: गांधी विरासत को बचाने के लिए वाराणसी स्थित राजघाट परिसर के सामने चल रहे सत्याग्रह का आज 67 वां दिन है। स्वतंत्रता आंदोलन में विकसित हुए लोकतांत्रिक भारत की विरासत को बचाने के लिए 11 सितंबर (विनोबा जयंती) से सर्व सेवा संघ के आह्वान पर “न्याय के दीप जलाए जलाए -100 दिनी सत्याग्रह जारी है जो 19 दिसंबर 2024 को संपन्न होगा। आज के दिन सभी एकत्रित सत्याग्रहियों ने सामूहिक उपवास रखा।
बिहार सर्वोदय मंडल के राज्य प्रतिनिधि एवं एकता परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रदीप प्रियदर्शी, एकता महिला मंच, बिहार की संयोजिका मंजुला डुंगडुंग, भागलपुर बिहार के साथी मो वकीर् हुसैन, पटना, बिहार के देवनारायण एवं इंद्रमनी देवी उपवास पर बैठीl प्रदीप प्रियदर्शी जेपी आंदोलन के सक्रिय सहयात्री रहे हैl 1977 में छात्र-युवा संघर्ष वाहिनी से जुड़कर बोधगया भूमि मुक्ति आंदोलन का हिस्सा बने थे। वहां कई साथियों के साथ जेल भी गए थे।
प्रदीप प्रियदर्शिनी ने वर्ष 1990 मे एकता परिषद के साथ जुड़कर बिहार में जल, जंगल, जमीन के जन अधिकार आंदोलन को व्यापकता दिया और संगठन को नेतृत्व प्रदान किया। वर्तमान में एकता परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। दिवंगत विनोद कुमार रंजन के साथ बिहार मे सर्वोदय मंडल को मजबूत बनाने एवं विस्तार करने मे उनकी सक्रिय भूमिका रही है। वे विभिन्न संगठनो के साथ मिलकर सरकारी दमन एवं अत्याचार के विरुद्ध लगातार सक्रिय हैं। आज के उपवास पर बैठे सभी साथी जयप्रकाश नारायण के आंदोलन तथा गांधी, विनोबा विचार से प्रेरित हैं।
प्रदीप प्रियदर्शी कहते हैं कि वाराणसी के राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ परिसर, साधना केंद्र एवं प्रकाशन को स्थानीय प्रशासन एवं नॉर्दर्न रेलवे ने अवैध तरीके से कब्जा कर इसके बिल्डिंगों को गिरा दिया है। वाराणसी के सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जानकारी एवं इच्छा के बिना इस घटना को अंजाम दिया गया होगा, ऐसा सोचना अव्यावहारिक है। जरूर इसमें केंद्र सरकार की भी भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के परिपेक्ष में देखें तो शासन और रेलवे का बुलडोजर एक्शन कानून द्वारा स्थापित प्रक्रियाओं का खुला उल्लंघन है। वाराणसी के जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने अनधिकृत रूप से सर्व सेवा संघ द्वारा खरीदी गई जमीन के हस्तांतरण को अपने दायरे के बाहर जाकर अवैध घोषित कर दिया।
उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी को टाइटल डिसाइड करने का अधिकार नहीं है। यह अधिका सिर्फ और सिर्फ सिविल कोर्ट का है। बुलडोजर एक्शन के नाम पर यहां कानून के राज को खत्म किया जा रहा है। हम गांधी, विनोबा, जयप्रकाश नारायण, डॉक्टर अंबेडकर, बिरसा मुंडा के सपनों का भारत बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम फिर से राजाओं और जमींदारों का मनमानी राज किसी भी हालत में स्वीकार नहीं करेंगे। हमें आजादी सत्याग्रह के रास्ते से मिली है और सर्व सेवा संघ का परिसर भी हमें सत्याग्रह के जरिए मिलेगा,ऐसा हमारा विश्वास है। हम अपने आंदोलन को और तेज करेंगे और जन-जन को सरकार के षड्यंत्र से अवगत कराएंगे। सच्चा जनमत ही इस सरकार का जवाब है।
उपवासकर्ता प्रदीप प्रियदर्शी, मंजुला डुंगडुंग, मोहम्मद वकीर हुसैन, देवनारायण एवं इंद्रमनी देवी के अलावा उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष राम धीरज, लेखक एवं पत्रकार शक्ति कुमार, सर्व सेवा संघ प्रकाशन के संयोजक अशोक भारत, तारकेश्वर सिंह, सुरेंद्र नारायण सिंह, लोक समिति आश्रम के नंदलाल मास्टर, पूनम, वरिष्ठ गांधीवादी विद्याधर, गाधीवादी कार्यकर्ता जागृति राही, पूजा कुमारी, माधुरी देवी, सीतामढ़ी से आफताब अंजुम, तौसीफ रजा, रंजीत राय, जोखन यादव, जयपाल मलिक, शिवकुमार आदि शामिल हुए।