मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव से पूर्व सपा ने लगाया अपने कार्यकर्ताओं पर फर्जी मुकदमा दर्ज करने का आरोप, चुनाव आयोग को पत्र लिखे तीन थाना प्रभारियो को जिले से बाहर भेजने की किया मांग
मो0 कुमेल
डेस्क: समाजवादी पार्टी (सपा) ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश पुलिस मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर आगामी उपचुनाव के लिए प्रचार करने से रोकने के लिए अयोध्या में उसके प्रमुख पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं के खिलाफ झूठे मामले दर्ज कर रही है। ये सभी मामले हमले और धमकी के लगभग समान आरोपों पर आधारित हैं।
7 जनवरी के बाद से जिन सपा सदस्यों पर आपराधिक मामले दर्ज किए गए उनमें जिला महासचिव बख्तियार अहमद, जिला सचिव राम बहादुर यादव, ब्लॉक अध्यक्ष राम तेज यादव, ग्राम प्रधान प्रतिनिधि मोहम्मद रईस अहमद, मिल्कीपुर विकास खंड के महासचिव कांशीराम पाल, पूर्व प्रधान पुरषोत्तम दास पटवा और उनके बेटे शामिल हैं।
इसके बाद मिल्कीपुर में उपचुनाव से पहले सपा ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मिल्कीपुर के तीन थानों के थाना प्रभारियों (एसएचओ) को हटाने की मांग की है। साथ ही पार्टी ने उन पर चुनाव अभियान से जुड़े अपने एक दर्जन से अधिक सदस्यों के खिलाफ फर्जी एफआईआर दर्ज करने का आरोप लगाया है। उत्तर प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी को दिए ज्ञापन में उत्तर प्रदेश सपा अध्यक्ष श्याम लाल पाल ने कहा कि 7 जनवरी को चुनाव की घोषणा होने के बाद से एक दर्जन से अधिक सपा कार्यकर्ता, सेक्टर प्रभारी, ग्राम प्रधान और अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ मनगढ़ंत आरोपों के आधार पर आपराधिक मामले दर्ज किए गए है।
श्याम लाल ने आरोप लगाया कि ऐसा ‘उन्हें डराने’ और उन्हें चुनाव प्रचार और मतदान करने से रोकने के लिए किया जा रहा है। वह कहते हैं, ‘निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं है।’ श्याम लाल ने मांग की कि इनायत नगर, कुमारगंज और खंडासा थानों के प्रभारी- देवेन्द्र पांडे, अमरजीत सिंह और संदीप सिंह को तुरंत जिले से बाहर स्थानांतरित किया जाए। उन्होंने यह भी मांग की कि सपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द किया जाए, ताकि बिना किसी डर के स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव हो सके।
बताते चले कि वरिष्ठ नेता अवधेश प्रसाद के 2024 में फैजाबाद लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने जाने के बाद से मिल्कीपुर विधानसभा सीट खाली है। मिल्कीपुर उन विधानसभा क्षेत्रों में से एक है जो फैजाबाद लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है, और अन्य राज्यों के चुनाव साथ-साथ 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए अत्यधिक राजनीतिक महत्व रखता है।