विधायक ताहिर हुसैन की ज़मानत पर सुप्रीम कोर्ट से आया खंडित फैसला, अब होगी मामले में सीजेआई की बेंच में सुनवाई

शफी उस्मानी

डेस्क: सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने बुधवार (22 जनवरी) को 2020 दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन की जमानत याचिका पर खंडित फैसला सुनाया। ताहिर हुसैन ने आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए अंतरिम जमानत की मांग की है। जस्टिस पंकज मित्तल ने ताहिर हुसैन की याचिका खारिज कर दी। वहीं, दूसरे जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने कुछ शर्तों के साथ उनकी 4 फरवरी तक अंतरिम जमानत को मंजूर कर लिया।

लाइव लॉ के अनुसार, दो जजों की पीठ के इस खंडित फैसले के चलते अब इस मामले को आगे के विचार के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के समक्ष रखा जाएगा। इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस मित्तल ने कहा, ‘अगर चुनाव लड़ने के उद्देश्य से अंतरिम जमानत दी जाती है, तो यह भानुमती का पिटारा खोल देगा। चूंकि चुनाव पूरे साल होते हैं, इसलिए हर विचाराधीन कैदी यह दलील लेकर आएगा कि वह चुनाव में भाग लेना चाहता है, इसलिए उसे अंतरिम जमानत दी जानी चाहिए।

इससे ऐसे मामलों की बाढ़ आ जाएगी, जिसकी हमारी राय में अनुमति नहीं दी जा सकती। दूसरे, एक बार जब इस तरह के अधिकार को मान्यता मिल जाती है तो इसके परिणामस्वरूप याचिकाकर्ता वोट देने का अधिकार मांगेगा जो जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 62 के तहत सीमित है।’ जस्टिस मित्तल ने आगे कहा, ‘यह भी उल्लेखनीय है कि चुनाव के लिए 10-15 दिनों तक प्रचार करना पर्याप्त नहीं होगा, क्योंकि चुनाव लड़ने के लिए निर्वाचन क्षेत्र में वर्षों तक काम करना पड़ता है। यदि याचिकाकर्ता ने पिछले कुछ वर्षों में जेल में बैठकर ऐसा नहीं किया तो उन्हें रिहा करने का कोई कारण नहीं है।’

वहीं, जस्टिस अमानुल्लाह ने ताहिर हुसैन पर लगे आरोपों को गंभीर और संगीन मानते हुए कहा कि वर्तमान समय में वे केवल आरोप ही हैं। जस्टिस अमानुल्लाह के अनुसार, हिरासत में बिताए गए समय पांच साल की अवधि और अन्य मामलों में जमानत दिए जाने के तथ्य के आधार पर, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता  (बीएनएनएस) की धारा 482 और 484 की शर्तों के अधीन, 4 फरवरी, 2024 तक अंतरिम जमानत दी जा सकती है। इसके अलावा, जब अदालत को सूचित किया गया कि मामले में आरोप पत्र जून 2020 में दायर किया गया था, तब जस्टिस अमानुल्लाह ने पूछा कि मुकदमा पांच साल में आगे क्यों नहीं बढ़ा? उन्होंने कहा कि अब तक केवल पांच गवाहों से ही पूछताछ की गई है।

जस्टिस अमानुल्लाह ने आगे कहा, ‘यह सब देखना होगा। आप किसी को इस तरह से अपमानित नहीं कर सकते! वह 5 साल में एक दिन के लिए भी जेल से बाहर नहीं आए हैं। मुझे इस पर भी अपने आदेश में लिखना होगा। हम अपनी आंखें बंद नहीं कर सकते। संविधान का अनुच्छेद 21 किसके लिए है? पांच साल से आपने अपने मुख्य गवाह से पूछताछ तक नहीं की और वह दिल्ली से बाहर है! हम आगे कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते।’

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