तारिक आज़मी की मोरबतियाँ: ‘नाना पाटेकर कहे रहे “एक मच्छर आदमी को हि### बना देता है’, गुरु ईहा बनारस में तो बहुते मच्छर हो गए है, नगर आयुक्त साहब मच्छर काट नाही रहे भकोट ले रहे है…! कछु करे साहेब

तारिक आज़मी

डेस्क: एक तो रात भर मच्छर की भनभनाहट ने चैन से सोने न दिया। उस पर सुबह सुबह काका और काकी के बीच चल रहे शीत युद्ध की भनभनाहट ने नींद ख़राब कर डाला। हाल कुछ ऐसी बनी हुई थी कि लगता था जैसे कोई कश्ती भंवर में साहिल की तलाश हो। साहिल की तलाश में ही नींद के आगोश में था कि काका काकी के भनभनाहट ने उस साहिल को भी दूर कर डाला।

अब रोज़े में चाय के साथ तो बात हो नहीं सकती थी। मुझे यही लगा कि काका को रोज़ा लग गया है। अमूमन काका को लगभग 10 रोज़े के बाद ही भन्नाहट चढ़ती है। मगर आज ही कैसे चढ़ गई जानने के लिए बिस्तर छोड़ कर काका-काकी की ख्वाबगाह में दाखिल हुआ। दाखिले में अब इजाज़त कैसी लेना और मैं खुद धम्मादार हो गया पास पड़े सोफे पर और दोनों के इस शीत युद्ध को शांति पूर्वक समझने की कोशिश कर रहा था कि आखिर ये भनभनाहट क्यों है?

कुछ ही देर के बाद बात समझ में आई कि काका मस्किटो क्वायल लेकर आये थे, मगर मच्छरों पर इसका कोई असर नही हुआ और काकी की नींद नहीं पूरी होने के कारण उन्होंने काका के ऊपर आरोप लगाया कि वह नकली और सस्ती मस्किटो क्वायल लाये होंगे। अब शाहरुख़ खान ने तो ‘जवान’ में कहा था कि कितने सवाल पूछते हो 5 रुपये के मस्किटो क्वायल खरीदने के लिए। बात तो सही है कि मस्किटो क्वायल लेने के पहले काका को उन सभी सवाल को पूछना चाहिए था।

मगर मामला शांत करवाना था वरना काकी का शबाब काका रोज़ा रख कर झेल नहीं पाते। तो मैं ही कूद पड़ा कि ‘काकी क्या बात करती हो, क्वायल ढंग से जलाया नहीं होगा, वर्ना मच्छर काटता ही नहीं।’ फिर क्या था काकी का तीर मेरे तरफ घूम गया। उन्होंने कहा ‘वह बेटा तुमको गोद में खिलाया पाल पोस कर बड़ा किया, अब तुम मुझे बताओगे कि क्वायल कैसे जलाया जाता है, मतलब अब मुझे तुमसे सीखना पड़ेगा?’ भाई कसम बता रहा हु तीर मेरे तरफ घूमी और मेरा सर भी ज़बरदस्त घुमा। दिमाग में बाद एक बात आई कि ‘बहुत उछ्लते हो यार, अब खाओ काकी की डांट।’

मैंने बात को बदलने के लिए बात मच्छरों की तय्दात जो शहर में बढती जा रही है के तरफ घुमा कर मैं सरक लेना बेहतर समझ लिया और निकल लिया धीरे से। मगर दिमाग में एक बात बहुत जोर जोर से उछल रही थी। बात ये थी कि आखिर नगर निगम वाराणसी जो खुद को स्मार्ट कहता है उसकी स्मार्टनेस इस वक्त कहा है। माना कुम्भ मैनेजमेंट में बहुत व्यस्त था नगर निगम, मगर अब तो व्यस्तता खत्म हो गई है। फिर मछरो की ये ज़बरदस्त बढती आबादी पर अंकुश क्यों नही लगा पा रहा है। पूरा शहर मच्छर के परेशान है।

मुझे नाना पाटेकर की एक फिल्म का डायलाग याद आ रहा है। नाना ने कहा था कि ‘एक मच्छर आदमी को हि## बना देता है।’ यहाँ तो मच्छरों की पूरी फ़ौज शहर और आसपास के इलाको में अपनी जड़ इकठ्ठा करके बैठी है। हम लोगन की का हाल होगी नगर आयुक्त साहब आप खुदही समझ सकते है। तनिक पंखा की रफ़्तार धीरी होती है तो तुरंत कान में सनसना नन साय साय की तरह भन भना नं भनभनाहट होने लगती है। होंगे कोई और शहर जिनके यहाँ मच्छर काटते होंगे। हमारे बनारस में तो गुरु भकोट ले रहे है।

ऐसे में नाना पाटेकर के शब्द भी छोटे पड़ जाते है। कोई समझाओ जाकर यार ‘जवान’ के शाहरुख़ खान को जो कहते फिरते है कि मस्किटो क्वायल के लिए कितने सवाल पूछते हो? अरे शाहरुख़ क्या बताये सवाल तो बहुते पूछते है। मगर मच्छर ससुरा सोने नहीं देता है इसके लिए सवाल किस्से पूछे। हमारे नगर आयुक्त तो जवाब नही देते है। जीना मुहाल कर रखा है मच्छरों ने, शहर का कोई ऐसा इलाका नही है जहा इनका आतंक न बरपा हो इस समय। आप समझते नहीं हो। इन्ही मच्छरों की देन है कि काकी फायर है और उम्मीद बहुत कम है कि इफ्तार में कुछ मिल सके खाने को। क्योकि काकी का गुस्सा मिर्चा पर उतरता है और बस थोडा एक चम्मच मिर्चा ज्यादा हो जाता है।

कहा काका मस्किटो क्वायल पर भनभनाहट दिखा रहे थे। अब तो इफ्तार के लाले पड़े है। मगर ये बाते मच्छरों के कहा समझ में आने वाली है। वो तो अपनी मस्ती में मस्त है। होते होंगे खून के रिश्ते खून पीने के लिए, यहाँ तो मच्छर खून पिए पड़े है। नही यकीन हो तो थोड़ी देर के लिए आप अपने कमरे का पंखा बंद कर लो न भाई, समझ में आ जायेगा कि मच्छर काट नहीं रहे है बल्कि भकोट रहे है। नगर आयुक्त साहब तनिक ध्यान दे दे साहब, वैसे भी शरीर में डेढ़ पाँव खून है, वह भी मच्छर अगर चूस लिए तो बिना लहू का कैसा दिखाई दूंगा साहब। कुछ करे नगर आयुक्त साहब, और कुछ नहीं कर सकते तो आज रात कमरे में पंखा न चलाये, मच्छर खुद अपनी कहानी कह डालेगे। उफ़ मुझे तो चिंता अब इफ्तारी की सता रही है। यार कोई बिरयानी मंगवा लेना पहले से ही, हाय काकी से पंगा यानि मिर्चा से पंगा।

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *