बिहार के नए DGP के लिए नीतीश कुमार का मंथन शुरू, चर्चा में हैं इनके नाम

अनिल कुमार.

बिहार के मौजूदा DGP पी के ठाकुर आने वाले महीनों में रिटायर हो जायेंगे. ऐसे में, बिहार पुलिस के नए प्रमुख की तलाश अभी से शुरू हो गई है. पोलिटिकल और एडमिनिस्ट्रेटिव लॉबिंग चालू है. बिहार में इधर के दिनों में अपराध भी तेजी से बढ़े हैं. सो, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भी प्रायोरिटी है कि वर्तमान DGP पी के ठाकुर पूर्ण रूप से रिटायरमेंट मोड में चले जायें, इसके पहले फैसला हो जाना चाहिए. भले, नियुक्ति रिटायरमेंट की तारीख के ठीक पहले हो. यह कहना बेमानी होगा कि DGP की नियुक्ति में बिहार में पोलिटिकल माइंडसेट और कास्ट की मैथमेटिक्स को नहीं समझा जाता है.

बिहार का नया DGP कौन, यह तय करते वक़्त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार निश्चित तौर पर 2019 के लोकसभा चुनाव और 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव का ख्याल जरुर रखेंगे. वजह कि DGP रोज-रोज बदले नहीं जा सकते. समय का चक्कर न होता, तो जानकार कहते हैं कि रविन्द्र कुमार ही बिहार के अगले DGP बनते. कुमार अभी विजिलेंस ब्यूरो के DG हैं. लेकिन संकट यह है कि पी के ठाकुर के रिटायरमेंट के बाद रविन्द्र कुमार की सर्विस भी कुछ ही महीने बचती है. 2018 में ही रविन्द्र कुमार को भी रिटायर होना है. सो, नए DGP के संभावित नामों की गंभीर सूची में वे शामिल नहीं हो पाते हैं.

इनके नामों की चर्चा है बिहार के नए DGP के लिए

सुनील कुमार – सबसे अधिक सुनील कुमार का नाम ही लोग लेते हैं. बिहार पुलिस में करीब-करीब सभी महत्वपूर्ण पदों पर सुनील कुमार तैनात रहे हैं. पटना की बात करें, तो एसएसपी से लेकर आईजी तक का सफ़र है. DG में प्रमोट होने के पहले वे पुलिस मुख्यालय में ADG (हेडक्वार्टर) के महत्वपूर्ण पद पर थे. अभी बिहार पुलिस बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं. सत्ता में सदैव पैठ ठीक रही है. दलित होने का लाभ भी है.

राजेश रंजन – लंबे अरसे से राजेश रंजन भारत सरकार की सेवा में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं. अभी BSF में तैनात हैं. इसके पहले GAIL में चीफ विजिलेंस ऑफिसर (CVO) थे. कड़क ऑफिसर हैं. पर सवाल यह कि बिहार वापस लौटेंगे? कई लोग उन्हें नए DGP के रूप में बिहार लाना चाहते हैं. तेज लॉबी काम कर रही है. जाति जानने वाले राजेश रंजन को भूमिहार बताते हैं. समीकरण कैसे-क्या बैठेगा, अभी तुरंत नहीं कहा जा सकता.

ए के वर्मा – यह नाम पिछले कई दिनों से बहुत तेजी से सामने आया है. ए के वर्मा मतलब अशोक कुमार वर्मा. बहुत लंबे समय से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं. अभी इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के टॉप अधिकारियों में शामिल हैं. उत्तर प्रदेश के रहनेवाले हैं. वर्मा बिहार आना चाहते हैं कि नहीं आना चाहते हैं, यह कन्फर्म किया जाना संभव नहीं है. पर, इनके नाम को सभी नए DGP के दावेदारों में लेने लगे हैं. कुशवाहा हैं. जानकार कहते हैं कि बगैर लाग-लपट वाले अधिकारी ए के वर्मा के नाम के आगे आने की असली वजह बिहार की सोशल इंजीनियरिंग है.

गुप्तेश्वर पांडेय – बिहार में जब से नीतीश कुमार के नेतृत्व में NDA की सरकार बनी, गुप्तेश्वर पांडेय का नाम सामने आने लगा. पांडेय अभी BMP के DG हैं. पहले पुलिस मुख्यालय में ADG (हेडक्वार्टर) रह चुके हैं. अपराध नियंत्रण का लंबा तजुर्बा भी है. पब्लिक फ्रेंडली हैं.

बेगूसराय और जहानाबाद में SP के रूप में गुप्तेश्वर पांडेय ने जितना किया है, लोग आज भी नहीं भूलते हैं.ब्राह्मण हैं, ऐसे में पांडेय के पक्ष में सोशल इंजीनियरिंग का गणित कितना फिट बैठता है, देखा जाना होगा. वैसे यह तय है कि बिहार का जो भी नया DGP होगा, फैसला तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही करेंगे.

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