अपराध न नियंत्रित कर सके तो तोड़ दिया लाठिया पत्रकारों पर देवरिया पुलिस ने
नितेश मिश्रा.
देवरिया। शुक्रवार को मतगणना कवरेज करने गए पत्रकारों पर बर्बरता दिखाने वाली पुलिस जिले में बढ़ते अपराध को देख कहां दुबक जाती है। रूदपुर क्षेत्र में चहारदीवारी के विवाद में घण्टो कसमकस के बाद जब लाशें गिर रही थी उस समय वर्दी का रौब कहां मर चुका था। जबकि विवाद की शुरूआत काफी दिनों पहले हो चुकी थी। चंद महीनों पूर्व देवरिया शहर सायं हुए डबल मर्डर कांड के वक्त भी पुलिसिया रौब बर्फ की चादर तले ढक चुका था। अब जब बारी निकाय चुनाव मतगणना की आयी तो एसपी ने रौबधारी पुलिस अधिकारियों व सिपाहियों जमात खड़ी कर दी। वह भी उनके लिए जो देश का चैथा स्तंभ माने जाते हैं। पुलिस की बर्बरता से घायल पत्रकारों का क्या दोष था यह चैबिस घण्टे बीतने के बाद भी ना डीएम साहब बता पाए और ना ही कप्तान साहब। हां इतनी बात जरूर कबूल कर ली की पुलिसवालों की गलती है। लेकिन दोषियों पर कार्रवाई क्या हुई यह अब भी रहस्य बना हुआ है। सवाल यह उठता है कि तमाम वीडियो फुटेज होने के बावजूद आलाधिकारी मामले को दबाने के लिए किस ठंडे बस्ते का इंतजाम कर रहे हैं। अगर मतगणना स्थल पर पत्रकारों के साथ यही करना था तो बुलाया क्यों, क्यों पास बनाये गए क्यूं मीडिया सेल बनाया गया जहां घूसकर बेखौफ पुलिस वाले पत्रकारों की बेरहमी से पीटाई कर दें। शुक्रवार की दोपहर मतगणना के दौरान मामला बीजेपी नेता उग्रसेन राव से शुरू हुआ। पुलिस और बीजेपी समर्थकों के बीच हुई नूराकुश्ती के चलते लाठी चार्ज की नौबत आयी। पुलिस की बर्बर लाठियों से बचने के लिए वह मीडिया सेल में जा पहुंचा। जहां प्रशासन के छूटभैये पुलिस वालों ने पत्रकार दीर्घा में पहुंच चुके उग्रसेन पर जमकर लाठियां बरसाई। वह जमीन पर गिरकर चीखता रहा पुलिस वालों पहले पत्रकारों को पीटकर उनकी कुर्सियां छीनी फिर लाठी टूट जाने के बाद उन कुर्सियों से भाजपा नेता की पिटाई कर दी। पुलिस की लाठियों के शिकार मीडियाकर्मियों के उपकरण भी हुए किसी का कैमरा टूटा तो किसी का लैपटाॅप। इतना सबकुछ होने के बावजूद अबतक कार्रवाई के नाम पर आलाधिकारी कोरम पूरा करने में लगे हुए हैं।