हर्षोल्लास के साथ निकाली गयी जुलूस
संजय राय
चितबड़ागाँव ( बलिया ) – स्थानीय नगर स्थित बरावफात के अवसर पर हर्षोल्लास के साथ जुलूस निकाला गया । गौरतलब है कि जुलूस फिरोजपुर से प्रारम्भ कर डाकघर से अम्बेडकर नगर, स्टेट बैंक, मुख्य बाजार, होते हुए मुख्य मार्ग पर स्थित बड़ी मस्जिद, ऐतिहासिक बरइया पोखरा, कान्ही, दुर्गा मंदिर होते हुए सम्पन्न हुआ ।मिलाद उन – नबी इस्लाम धर्म के मानने वाले के लिए सबसे पाक त्योहार माना जाता है, मिलाद – उन – नबी का अर्थ दरअसल इस्लाम धर्म के प्रमुख हजरत मोहम्मद का जन्मदिन होता है, मिलाद शब्द का उत्पति अरबी भाषा के मौलिक शब्द से हुई है , मौलिक शब्द का अर्थ जन्म होता है, और नबी हजरत मोहम्मद को कहा जाता है । इस्लामिक कलेन्डर के अनुसार मिलाद – उन – नबी का त्योहार 12 रबी – उल – अव्वल के तीसरे महीने मे आता है ।कहा जाता है कि हजरत मोहम्मद का जन्म फतिमिद राजवंश के दौरान 11 वी शताब्दी को हुआ था ।जिसे इस्लाम धर्म के ही सिया समुदाय इस त्योहार को इस्लामिक कलेन्डर के 17वे महीने मे मनाते है , कुछ समय पहले तक यह त्योहार मुख्य रूप से सिया समुदाय के लोग ही मानते थे किन्तु 12 वी शताब्दी आते ही इस्लाम मानने वाले सम्भवतः सभी समुदाय अपना चुके थे ।जबकि इस त्योहार पर 20 वी शताब्दी मे राष्ट्रीय अवकाश घोषित कर दिया गया था , पर अब इसे इस्लाम धर्म के लगभग सभी समुदाय के लोग मनाने लगे है ।भारत सहित आसपास के कई देशो मे मिलाद -उन -नबी को बरावफात के नाम से जानते है ।बरावफात का मतलब आफत के 12 दिन, कहते है कि हजरत मोहम्मद 12 दिनो के लिए बीमार हो गए थे । मिलाद उन नबी के इस त्योहार को सिया सुनी और इस्लाम धर्म के सभी लोग मनाते है । किन्तु इस्लाम धर्म के दो समुदाय वहाबी और सलफी नही मानते है । इस त्योहार पर लोग मस्जिद मे नमाज अदा कर मनाते है तत्पश्चात गरीबो को भोजन बांटते है इस तरह यह त्योहार पूरा होता है । मौके पर मुख्य रूप से रिजवान अहमद, मुश्ताक अहमद, ताज मोहम्मद, परवेज आलम , शहनवाज, हाजी मुनीर, हाजी मुबारक अली ,खुर्शीद आलम , मोहम्मद ताहिर हुसैन, अफजल अंसारी आदि लोग मौजूद रहे । साथ ही थाना प्रभारी शैलेश सिंह अपने दलबल के साथ मुस्तैद रहे ।