नौशाद सम्मान से हुई हेमा मालिनी सम्मानित, पद्मावती विवाद पर शांत रही हेमा

जावेद अंसारी/ अहमद शेख 

लखनऊ. सौंदर्य और नृत्य का समावेश का नाम अगर कुछ होता तो उसको पक्का हेमा मालिनी के नाम से पुकारा जाता. अपने समय की मशहूर अदाकार और अब सांसद हेमा मालिनी को ड्रीम गर्ल कहकर भी संबोधित किया जाता है/ नवाबो के शहर लखनऊ में आज हेमा मालिनी मेहमान बनी तो ये दिन उनकी जिन्दगी के यादगार दिनों में शामिल हो गया। हेमा मालिनी को शहर में प्रतिष्ठित ‘नौशाद सम्मान’ से अलंकृत किया गया। एक होटल में हुनर क्रियेशन एवं क्राफ्ट एसोसिएशन की ओर से हुए इस समारोह में यूपी की पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी और मंत्री आशुतोष टण्डन ने उनको नौशाद सम्मान दिया। सम्मान स्वरूप हेमा मालिनी को एक लाख रुपए की धनराशि, अंगवस्त्र, प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया।

ज्ञातव्य हो कि संगीत जगत के लीजेंड कहे जाने वाले नौशाद अली को ताल्लुक लखनऊ से हैं और उनकी याद में नौशाद सम्मान हेमा मालिनी से पहले कई बड़े कलाकारों को दिया जा चुका है। जिनमें संगीतकार ख्य्याम, कल्याणजी आनन्द जी व अमजद अली खां जैसे नाम शामिल हैं। हेमा मालिनी को नौशाद सम्मान उनकी अभिनय यात्रा के लिए नहीं बल्कि उनकी नृत्य साधना के लिए दिया गया है।

सबसे अलग सम्मान है ये : ड्रीम गर्ल 

ड्रीम गर्ल को संगीत के लिजेंट और लखनऊ की शान नौशाद साहब के नाम से बने नौशाद सम्मान से नवाज़ा गया तो इस सम्मान को मिलने की खुशी अभिनेत्री हेमा मालिनी के चेहरे पर बखूबी देखी जा सकती थी। सम्मान मिलने के बाद हेमा ने कहा यूं तो कई सम्मान मिले हैं लेकिन नौशाद साहब के नाम से मिला ये सम्मान मेरे लिए खास है क्योंकि नौशाद साहब ने संगीत को न सिर्फ नई ऊंचाइयां दीं बल्कि संगीत को बनाया है। ऐसे लीजेंड व्यक्तित्व के नाम से जब सम्मान मिलता है तो उसका महत्व और बढ़ जाता है। हेमा मालिनी ने कहा कि लखनऊ कई बार आयी हूं। बहुत खूबसूरत शहर लखनऊ लेकिन नौशाद सम्मान मिलने से अब ये शहर और खूबसूरत लगने लगा है। उन्होंने इस मौके पर संगीत की बात करते हुए कहा कि आज का संगीत ठीक है लेकिन दिलों को छूने वाला संगीत पुराने दौर का ही है। पुराने दौर के गीत और संगीत ने ही सही मायनों में बॉलीवुड को स्थापित किया है। पुराने दौर के गीतों का कुछ मतलब होता था, महत्व होता था। विदेशी जमीन पर रहने वाले लोग पुराने गीतों को सुनकर हिन्दी और उर्दू सीखा करते थे। अब संगीत पूरी तरह बदल चुका है।

नृत्य है मेरे फिटनेस का राज़ :

हेमा मालिनी ने कहा कि भले ही सांसद हूं अपने संसदीय क्षेत्र में अक्सर जाना पड़ता है लेकिन डांस का प्यार मेरा खत्म नहीं हुआ है। आज जब मुझे फिटनेस की प्रशंसा सुनने को मिलती है तो इसका श्रेय मैं डांस को ही देती हूं। क्योंकि आज भी महीने में चार शो के डांस के करती हूं। सिर्फ भरतनाट्यम और कथक नहीं बल्कि बैले भी करती हूं। डांस की वजह से ही इस उम्र में भी फिट हूं।

पदमावती से ड्रीम गर्ल ने किया किनारा :

ड्रीमगर्ल कही जाने वाले अभिनेत्री ने बॉलीवुड और राजनीति में बवाल मचाने वाले पद्मावती विवाद से खुद को दूर रखा। बातचीत के दौरान हेमामालिनी ने तमाम बातें की लेकिन जब पद्मावती विवाद पर राय पूछी गई तो उन्होंने चुप रहना ही बेहतर समझा।

ड्रीम गर्ल को गुस्सा भी आया :

समारोह में सम्मान मिलने के बाद हेमा मालिनी अवध पर लगी प्रदर्शनी को देखने आयी तो उनके साथ सभी आ गए। सबके हाथों में कैमरे और एक सेल्फी लेने की अपील थी। जिस होटल मे कार्यक्रम था वहां के वेटर और अन्य स्टाफ भी सेल्फी लेने वालों की भीड़ में थे। हेमा के साथ कोई अंगरक्षक मौजूद नहीं था। कुछ देर सेल्फी क्लिक करने के बाद हेमा का गुस्सा बढ़ने लगा। वो बोली तो कुछ नहीं लेकिन प्रदर्शनी को बीच में ही छोड़ कर वापस हॉल में आ गईं।

और संगीत के साथ दिखी अवध की विरासत :

सम्मान समारोह में अवध की शान में गीत और संगीत की महफिल भी सजी। जहां कोलकाता से आये सांस्कृतिक दल ने कोयल दास गुप्ता के निर्देशन में शब-ए-महफिल को पेश किया। वहीं लाइव गजल, ठुमरी और दादरा पर आकर्षक कथक भी पेश किया गया। कोयल दास ठुमरी गा रहीं थी तो परोमिता कथक कर रही थीं। इस दौरान कला प्रेमियों को ‘अब छलकते हुए सागर’, ‘बाबुल मेरा नैहर छूटा जाये’, ‘हमरी अटरिया पर आज से संवरियां’, ‘तेरी कटीली निगाहों ने मारा’, ‘बेदर्दी बन गए’ जैसी गजलों, ठुमरी और दादरा पर नृत्य की बेहतरीन पेशकश देखने को मिली। तबले पर संदीप घोष, सारंगी पर अल्लाहरखा एवं नैरेशन सुतापा ने किया।

लखनवी इमारतों को निहारती रहीं हेमा मालिनी :

शहर के मशहूर छायाकार रवि कपूर ने नवाबों की बनवायी इमारतों के चित्रों की प्रदर्शनी लगायी। अवध के नवाबों की बनवायी आसिफी मस्जिद, अमजद शाह का मकबरा यानि कि छोटा इमामबाड़ा, सतखण्डा, घण्टाघर और रेजीडेन्सी के चित्रों को उन्होंने प्रस्तुत किया। चित्र काफी खास थे, क्योंकि इन इमारतों की तस्वीरें अलग-अलग एंगल से ली गयी थी। आसिफी इमामबाड़े की मीनारें और सीढ़ियां, कैसरबाग बारादरी की खूबसूरत नक्काशी वाली छत, हार्डिंग ब्रिज यानि कि पक्का पुल, इमामबाड़े के आसपास उड़ते कबूतर और सतखण्डा से ली गयी पुराने लखनऊ की घनी आबादी के दुर्लभ चित्र दर्शकों के दिलों में घर कर गये। रवि कपूर ने प्रदर्शनी में कुल 21 चित्रों को प्रदर्शित किया है।

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