जब थानेदार साहेब को ही रहना पड़ा कस्टडी
हरी शंकर सोनी.
सुलतानपुर। न्याय और न्यायालय सबको एक नज़र से देखता है, लोकतंत्र में भले ही अन्य स्तंभों पर प्रश्न चिन्ह लग रहे हो और न्याय में देरी हो रही हो मगर कानून सबके लिये एक समान है और कानून की नज़र में कोई छोटा बड़ा नही है. अक्सर अदालते इस बात को साबित करती है. प्रधानमंत्री तक को कटघरे में खड़ा करके देश की अदालतों ने समाज में अपने ऊपर विश्वास को और बढाया है. इसकी एक बानगी आज जिले में देखने को मिली जब अन्य लोगो को कस्टडी में लेने वाले थानेदार साहेब को खुद कस्टडी में खड़े रहना पड़ा.
मामला कुछ इस प्रकार हुआ कि दलित रामजीत हत्याकांड में हाईकोर्ट से जमानत पाने के बाद भी पुलिस की शिथिलता के चलते आरोपी के बेलबांड का सत्यापन नही हो सका था। नतीजतन थानाध्यक्ष लम्भुआ को अदालत ने तलब कर लिया और यही तक बात सीमित नही रही बल्कि उनको कस्टडी में रहना पड़ा और फटकार भी सुननी पड़ी थी। कोर्ट के इस कड़े रूख से हरकत में आये थानाध्यक्ष ने सोमवार को स्पेशल जज एससीएसटी एक्ट की अदालत में बेलबांड तस्दीक करके दूसरे दिन ही भिजवा भी दिया।
मालूम हो कि जयसिंहपुर थाना क्षेत्र के रामनाथपुर निवासी ध्रुवराज ने बीते 14 जुलाई की घटना बताते हुए गांव के ही आरोपीगण मस्तराम उपाध्याय महंथराम, संचित, अंकित व अरुण के खिलाफ अपने चचेरे भाई रामजीत की हत्या व अन्य परिवारीजनों पर हमले के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया। इस मामले में आरोपी महंथराम की हाईकोर्ट से जमानत मंजूर हो गयी है। महंथराम के जमानतदारों का बेलबांड वेरीफिकेशन के लिए लंभुआ थाना भेजा गया था, लेकिन कई दिन बीत जाने के बावजूद लंभुआ पुलिस जमानतदारो का वेरीफिकेशन कराने में हिलाहवाली कर रही थी। मामले में कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कोर्ट ने थानाध्यक्ष लंभुआ से स्पष्टीकरण मांग कर उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की चेतावनी देते हुए बीते शनिवार को तलब किया था और कस्टडी में खड़ा कर कड़ी फटकार भी लगाई थी। जिसके बाद बौखलाए थानाध्यक्ष ने सोमवार तक बेलबांड बेरीफिकेशन भेज देने का विश्वास दिलाया था। सोमवार को कोर्ट के कड़े रूख का असर भी थानाध्यक्ष पर दिखाई पड़ा। नतीजतन दूसरे दिन ही बेलबांड तस्दीक होकर कोर्ट पहुंच भी गया।