किसानों के लिए मुसीबत बनी पशुओं को अन्‍ना छोड़ने की प्रथा

शाहनवाज़ खान.

बांदा। बुंदेलखंड में अन्ना प्रथा अब किसानों के लिए विपदा का रूप ले चुकी है। सदियों से चली आ रही इस प्रथा में पहले गेहूं की फसल कटाई के बाद गोवंश को खुला छोड़ा जाता था। पिछले दो दशक से इस प्रथा को किसानों ने अपना लिया और अब हालात ये है कि ये गोवंश किसानों की फसलों को उजाड़ने लगे हैं, जिससे किसानों के सामने संकट खड़ा हो गया है।

सीएम योगी ने अन्ना प्रथा उन्मूलन की योजना बनाई है, जिसके तहत गौशालाओं का निर्माण किया जाना है। यह काम शुरू हो गया है लेकिन समस्याएं सामने आ रही हैं। प्रशासन गौशालाएं तो बना रहा है लेकिन यहां जानवरों के खाने-पीने की व्यवस्था किसानों को करनी पड़ेगी। वहीं किसानों का कहना है कि उनके पास जानवरों को खिलाने के लिए होता तो वे उन्‍हें अन्‍ना क्‍यों छोड़ते।

बुंदेलखंड के बांदा जनपद की बात करें तो यहां लगभग 30 हजार अन्ना जानवर घूम रहे हैं जो किसानों की फसल बर्बाद कर रहे हैं। पूरे बुंदेलखंड में इनकी संख्या कई लाख में है जिनसे किसान आजिज आ गया है। बांदा के कुछ क्षेत्रों में किसानों ने चंदा कर पशु बाड़े बनाने शुरू कर दिए हैं। यहां पर अन्ना गोवंश के खाने-पीने की व्यवस्था भी कर रहे हैं।

बांदा के बबेरू क्षेत्र में पिंडारन गांव में किसानों ने 12 बीघा जमीन पर एक गौशाला बनाई है। चंदा जोड़कर किसानों ने गौशाला तैयार की है जिसमें सैकड़ों गायों को रखा गया है। वहीं कई जगहों पर किसानों ने बगावती तेवर भी अपना लिए हैं। जसपुरा क्षेत्र के रामपुर में किसानों ने एक स्कूल में ही सैकड़ों जानवर बंद कर दिए हैं। इससे सैकड़ों बच्चों की पढ़ाई चौपट हो रही है।

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