सीबीआइ के चार दिनः उप्र लोक सेवा आयोग की भर्तियों में गड़बड़ी के मिले सुराग

कानिष्क गुप्ता

इलाहाबाद। आइपीएस राजीव रंजन के नेतृत्व में सीबीआइ के 18 विशेषज्ञ (फोरेंसिक/ सॉफ्टवेयर इंजीनियर) पहली तारीख से ही आयोग के गोपन विभाग में डटे हैं। अधिकांश कंप्यूटरों को इन विशेषज्ञों ने अपने साथ ले जाए गए इमेजिंग स्कैनिंग सिस्टम से जोड़ रखा है, जिसमें नए और पुराने डाटा ट्रांसफर लिए जा रहे हैं। 2012 से लेकर 2017 तक उप्र लोक सेवा आयोग से हुई सभी भर्तियों के कंप्यूटर रिकार्ड इसी विभाग से अधिकांश मिलने हैं। विशेषज्ञ रविवार को भी डाटा स्कैन करते रहे। इस वजह से साप्ताहिक अवकाश के दिन भी आयोग के गोपन और परीक्षा विभाग खुले रहे। पिछले दिनों सीबीआइ की ओर से हुई कड़ाई के बाद दोनों ही विभागों का सहयोगात्मक रवैया है।

आयोग के सूत्र बताते हैं कि पीसीएस 2015 में व्यापक पैमाने पर हुई गड़बड़ी के तमाम सुराग सीबीआइ को मिल चुके हैं। अभ्यर्थियों के प्राप्तांकों में उलट फेर और स्केलिंग के नंबर देने में हुई मनमानी उजागर हुई है। इसके अलावा आरओ-एआरओ 2014 में भी व्यापक धांधली के सुबूत विशेषज्ञों के हाथ लगे हैं। सैकड़ों प्रतियोगियों से सीबीआइ के एसपी राजीव रंजन को जो शिकायतें अब तक मिली हैं उन सभी को समाहित कर टीम ने हाईकोर्ट में मजबूती से अपना पक्ष रखने की तैयारी कर ली है। रविवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुछ प्रोफेसर भी राजीव रंजन से मिले, उन्होंने अपनी शिकायतें दर्ज कराईं।

कोर्ट में सुनवाई आज

आयोग से पांच साल में हुई भर्तियों की जांच को चुनौती देने संबंधी याचिका पर सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। याचिका उप्र लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष अनिरुद्ध सिंह यादव की तरफ से दाखिल है। दोपहर दो बजे मुख्य न्यायाधीश डीबी भोंसले की कोर्ट में बहस होगी जिसमें संभावना जताई जा रही है कि चार दिनों में मिले सुबूत सीबीआइ के अधिवक्ता की तरफ से रखे जाएंगे। इसके अलावा याचिका में पक्षकार बने प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति की तरफ से अपनी बात सीबीआइ के माध्यम से रखी जाएगी।

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