बाबा बन सकते है भविष्य में देश की आर्थिक व सामाजिक स्थिती में बड़ा संकट
जितेन्द्र कुमार
कौशाम्बी जिले में जगह – जगह पर साधू बने घूम रहे बाबा एक दिन संकट का विषय बन सकते है। ये बाबा भारी मात्रा में जिले में उपलब्ध है, साथ साथ प्रयाग में भी इनकी उपलब्धता देखने को मिलती है। इन बाबाओं में कोई अपने को सन्यासी बताता है तो कोई अपने को त्रिकालदर्शी बताता है। सच्चाई क्या है ? भगवान ही जाने ! मार्केट के दुकानदार इन बाबाओ से ऊब चुके है, ये बाबा आकर दुकान पर खड़े होकर 21 से 51 रुपये की माँग करते हुए दुकानदार को धनकुबेर बनने का आशिर्वाद देते है। दुकानदार द्वारा राशि न मिलने पर पल भर में अपनी जुबाँ पलटते हुए बाबाजी दुकानदार को धनकुबेर से फ़कीर होने का आशीर्वाद दे डालते है। अब दुकानदार को कौन सा आशीर्वाद लगेगा वो तो ऊपर वाला जाने।
आपको बता दे कि ये बाबा भारी मात्रा में जिले में टहल रहे है, और एक या दो करके एक दुकान में जाते है और कहि भोजन के रूप में , कही मंदिर निर्माण के नाम पर, कहि भंडारा के रूप में दुकानदार से सहयोग धनराशि वशूलते है। भगवा रंग के पीछे छुपे होने से जनता भी इन बाबाओ का सहयोग करती है। लेकिन शायद इन बाबाओं को नही पता कि भगवा धारण कर लेने से कोई सन्यासी नही बन जाता। सन्याशी बनने के लिए- जप, तप, त्याग की जरूरत होती है। जो इनसे नही होता। आजकल बाबा बनना तो एक आसान काम है । भगवा धारण किया , दो – चार मंत्रोउच्चरण सीख लिया बन गए बाबा । कहाँ कोई पूछने वाला है योग्यता इनकी इनके पास तो भगवा का लाइसेंस है। मेहनत से मुँह फेरते हुए आज के बेरोजगार युवक इस धन्धे को अच्छा समझ अपना रहे है, कहाँ इंटरव्यू होगा, जो डरे , मेहनत नही करनी पड़ेगी ,मांग कर खाओ आराम से।
जो युवा डॉक्टर , इंजीनियर, बनने की सोचते थे ,वो आज बाबा बनने की सोच रहे है। क्यों?
क्योंकि इंजीनियर , डॉक्टर , बनने में पढ़ाई करनी पड़ेगी, मेहनत करनी पड़ेगी, लाखो रुपये खर्च करना पड़ेगा। और बाबा बनने में बस भगवा कुर्ता , लंगोट और दो / चार मंत्रोच्चारण काफ़ी है। आपको बता दे कि कुछ ऐसे बाबा है, जिन्हें गायत्री मंत्र, हनुमान चालीसा तक नही आता। बस जय भोले का उच्चरण कर पैसे वसूलते है। अब सवाल उठता है कि क्या इनको बाबा बनना चाहिए? क्या ये वाकई सन्यासी है?
जी नही , बिल्कुल नही ।
ये अज्ञानी है। ऐसे अज्ञानी बाबाओं के कारण पूरा कौम बदनाम होता है। अगर जल्द से जल्द इन अज्ञानी बाबाओं पर ध्यान न दिया गया , तो देश का भविष्य आर्थिक व सामाजिक रुप से खतरे में पड़ सकता है।