रेहड़ी-पटरीयो पर खाने के साथ-साथ बीमारियों का प्रकोप
सरताज खान
लोनी शहर वह क्षेत्र है जहां बस अड्डे, रेलवे स्टेशन या अन्य किसी भीड़भाड़ वाले क्षेत्र में पटरी या रेहड़ी पर खाना बनाकर बेचने वाले दुकानदार खुलेआम बीमारियों को निमंत्रण दे रहे हैं। यह रेहडी पर बचा हुआ भोजन अगले रोज परोसकर व सफाई व्यवस्था पर ध्यान न देकर आं:त्रशोध जैसी बीमारियों को निमंत्रण दे रहे हैं। यही नहीं इन रेडियो पर श्रम विभाग की भी खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
उक्त मामले में पुलिस हो या स्वास्थ्य विभाग सब कुछ जानते हुए भी इस ओर से अपने निजी स्वार्थों के चलते अनजान बने बैठे हैं। इन रेहडियो से 10 या 15 रुपये में खाना खाकर मेहनत कर मजदूरी व रिक्शावाले अपना पेट भर लेते हैं। इन्हें सफाई व इस बात से कोई मतलब नहीं होता कि खाना बनाने के लिए कैसा पानी इस्तेमाल किया जा रहा है। जहा गंदे पानी व खुले में रखा खाना आं:त्रशोध जैसी बीमारियों को निमंत्रण दे रहा है। उक्त रेडियो पर घटिया क्वालिटी की सब्जियां बनाकर मेहनतकश लोगों के सामने परोसी जा रही है। किंतु गरीबी के मारे लोग करें तो क्या करें ? महंगाई के इस दौर में 10-15 रुपये में किसी तरह पेट तो भरना है।
इन रेडियो पर श्रम विभाग की भी खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। सुबह से शाम तक इन पटरियों पर लगी भीड़ को छोटे-छोटे बच्चे खाना परोसने व बर्तन धोने का कार्य करते हैं जो सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की खुलेआम अवहेलना है। केवल 10 रुपए में सब्जी रोटी तो कहीं 15 रुपये में दो पराठे और सब्जी मिल रही है। इन पटरियों पर खाना खाकर कौन कह सकता है कि शहरों में जीना व पेट भरना मुश्किल काम है। रेहडियो पर फैली गंदगी धूल मिट्टी व आस-पास की दुर्गंध से आं:त्रशोध जैसी बीमारी फैलने की संभावना बनी हुई है। बहुत सी जगह तो अयोग्य नल का पानी भी पिलाया जाता है। इसके बावजूद भी स्वास्थ विभाग के अधिकारी शांत बैठे हैं। पुलिस की जाने तो अधिकांश स्थानीय पुलिस चौकियों का यह हाल है कि वहां तैनात ठेकेदार के नाम से पहचान रखने वाला पुलिसकर्मी भी रेडियो पर आता है। शायद वहां के जिला प्रशासन, पुलिस व स्वास्थ्य विभाग को किसी बड़ी घटना होने का इंतजार है। जिस कारण तीनों विभाग मौन धारण किए हुए है।