यहां चंचला चलाती हैं वाहन स्टैंड
इलाहाबाद। सदर तहसील के वाहन स्टैंड में खड़ी महिला का व्यक्तित्व सामान्य नहीं है। न तो वह सामान्य परिवार की हैं और न ही उनका काम ही सामान्य है। सौ फीसद पुरुषों के वर्चस्व वाले वाहन स्टैंड सेक्टर में परचम लहराना चंचला का यह कदम प्रेरणादायक है।
वैसे तो लगभग हर क्षेत्र में महिलाएं मुकाम हासिल कर रही हैं, मगर चंचला केसरवानी ने जो क्षेत्र चुना वह निश्चित ही चुनौती भरा था। वाहन स्टैंड चलाना कोई सामान्य पेशा नहीं है। अक्सर यही देखा जाता है कि वाहन स्टैंड चलाने वाले रसूख वाले ही होते हैं मगर चंचला ने वो कर दिखाया जिसे आधी आबादी शायद सोच भी नहीं सकती। दरअसल, चंचला इस सेक्टर में अचानक ही कूदी। बड़ी दिलचस्प कहानी है उनकी। चंचला बिहार की राजधानी पटना में मारूगंज की रहने वाली हैं। उनकी शादी वर्ष 1973 में जानसेनगंज निवासी राजेश केशरवानी से हुई। राजेश का नैनी में रीवा मार्ग पर ईंट भट्ठा था। उन्हें चार बेटियां अर्चना, वंदना, रंजना और इंदिरा हुईं।
लगभग 26 साल पहले राजेश अचानक लापता हो गए। उनकी काफी खोजबीन हुई मगर कोई पता नहीं चल सका। चार बेटियों को पालना चंचला के लिए मुश्किल हो गया था। भट्ठा बैठ गया और पेट पालना मुश्किल हो गया। फिर चंचला ने अपनी सार्थकता दिखाई। उन्होंने टूथ पेस्ट, सोप आदि बेचना शुरू किया। इसी दौरान लगभग आठ साल पहले वह कलेक्ट्रेट पहुंची थीं। सदर तहसील गईं तो वहां संग्राम छिड़ा था। वाहन स्टैंड संचालक और कुछ लोगों से लड़ाई हो रही थी। फाय¨रग तक हुई थी। इसके बाद वहां से वाहन स्टैंड संचालक भाग गया था। इसके दूसरे दिन चंचला स्टैंड पहुंची तो वहां कोई नहीं था। उसी दिन उन्होंने वाहन स्टैंड चलाने का मन बना लिया। औपचारिकताएं पूरी कर उन्होंने वाहन स्टैंड ले लिया। पहले तो दिक्कत हुई मगर बाद में वह इसे बखूबी संभालने लगीं। दूसरे वर्ष उन्हें सदर तहसील के साथ ही कलेक्ट्रेट में भी वाहन स्टैंड का ठेका मिल गया। इसके बाद से वह इस सेक्टर में भी महिलाओं के लिए मिसाल बन गई। चारों बेटियों को पढ़ाकर उनकी शादी की और अब 60 साल की उम्र में भी वह उसी जज्बे के साथ स्टैंड का संचालन कर रही हैं।