साहब रईस बनारसी के मौत से पहले की यह तस्वीर तो कुछ और बयान कर रही है.

तारिक आज़मी,

प्रदेश में आतंक का पर्याय बना रईस बनारसी भले ही एक लावारिस मौत मारा गया हो मगर उसकी मौत एक मिस्ट्री बन कर सामने आ रही है. पहले तो यह कयास लगाया जा रहा था की रईस बनारसी ने राकेश अग्रहरी जो उसका साथी था पर हमला किया और उसको गोली मारी तथा उसके प्रतिउत्तर में राकेश की गोली से घायल होकर रईस बनारसी वहा से भागा उसी हमले में उसकी मौत हो गई है. मगर अभी भी कोई क्लियर पिक्चर सामने नहीं आ रही है. इसी क्रम में आज एक फोटो सोशल मीडिया पर प्राप्त हुआ है जो रईस बनारसी के मौत के पहले मस्जिद का है. इस फोटो को ध्यान से देखे तो फोटो कुछ और बयान कर रहा है. ध्यान से देखे तो फोटो काफी दूरी से खीचा गया लगता है क्योकि फोटो की पिक्सल फट रही है. यानि जिसने इस फोटो को खीचा है वह भी शायद खौफ के साये में उसके पास नहीं जा सका होगा.

क्या है क्षेत्र में सुगबुगाहट.

जैसा कि हमने कल ही अपनी खबर में बताया था कि रईस बनारसी के साथ एक नहीं दो युवक थे और एक युवक सीढिया चढ़ कर ऊपर मस्जिद में गया था. क्षेत्रीय सुगबुगाहट के ऊपर कान धरा जाये तो इस सम्बन्ध में चर्चा है की रईस बनारसी के साथ एक युवक हेलमेट लगाये हुवे ऊपर सीढिया चढ़ के गया था और दूसरा हेलमेट लगाये हुवे नीचे ही था. चर्चा तो यह भी है कि रईस खुद से सीढिया चढ़ता हुआ ऊपर गया था और जूते चप्पल के जगह उसने अपने जूते उतारे साथ में आये उस युवक को अपने साथ लिया असलहा, पैसे, मोबाइल और पर्स सब प्रदान किया. वहा से वह लड़का वापस हेलमेट लगाये हुवे ही चला गया जबकि रईस बनारसी मस्जिद के मेंबर के पास (जहा मौलाना यानी इमाम खड़े होकर नमाज़ पढ़ाते है) बैठ गया. इस दौरान अपने शरीर से रिश्ता खून देख जिससे मस्जिद की वह जगह दागदार हो रही थी तो आगे सरक कर बैठ गया और काफी देर बैठा रहा तथा किसी से कुछ बोला नहीं. रईस मस्जिद में अपने होश में लेटा नहीं था और बैठा हुआ था. चर्चा से प्राप्त श्रोत के अनुसार उस समय मगरिब (शाम की अज़ान जो सूरज डूबने के समय होती है) का वक्त हो रहा था और नमाज़ी नमाज़ के लिये आने शुरू हो चुके थे. इस दौरान मार्किट के दुकानदार भी मस्जिद में आ गये.

चर्चाओ की माने तो इसी दौरान किसी ने डायल 100 पर काल करके घटना के सम्बन्ध में बताया तो मौके पर पुलिस कर्मी पहुचे और घायल रईस को वहा से क्षेत्रीय जनता के सहयोग से लेकर मंडलीय अस्पताल गये.  मंडलीय चिकित्सालय में कौन क्षेत्रीय लोग इसको लेकर गये थे इसकी जानकारी अभी किसी को प्राप्त नहीं हो पा रही है जबकि बताया जा रहा है की दो युवक इसको अपनी बाइक से लेकर अस्पताल गये थे और वहा इसको छोड़ के फरार हो गये. लोगो के बीच आपसी बातचीत में यह भी बात निकल कर सामने आ रही है कि रईस बनारसी लगभग 15-20 मिनट से अधिक समय तक वहा बैठा हुआ था. इसी दौरान किसी के द्वारा दूर खड़े होकर अपने मोबाइल से फोटो लिया गया जिसको देख कर यह प्रतीत होता है कि रईस बनारसी शायद किसी का इंतज़ार कर रहा हो.

बड़ा सवाल 

अगर गोली लगने के बाद रईस बनारसी को अपनी मौत आश्वस्त लग रही थी और आखरी समय वह मस्जिद में जाना चाहता था तो जिस जगह क्रास फायरिंग की बात चल रही है वहा से रास्ते में और भी मस्जिद है फिर आखिर लंगड़े हाफिज की मस्जिद ही क्यों आया वह ?

उसके द्वारा अपने साथी को पैसे मोबाइल पर्स और असलहा देना इस बात का इशारा करता है कि रईस बनारसी को अपने बच जाने की पूरी उम्मीद थी और इसी वजह से वह अपनी पहचान कुछ समय गुप्त रखना कहता होगा, या फिर अपने किसी शुभचिंतक का वह वहा इंतज़ार कर रहा होगा जो उसको समुचित इलाज उपलब्ध करवा दे.

खैर जो भी हो मगर जिस प्रकार से यह तस्वीर है उसके अनुसार मौके पर काफी लोग रहे होंगे जिनके द्वारा पुलिस को सूचनाये तो प्राप्त हो सकती है. हम एक बार फिर इस शब्द को दोहराना चाहते है कि साथ में आये दोनों को या तो वाकई में किसी ने नहीं पहचाना होगा या फिर खौफ का साया उनको जुबान खामोश रखने को कहता है

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