सबको प्रणाम हमारा हिंदी में – नफीस अंसारी
पलिया में हुई हिंदी दिवस पर सरस काव्य गोष्ठी आयोजित
फारुख हुसैन
पलियाकला – खीरी। हिन्दी दिवस के शुभ अवसर पर स्थानीय श्री कुल परिवार सेवा समिति आश्रम पर नगर के वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार राम चन्द्र शुक्ल की अध्यक्षता में एक सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमे नगर के प्रमुख कवियो ने कविता पाठ कर सैकड़ों श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।
सर्व प्रथम समिति के श्री कुल उपासक पंडित गोविंद माधव सहित सभी कवियों ने विद्या और बुद्धि की देवी माँ सरस्वती जी के चित्र पर धूप दीप प्रज्वलित कर माल्यार्पण किया। पश्चात कवि रविन्द्र तिवारी ने सस्वर सरस्वती वंदना कर देश की एकता पर अपनी निम्न ससक्त रचना पढ़ी।
इधर से बहती आई गंगा, उधर से जमुना आई।
मिलकर एक रूप हो जाती, कही न कोई लड़ाई।।पश्चात प्रमुख कवि एवं शिक्षक नफीस अंसारी ने कहा-
हम है हिंदी वाले, हर काम हमारा हिंदी में।
हिन्दू मुस्लिम सबको प्रणाम, हमारा हिंदी में।।
इसके बाद कवि रोशन भारती ने अपनी बात कुछ यू कही-
हमे उर्दू से मोहब्बत है, हमे हिंदी से यारी है।
चहकते हर जबा पर हम, यही खुशबू हमारी है।।
नगर के युवा कवि फारुख हुसैन ने कई गजलें पढ़कर अपनी एक रचना कुछ इस तरह कही।
हमारी आन, हमारी शान, हमारा अभिमान है हिन्दी।
हो चाहे देश में कितनी भाषा, हमारा सम्मान है हिन्दी।।इसके बाद वीर रस के कवि दीपक पांडेय ने राष्ट्र प्रेम से सम्बंधित कई अच्छी रचना पढ़कर श्रोताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया। कवि मोबिन अहमद इस सामाजिक समरसता से जुड़ी कई देश भक्ति की कुछ पंक्तिया इस तरह पढ़ी।
हम अपने दिल मे मोहब्बत का चमन रखते है।
अपने फौलाद इरादों में भी काफी वजन रखते है।।
जान इस देश पे अपनी लुटाने को।
सर पे बांधे हुए, हर वक्त कफन रखते है।।
अंत मे कवि गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे नगर के कवि राम चन्द्र शुक्ल ने राष्ट्र भाषा हिन्दी की समस्याओं पर प्रकाश डाल उससे जुड़ी रचनाओं का पाठ किया जिसकी एक बानगी देखिये।
दलपति चंद केदार अरु जगनिक, सूर कबीर के काल की हिन्दी।
पंत प्रसाद निराला ने गाई थी, तुलसी के लाडिले लाल की हिन्दी।।
इस मौके पर समिति के अध्यक्ष शान्ति स्वरूप शुक्ला, संरक्षक गगन मिश्रा, सुनील गुप्ता, पंडित ज्ञानेश दत्त, कुन्ता अग्रवाल, जेपी शर्मा, आचार्य अतुल शास्त्री, सोमेश माधव, नवीन अग्रवाल, सुखवीर सिंह, राम निवास, दौलत राम शर्मा, नोमान अली सहित अनेक श्रोतागड़ उपस्थित रहे।