2018 पत्रकारों के लिए सबसे ख़तरनाक वर्ष रहा :
आदिल अहमद : आफ़ताब फ़ारूक़ी
पत्रकारों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था इन्टरनेश्नल फ़ेडरेश्न आफ़ जर्नलिस्ट के अनुसार 2018 में 94 पत्रकार और मीडिया स्टाफ़ अपने दायित्वों के निर्वहन के दौरान मार दिए गये।
आईएफ़जे की ओर से जारी वार्षिक रिपोर्ट में बताया गया है कि इन मृतक पत्रकारों में 5 पाकिस्तान में मारे गये। ज्ञात रहे कि आईएफ़जे की रिपोर्ट के अनुसार 2017 में 82 पत्रकारों की हत्या की गयी थी और पत्रकारों की हत्या की घटनाओं में वृद्धि, पिछले तीन सालों से हो रही है।
वर्ष 2018 के अंत में प्रकाशित होने वाली यह सूची 146 देशों के 6 लाख से अधिक पत्रकारों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था आईएफ़जे की 29वीं रिपोर्ट थी।
रिपोर्ट में बताया गया था कि पिछले वर्ष 84 पत्रकार, कैमरामैन, टेक्नीशियन की जानें टारगेट किलिंग, बम धमाके या फ़ायरिंग की घटनाओं में चली गयीं जबकि मारे गये 10 अन्य लोगों में ड्राइवसर, सुरक्षा पर लगे अधिकारी या सेल्ज़ अधिकारी भी शामिल थे।
मारे गये इन 94 लोगों में 6 महिलाएं भी शामिल थीं। 2018 के लिए आईएफ़जे की रिपोर्ट के अनुसार अफ़ग़ानिस्तान, सीरिया और यमन में अधिक से अधिक पत्रकारों की हत्या कट्टरपंथ की वजह से हुई है।
रिपोर्ट में बताया गया कि भारत, पाकिस्तान और फ़िलिपीन में स्वतंत पत्रकारित के हवाले से असहिष्णुता, भ्रष्टाचार और अपराध इत्यादि की घटनाओं में वृद्धि के कारण पत्रकारों की जानें गयीं।