अस्थाना की ऍफ़आईआर रद्द करने की मांग हाई कोर्ट में किया ख़ारिज, गिरफ़्तारी पर लगी अंतरिम रोक भी हटी
आदिल अहमद
नई दिल्ली: राकेश अस्थाना की मुश्किलें कम होती नही दिखाई दे रही है। पहले खुद सीबीआई ने उनके खिलाफ ऍफ़आईआर दर्ज करवाया जिसमे उनको थोड़ी मदद मिली थी और अंतरिम आदेश गिरफ़्तारी हेतु मिला था। अब दिल्ली हाई कोर्ट से सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना को बड़ा झटका मिला है। दिल्ली हाई कोर्ट ने राकेश अस्थाना की याचिका रद्द कर दी है। बता दें कि राकेश अस्थाना ने अपने ख़िलाफ़ दर्ज हुई एफआईआर रद्द करने की मांग की थी, जिसे दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। बता दें कि 20 दिसंबर को दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस नज़मी वजीरी ने राकेश अस्थाना और डीएसपी देवेंद्र कुमार की याचिका पर सुनवाई पूरी करके फैसला सुरक्षित रखा था। दरअसल, 2 करोड़ रुपये के रिश्वत के मामले में तत्कालीन सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा ने ऍफ़आईआर दर्ज कराई थी।
बता दें कि सीबीआई में नंबर दो रैंक के अधिकारी हैं राकेश अस्थाना, जिन्हें केंद्र सरकार ने छुट्टी पर भेज दिया है। कोर्ट ने कहा इस मामले में ऍफ़आईआर करने से पहले हायर अथॉरिटी की इजाज़त ज़रूरत नहीं थी। साथ ही सीबीआई को कोर्ट ने कहा कि 10 हफ़्ते में जांच पूरी करे। कोर्ट ने राकेश अस्थाना की गिरफ्तारी पर लगी अंतरिम रोक भी हटाई।
उस समय के सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने कहा था कि राकेश अस्थाना के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों में प्राथमिकी दर्ज करते समय सभी अनिवार्य प्रक्रियाओं का अनुपालन किया गया था। कारोबारी सतीश बाबू सना ने आरोप लगाया था कि उसने एक मामले में राहत पाने के लिए रिश्वत दी थी। सना ने अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार, जबरन वसूली, मनमानापन और गंभीर कदाचार के आरोप लगाए थे।
दरअसल, सीबीआई के तत्कालीन डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के बीच जंग जब सार्वजनिक हो गई और आरोप-प्रत्यारोप खुलकर सामने आ गये, तब आनन-फानन में केंद्र सरकार ने दोनों सीबीआई की टॉफ अफसरों को छुट्टी पर भेज दिया और एम नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक नियुक्त कर दिया।
बताते चले कि राकेश अस्थाना 1984 बैच के गुजरात कैडर के आईपीएस हैं। वह पहली बार साल 1996 में चर्चा में आए, जब उन्होंने चारा घोटाला मामले में लालू यादव को गिरफ्तार किया। दूसरी तरफ, 2002 में गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आगजनी की जांच के लिए गठित एसआईटी का नेतृत्व भी राकेश अस्थाना ने ही किया था। इसके अलावा वह अहमदाबाद ब्लास्ट और आसाराम केस जैसे तमाम चर्चित मामलों की जांच में शामिल रहे हैं। आपको बता दें कि राकेश अस्थाना को पिछले साल अक्टूबर में सीबीआई का स्पेशल डायरेक्टर नियुक्त किया गया था। सीबीआई में यह उनकी दूसरी पारी है। इससे पहले वह अतिरिक्त निदेशक के पद पर काम कर चुके हैं। वडोदरा और सूरत के पुलिस कमिश्नर रहे राकेश अस्थाना को पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का करीबी भी माना जाता है।
सीबीआई ने अपने स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के ख़िलाफ़ एक ऍफ़आईआर दर्ज कराई है। इस ऍफ़आईआर में अस्थाना पर मीट कारोबारी मोइन क़ुरैशी के मामले में जांच के घेरे में चल रहे एक कारोबारी सतीश सना से दो करोड़ रुपए की रिश्वत लेने का आरोप है। सीबीआई में नंबर दो की हैसियत रखने वाले। राकेश अस्थाना इस जांच के लिए बनाई गई एसआईटी के प्रमुख हैं। कारोबारी सतीश सना का आरोप है कि सीबीआई जांच से बचने के लिए उन्होंने दिसंबर 2017 से अगले दस महीने तक क़रीब दो करोड़ रुपए रिश्वत ली।
ऍफ़आईआर दर्ज होने के बाद राकेश अस्थाना ने सीबीआई के तत्कालीन डायरेक्टर आलोक वर्मा पर पलटवार करते हुए उन पर ही रिश्वतखोरी का आरोप लगाया है। अस्थाना ने सरकार को एक पत्र लिखकर गलत एफआईआर दर्ज करने का आरोप लगाया है। अस्थाना का दावा है कि सतीश सना कि यह शिकायत सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के कुछ अधिकारियों की साजिश है। उन्होंने सीबीआई चीफ और सीवीसी अरुण शर्मा के खिलाफ भी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। अस्थाना ने बताया कि उन्होंने अगस्त में ही कैबिनेट सचिव को इन शीर्ष अधिकारियों के भ्रष्टाचार के 10 उदाहरण, आपराधिक कदाचार, संवेदनशील मामलों की जांच में हस्तक्षेप की जानकारी दी थी।