6 महीनों में 1 लाख से अधिक अवैध फेरीवालों पर कार्रवाई

राज जायसवाल
मुंबई महानगर पालिका ने दावा किया है कि उसने पिछले छह महीने में एक लाख से ज्यादा अनधिकृत फेरीवालों पर कार्रवाई की है और उनसे 30 करोड़ रुपये से ज्यादा का सामान जप्त किया है। इतना ही नहीं 2 करोड़ रुपये से ज्यादा दंड भी वसूला है। बीएमसी अतिक्रमण निर्मूलन विभाग के डेप्युटी म्युनिसिपल कमिश्नर मिलिंद सावंत ने यह जानकारी देते हुए बताया कि यह कार्रवाई 1 अप्रैल से 30 सिंतबर के बीच की गई है। उन्होंने बताया कि फेरीवालों के खिलाफ अतिक्रमण निर्मूलन की कार्रवाई अभी भी जारी है। सुबह और शाम को भीड़ के वक्त रास्तों पर अतिक्रमण करने वाले फेरीवालों के खिलाफ सघन अभियान चलाया जा रहा है। कहां कितनी कार्रवाईडेप्युटी कमिश्नर सावंत ने बताया कि सबसे ज्यादा ऐक्शन दादर, प्रभादेवी के इलाके में 13,173 फेरीवालों पर हुआ, इसके बाद पूर्वी उपनगर के कुर्ला में 6,247 फेरीवालों पर और पश्चिमी उपनगर में 4,957 फेरीवालों पर कार्रवाई की गई। उन्होंने बताया कि अब तक 1,12,651 अनधिकृत पेरीवालों का 30 करोड़ 59 लाख रुपये का माल जप्त किया गया है तथा 2 करोड़ 3 लाख रुपये का दंड भी वसूला गया। इस दौरान 5,160 हाथगाड़ी, 1044 गैस सिलिंडर, 57 टेबल स्टॉल, 24 गन्ने के ज्यूस की मशीन जब्त की गई हैं। जप्त किए गए गैस सिलिंडर को संबंधित गैस कंपनियों को वापस लौटाए जा रहा है। इस दौरान हुई कार्रवाई में 20,072 खाद्य पदार्थ बेचने वालों पर भी कार्रवाई हुई है। हालात जस के तस है. तसबीएमसी भले ही अतिक्रमण हटाने का दावा कर रही है, लेकिन सड़कों, फुटपाथों पर अतिक्रमण के हालात अब तक बदले नहीं है। बीएमसी की कार्रवाई के कुछ घंटों के भीतर ही फेरीवाले फिर से कब्जा जमा लेते हैं। 

फेरीवालों पर कार्रवाई गैरकानूनी: निरुपम

मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम ने फेरीवालों के खिलाफ बीएमसी की इस कार्रवाई को गैरकानूनी बताया है। उन्होंने कहा कि देश की संसद ने 2014 में स्ट्रीट वेंडर ऐक्ट पारित किया है। जिसमें फेरीवालों को जीवनयापन के लिए संरक्षण देने और उन्हें नियमित करने का प्रावधान है। यह कानून पूरे देश में 1 मई 2014 से लागू है। इस कानून के मुताबिक 1 मई 2014 तक के जितने भी फेरीवाले हैं बीएमसी उन्हें हटा नहीं सकती। निरुपम ने कहा कि उनकी जनहित याचिका पर मुंबई हाई कोर्ट ने भी 12 अगस्त 2015 को बीएमसी को आदेश जारी किया है कि वह फेरीवालों को संरक्षण दे।अदालत के इस आदेश पर अमल के लिए वह कोर्ट के ऑर्डर के साथ बीएमसी कमिश्नर और मुंबई पुलिस कमिश्नर को पत्र लिख कर जानकारी दे चुके हैं, इसके बावजूद अगर बीएमसी फेरीवालों पर कार्रवाई कर रही है, तो वह कोर्ट के आदेश की अवमानना कर रही हैं। उन्होंने कहा कि बीएमसी जानबूझकर कर स्ट्रीट वेंडर ऐक्ट के प्रावधानों का पालन नहीं कर रही। इस कानून को लागू हुए दो साल से ज्यादा वक्त हो गया है, लेकिन न तो अब तक टाउन वेडिंग समिति बनी है, और न बीएमसी ने वैध फेरीवालों का सर्वे कराया है। फिर बीएमसी वैध और अवैध फेरीवालों में किस आधार पर अंतर करती है।

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