आस्था या आडम्बर – खुद को देवी का अवतार बताने वाला ये शख्स पीता है बकरे का खून
शाहनवाज़ खान
बांदा. शहर के चौंसठजोगनी माता मंदिर में नवरात्रि की नवमी को सैकड़ों पशुओं की बलि दी जाती है। आस्था के नाम पर खुद को देवी का रूप बताकर एक शख्स बकरों की कटी गर्दन में मुंह लगाकर खून भी पीता है। कैमरे में इस परंपरा के कैद होने के बाद कोई भी ज़िम्मेदार अफसर इस पर बोलने को तैयार नहीं है।
बलि प्रथा पर है रोक
स्थानीय नागरिकों और समाजसेवियों की शिकायत पर जिला प्रशासन ने इस प्रचलन पर रोक भी लगा रखी है। इसके बावजूद ये कारगर नहीं है। यहां पशुबलि कर रहे कसाई बारेलाल ने बताया कि यहां जिसकी मन्नत पूरी होती है वह बकरे की बलि देता है।
अफसरों ने कुछ भी कहने से मना किया
उनका कहना है कि मंदिर के पुजारी पर खुद मां चौंसठजोगिनी होती हैं जो भक्तों के जानवरों को ग्रहण करती हैं। बारेलाल का कहना है कि पुजारी के खून ग्रहण करने के बाद ही भक्तों को मांस का प्रसाद दिया जाता है। इस संबंध में जिले के कई अधिकारियों से संपर्क किया गया लेकिन उन्होंने इस मामले में कुछ भी कहने से मना कर दिया।