कानपुर – एक ऐसा मंदिर जहा आज भी होती है रावण की पूजा
दिग्विजय सिंह / समीर मिश्रा
कानपुर नगर । दशहरा के दिन जहाँ पूरे देश में असत्य पर सत्य की विजय के रूप में पूरे देश भर में रावण का पुतला जलाया जाता है लेकिन कानपुर में दशहरे के दिन भारत के एकलौते मंदिर में सबसे पहले रावण के मंदिर में रावण की पूजा आरती कर दशहरे की शुरुआत की जाती है ।
आपको बतादे की पूरे देश में विजयदशमी में रावण का प्रतीक रूप में वध कर उसका पुतला जलाया जाता है , लेकिन उत्तर प्रदेश में कानपुर एक ऐसी जगह है जहा दशहरे के दिन रावण की पूजा की जाती है इतना ही नहीं यहाँ पूजा करने के लिए रावण का मंदिर भी मौजूद है जो केवल वर्ष में एक दिन के लिए दशहरे के मौके पर खोला जाता है और रावण जलने से पहले मंदिर को बंद कर दिया जाता है ।
विजयदशमी के दिन इस मंदिर में पूरे विधिविधान से रावण का दुग्ध स्नान और अभिषेक कर श्रंगार किया जाता है..उसके बाद पूजन के साथ रावण की स्तुति कर आरती की जाती है । कानपुर एक ऐसा शहर है जंहा रावण का मंदिर है । रावण का यह मंदिर शहर के बीचो – बीच शिवाले स्थित कैलाश मंदिर में सैकड़ो वर्ष पुराना है । आज रावण मंदिर में सुबह भक्तो ने रावण की प्रतिमा का पहले श्रृंगार किया फिर विधि विधान से पूजा अर्चना की । कैलाश मंदिर में रावण का यह मंदिर साल में एक दिन दशहरा वाले ही दिन खुलता है । आज पूजा के अवसर पर सैकड़ो भक्त मंदिर में इक्कट्ठा हुए और पूजा करने के साथ – साथ रावण की आरती भी की । लोगो का कहना है की रावण विद्वान था और वो भगवान शंकर का भक्त था इसलिए उसकी पूजा साल में एक बार की जाती है । यंहा 1868 में मंदिर स्थापित हुआ था । इस मंदिर में महिलाये तरोई के फूल चढ़ती है इसके पीछे मान्यता है की इससे उनके पति की आयू लम्बी होगी । भक्तो का कहना है की रावण एक महान भ्रह्मण था और उनके मंदिर में शुद्ध सरसो के तेल का दीपक जलाया जाता है और शुद्ध खोये की मिठाई चढ़ाई जाती है ।