6 माह पहले मृत डॉ रफ़ी की लाश खोलेगी अपने संदिग्ध मौत का राज़, आजमगढ़ में डिप्टी सीएमओ रहे डॉ रफ़ी की कब्र से निकली लाश,

मामला पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही खुलासा होगा कि आखिर डॉ रफ़ी को क्या हुआ था ? पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतज़ार शायद डॉ रफ़ी की पत्नी और उनके साले परवेज़ हाशमी को भी होगा तो इंतज़ार उन चिकित्सको को भी होगा जो डॉ रफ़ी के परिजनों के हमदर्द बनकर कौम के ठेकेदार की तरह आकर उनके परिजनों को गुनाह और सबाब बताना चाहते थे। इंतज़ार क्षेत्र के हर एक नागरिक को भी है जहा डाक्टर रफ़ी खेल कूद कर जवान हुवे। जहा उनके पिता कुवर अली ने उम्र गुज़ार दिया और आखरी सांसे लिया। इंतज़ार......... और इंतज़ार.........  

  • कुदरत का करिश्मा देख लोग हुवे अचंभित

तारिक आज़मी

वाराणसी. आजमगढ़ जनपद में तैनात रहे डिप्टी सीएमओ डॉ रफ़ी की लाश को आज कब्र खोद कर पोस्टमार्टम हेतु निकाला गया। जिलाधिकारी के आदेश पर सिटी मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में भारी पुलिस बल के साथ आज आदमपुर थाना क्षेत्र स्थित लाटसरैया कब्रिस्तान से कब्र को खोद कर लाश निकाली गई और पोस्टमार्टम हेतु भेजा गया। समाचार लिखे जाने तक पोस्टमार्टम जारी था। कब्र खोद कर पोस्टमार्टम की मांग डॉ रफ़ी की माँ ने किया था।

गौरतलब है कि डॉ रफ़ी हाश्मी आजमगढ़ जनपद में डिप्टी सीएमओ के पद पर कार्यरत थे। वह अपनी पत्नी और बच्चे सहित आजमगढ़ में ही सरकार द्वारा प्राप्त आवास पर रहते थे। डॉ रफ़ी के परिजनों से प्राप्त जानकारी के अनुसार दिनांक 20 दिसम्बर को डॉ रफ़ी की संदिग्ध परिस्थितियो में मौत हो गई थी और देर शाम डॉ रफ़ी की पत्नी और उसके भाई महाराजगंज जनपद के रहने वाले परवेज़ हाशमी ने डॉ रफ़ी के परिजनों को इसकी जानकारी दिया कि उनकी स्थिति काफी खराब है।

वाराणसी के आदमपुर थाना क्षेत्र के कोइला बाज़ार स्थित सलेमपुरा में डॉ रफ़ी का पैत्रिक आवास है जहा उनकी विधवा माँ, तीन बहाने, एक मानसिक और शारीरिक विकलांग भाई और एक छोटा भाई रहता है। इस जानकारी के प्राप्त होने के बाद वाराणसी के डॉ रफ़ी के एक जीजा, के साथ डॉ रफ़ी के चाचा और भाई वाराणसी से आजमगढ़ पहुचे तो एक शव वाहन में डॉ रफ़ी का मृत अवस्था में पार्थिव शरीर रखा था और वाराणसी लाने की पूरी तैयारी थी। परिजनों के पहुचते ही डॉ रफ़ी की पत्नी और उसके भाई परवेज हाशमी ने शव सहित सबको वाराणसी वापस चलने को कहकर वापस वाराणसी लेकर आ गए।

परिवार के जवान और एकलौते कमाने वाले बेटे की मौत से आहात परिवार और बीमार माँ भाई विलाप बहन विलाप ही कर रहे थे कि डॉ रफ़ी के ससुराली रिश्तेदारों ने उनके अंतिम संस्कार की तैयारी कर लिया और रात को ही अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस दौरान क्षेत्र के निवासियों ने जिसने भी पार्थिव शरीर को देखा सभी का आज भी कहना है कि मौत स्वाभाविक नही है। क्षेत्रीय नागरिको ने बताया कि मृत शरीर काफी फुला हुआ था। नाक, मुह और कान से खून बह रहा था। शरीर में चोट के निशान भी दिखाई पड़ रहे थे और शरीर नीला पड़ा हुआ था।

परिजनों के शक के घेरे में है डॉ रफ़ी की पत्नी और साला परवेज़ हाशमी

परिजनों और क्षेत्रीय नागरिको द्वारा प्राप्त जानकारी को आधार माने तो अंतिम संस्कार के लिए जैसे ही शव यात्रा निकली है वैसे ही डॉ रफ़ी की पत्नी अपने भाई के साथ डॉ रफ़ी के मोबाइल उनके वालेट, समस्त कागज़ात और ज्वेलरी सहित उनकी तीन चार पहिया वाहन लेकर जाने लगी तो क्षेत्र के लोगो ने आपत्ति किया कि अंतिम संस्कार के बाद दो दिन रुका जाता है। इस पर डॉ रफ़ी की पत्नी ने सबको धमकी देते हुवे कहा कि अगर मुझे रोका तो मैं छत से कूद जाउंगी। उसकी इस धमकी से परिजन डर गए और फिर वह अपने भाई के साथ वाराणसी से आजमगढ़ होते हुए महाराजगंज चली गई। डॉ रफ़ी के परिजनों और क्षेत्रीय नागरिको को डॉ रफ़ी के पत्नी और साले की इस हरकत पर भी शक है। वही जानकारों ने बताया कि डॉ रफ़ी के पत्नी की महिला मित्र जो आजमगढ़ की समाजसेविका होने का दावा करती है की गतिविधिया काफी संदिग्ध थी और वह डॉ रफ़ी के कमरे में सभी सामानों की तलाशी लेकर एक एक कागज़ात यहाँ से लेकर गई है।

पोस्टमार्टम की कर रहे थे मृतक के परिजन मांग

अंतिम संस्कार के बाद से ही मृतक डॉ रफ़ी के परिजन लगातार पोस्टमार्टम की मांग कर रहे थे। इस क्रम में दिसंबर के अंत में ही उन्होंने कई जगह दरखास्त डाली। इसी क्रम में शुरू जनवरी में परिजन एसएसपी वाराणसी से मिलकर उनको अपनी फ़रियाद सुनाई और पोस्टमार्टम की गुहार लगाई। जिस पर एसएसपी वाराणसी ने मामले में जांच का आदेश थाना आदमपुर को दे दिया। इसी क्रम में परिजनों ने जिलाधिकारी वाराणसी से मुलाकात कर उनसे भी अपनी गुहार लगाई। इस गुहार के बाद जिलाधिकारी ने थाना आदमपुर से रिपोर्ट तलब किया और थाना आदमपुर ने आजमगढ़ से भी जानकारी मांगी कि क्या डॉ रफ़ी का अंतिम संस्कार से पूर्व पोस्टमार्टम हुआ था। समस्त जानकारी आने में थोडा समय लगा और चुनाव आचार संहिता लागू हो गई और प्रशासन चुनावों में व्यस्त हो गया। मगर मृतक डॉ रफ़ी के परिजनों ने न्याय की आस नही छोड़ा और लड़ाई जारी रही। आज अंततः जिलाधिकारी के आदेश पर कब्र खोद कर लाश निकाला गया और पोस्टमार्टम हुआ।

परिजनों पर पड़ा पोस्टमार्टम न करवाने का काफी दबाव

मृतक डॉ रफ़ी के परिजनों पर पोस्टमार्टम न करवाने का काफी धार्मिक नियमो का हवाला देकर दबाव डाला गया। आरोपों को आधार माने तो आजमगढ़ के एक मुस्लिम चिकित्सक के साथ प्रयागराज और वाराणसी के दो अन्य मुस्लिम चिकित्सको ने डॉ रफ़ी के परिजनों को धर्म का हवाला देकर काफी दबाव डाला कि पोस्टमार्टम न करवाए। इस चिकित्सको ने तो एक बार रात्रि एक बजे तक परिजनों को मानसिक रूप से संतुष्ट करने का प्रयास किया। यहाँ तक कि उनमे से आजमगढ़ से आये एक चिकित्सक ने तो यहाँ तक कह डाला कि आप लोगो को डॉ रफ़ी की पत्नी और साले परवेज़ हाशमी से कहकर कुछ रकम दिलवा देता हु। मगर अपने घर के सदस्य की इस प्रकार मौत से टुटा परिवार इन्साफ चाहता था और आखिर उनको इन्साफ की एक उम्मीद जगी है।

कुदरत का करिश्मा देख दांतों तले लोगो ने दबाई उंगलिया

आजमगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएमओ डॉ रफ़ी का अंतिम संस्कार होने के आज 6 माह से अधिक समय के बाद कब्र खोद कर लाश निकाली गई। अमूमन मृत्यु के 24 घंटो में बॉडी डिस्पोज़ होना शुरू हो जाती है। कब्र की स्थिति में देखे तो एक सप्ताह में हाथो के नाख़ून, सर के बाल और नाक अपना रूप बदल देती है। लगभग 20 दिन में पेट फट जाता है और अम्ल निकल कर बाहर आ जाते है। तीन से 4 माह में शरीर के सभी मांस गल जाते है और केवल कंकाल बचता है। 6 माह में कंकाल की हड्डिया भी अलग अलग हो जाती है। यही नहीं डॉ रफ़ी के लाश से बदबू भी नही आ रही थी। आने वाली दुर्गन्ध केवल कब्र की स्थितियों की थी।

सुबह जब कब्र की खुदाई शुरू हुई तो सभी को यही आशा थी कि कब्र से केवल हड्डिया ही बरामद होंगी। मगर कहते है कि कुदरत का इन्साफ एकदम अलग है। शायद कुदरत डॉ रफ़ी के मौत का राज़ बया करना चाहती थी। कब्र जब खोदी गई तो डॉ रफ़ी का शव पूरी तरह से लगभग सही सलामत निकला। आस पास खडी भीड़ ने दांतों तले उंगलिया दबा लिया जब उन्होंने देखा कि कब्र की मिटटी ही सिर्फ कफ़न पर गिरी है और शरीर अभी तक डिस्पोज़ नही हुआ है। ये वाकई कुदरत का करिश्मा ही कहा जाएगा अन्यथा इतने समय के उपरान्त तो शरीर की सिर्फ हड्डिया ही शेष निकलती है। शायद कुदरत डॉ रफ़ी के मौत का राज़ खोलना चाहती है। शायद कुदरत उस बीमार माँ को इस बात की तसल्ली देना चाहती है कि वह जान सके कि उसका जवान बेटा आखिर कैसे मरा। शायद कुदरत इस बात को अया करना चाहती है कि मानसिक और शारीरिक विकलांग एक भाई अपने उस भाई की मौत की वजह जान सके जो उसकी विकलांगता का सहारा था। शायद कुदरत उन कुवारी बहनों को ये बताना चाहती है कि उनकी डोली को कन्धा देने वाला उनका भाई कैसे इस दुनिया से रुखसत हुआ है।

कहा जा सकता है कि अभी पिक्चर शायद बाकी है। मामला पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही खुलासा होगा कि आखिर डॉ रफ़ी को क्या हुआ था ? पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतज़ार शायद डॉ रफ़ी की पत्नी और उनके साले परवेज़ हाशमी को भी होगा तो इंतज़ार उन चिकित्सको को भी होगा जो डॉ रफ़ी के परिजनों के हमदर्द बनकर कौम के ठेकेदार की तरह आकर उनके परिजनों को गुनाह और सबाब बताना चाहते थे। इंतज़ार क्षेत्र के हर एक नागरिक को भी है जहा डाक्टर रफ़ी खेल कूद कर जवान हुवे। जहा उनके पिता कुवर अली ने उम्र गुज़ार दिया और आखरी सांसे लिया। इंतज़ार……… और इंतज़ार………

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *