भाकियू अन्नदाता ने मीट फैक्टरी एवं सरकारी विभागों के खिलाफ किया धरना प्रदर्शन
गौरव जैन
रामपुर – दिनांक 17 अगस्त 2019 को भारतीय किसान यूनियन अन्नदाता के पदाधिकारी व कार्यकर्ता पहले से तय कार्यक्रम के तहत कलेक्ट्रेट गेट के पास एकत्रित हुए और मीट फैक्ट्री के दूषित पानी को भूगर्भ में जाने से रोकने, नलकूप कनेक्शन का लक्ष्य बढ़ाने, बकाया गन्ना भुगतान कराने, वन विभाग पर नकेल कसने ,उद्यान विभाग के घोटालों की जांच करने आदि मांगों को लेकर जोरदार प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन अपर जिला अधिकारी राजस्व को सौंपा।
इस मौके पर बोलते हुए युवा प्रदेश अध्यक्ष उस्मान अली पाशा ने कहा 1925 में 10 ग्राम सोने का मूल्य 18 रुपए और एक क्विंटल गेहूं 16 रुपए का होता था ,1960 में 10 ग्राम सोना 111 रुपए और एक क्विंटल गेहूं 41 रुपए का था जबकि आज 10 ग्राम सोने का मूल्य 30,600 रुपए है, तो एक क्विंटल गेहूं महज 1840 रुपए का ही है । 1965 में केंद्र सरकार के प्रथम श्रेणी अधिकारी के एक माह के वेतन से छह क्विंटल गेहूं खरीदा जा सकता था आज उस केंद्रीय कर्मी के एक माह के वेतन से 30 क्विंटल गेहूं खरीदा जा सकता है।
यह तुलनात्मक आंकड़ा साबित करता है कि सभी सरकारों ने मिलकर किसान को रोंदा है , किसानों के श्रम का सम्मान कितने अन्यायपूर्ण तरीके से करती चली आ रही है । सरकार कृषि उपज का जो समर्थन मूल्य घोषित करती है वह देश की लगभग 60 फीसदी से अधिक आबादी के सम्मान और समानता से जीने के मौलिक अधिकार का सीधा-सीधा उल्लंघन है आखिर क्यों किसान को पिछड़ने पर मजबूर किया गया । पूंजीवाद की मानसिकता ने आज गहरा असंतुलन का गड्डा खोद दिया है जिससे निश्चित ही राष्ट्र को विनाश के मार्ग से होकर गुजरना पड़ेगा। उन्होंने आगे कहा जनपद में मीट फैक्ट्री अपने दूषित जल को अंडर ग्राउंड बोरो के जरिए भूगर्भ में पहुंचा रही है जिससे आसपास के गांवों के लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है इस संबंध में कई बार शिकायत की जा चुकी है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसलिए जल्दी ही भारतीय किसान यूनियन अन्नदाता फैक्ट्री गेट के पास रामपुर कैमरी मार्ग पर बेमियादी धरना देगी।
प्रदर्शन करने वालों में जिला अध्यक्ष सन्जोर अली पाशा, शेजी अली ,इरशाद पाशा, मिक्की अली, नूर आलम ,जाहिद अली ,आदाब खान, मोहम्मद आरिफ ,जुनैद खान, अहमद, एडवोकेट मखदूम अली, एडवोकेट राहुल राजपूत, विनोद कुमार आदि लोग मौजूद रहे।