मोहर्रम के लिये सजने लगे ताजिये, तैयारियां जोरों पर

प्रदीप दुबे विक्की

ज्ञांनपुर, भदोही। नगर के पुरानी बाजार मुहल्ले में मोहर्रम के लिये ताजिये सजाये जाने लगे है। मुस्लिम इलाकों में ताजियों को बनाने की तैयारियां जोरों पर चल रही है। दो हजार रुपये से लेकर पांच हजार,10 व 15हजार तथा थर्माकोल से बनी बड़ी और खूबसूरत सजी नक्काशीदार ताजिया बीस हजार रुपये तक के पुरानी बाजार मोहल्ले में कारीगरों के द्वारा बनाये जा रहे है।

कारीगर गफ्फार अहमद आतिशबाज ने बताया कि मोहर्रम के ताजियों को बनाने के पीछे उनका मकसद पैसा कमाने का नही रहता है। बल्कि लोगों की मदद करने का रहता है। सस्ते ताजिये बनाने में लागत तक नही निकल पाती है। रफीक ने बताया कि ताजिये बनाने में जिस बांस का उपयोग किया जाता है। उसे चीरने के लिए लगे कारीगर को प्रति बांस चीरने का 200 रुपये मजदूरी भुगतान किया जाता है। ताजिया बनाने के लिये कागज, लेई, बांस, पन्नी, चमकीली पन्नी, पन्नी चिपकाने वाला दूध, कुमकुम, सितारे, चांद, सद्दी व अन्य सामान की जरूरत पड़ती है। पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष मंहगाई की मार ताजिया बनाने वाले सामानों पर भी पड़ी है। इस वजह से ताजियों की कीमतें भी पिछले साल की तुलना में लगभग 25 फीसदी बढ़ी है।

ताजिया बनाने वाले मकबूल, सिद्दीक, बुद्धू, गफ्फार, धर्मेंद्र आतिशबाज नामक कारीगरों ने बताया कि 9 सितंबर सोमवार को ताजिए मोहर्रम माह की नौवीं तारीख को इमाम चौकियों पर बिठाये जाएंगे । उसी दिन से इमाम हुसैन-हसन की शहादत कोें याद करते हुए माशिए पढ़े जाएंगे। 10 सितम्बर यानी यानी चांद की दसवीं तारीख दिन मंगलवार को सभी मुस्लिम ईलाकों के ताजिए एक साथ जुलूस की शक्ल में निकाल कर भ्रमण करते हुए कर्बला ले जाकर दफन कर दिया जाएगा।

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