सपा विधायक जवाहिर यादव “पंडित” हत्याकांड – करवरिया बंधुओ को आजीवन कारावास की मिली सजा
तारिक खान
प्रयागराज ही नहीं बल्कि प्रदेश के बहुचर्चित रहे सपा विधायक जवाहिर यादव उर्फ़ पंडित हत्याकांड में आज करवरिया बंधुओ को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इलाहाबाद की जिला अदालत ने पूर्व सांसद कपिलमुनि करवरिया उनके भाई पूर्व विधायक उदयभान करवरिया और सूरजभान करवरिया तथा रिश्तेदार रामचंद्र उर्फ कल्लू को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
गौरतलब है कि 13 अगस्त 1996 को पूर्व सपा विधायक जवाहर यादव उर्फ पंडित की सिविल लाइंस इलाके में गोली मारकर की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में करवरिया बंधुओं को नामजद किया गया था। सजा सुनाए जाने के बाद करवरिया बंधु जब बाहर निकले तो उनके समर्थकों ने नारेबाजी की।
इन धाराओं के तहत हुई सजा
- धारा 302- उम्रकैद 1लाख जुर्माना
- धारा 307- 10 वर्ष 50 हज़ार
- धारा 147- 2 वर्ष 10 हजार
- धारा 148- 3 वर्ष 20 हजार
- सभी को कुल 20 लाख जुर्माना
इस मामले में अदालत ने 31 अक्टूबर को फैसला सुनाते हुए पूर्व बसपा सांसद कपिल मुनि करवरिया, पूर्व भजपा विधायक उदय भान करवरिया और एमएलसी सूरज भान करवरिया तथा उनके रिश्तेदार रामचंद्र त्रिपाठी को हत्या, विधि विरुद्ध जमाव, सशस्त्र बल प्रयोग सहित तमाम धाराओं में दोषी करार दिया था। मगर अदालत ने उस दिन सजा के बिंदु पर सुनवाई नहीं की थी। सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए चार नवंबर की तिथि नियत की थी। जिसे सुनने के बाद अदालत ने आज करवरिया बंधुओं को उम्रकैद की सजा सुनाई।
उल्लेखनीय है कि 13 अगस्त 1996 को पूर्व सपा विधायक जवाहर यादव उर्फ पंडित की सिविल लाइंस इलाके में गोली मारकर की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में करवरिया बंधुओं को नामजद किया गया था। पुलिस और सीबीसीआईडी द्वारा की गई लंबी जांच के बाद मुकदमे का विधिवत ट्रायल 2015 में शुरू हो सका। इसके बाद अभियोजन और बचाव पक्ष ने अपने-अपने पक्ष को साबित करने के लिए साक्ष्यों और गवाहों को पेश किया। लंबी सुनवाई के बाद अदालत ने करवरिया बंधुओं को हत्या का दोषी करार दिया है।
कर सकते है सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील
उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के फैसले के बाद अब अभियुक्तों के पास हाईकोर्ट में अपील का विकल्प ही रह गया है। सेशनकोर्ट के फैसले के खिलाफ नियमानुसार हाईकोर्ट में अपील दाखिल की जाती है। सेशन कोर्ट केफैसले के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 374(2) में हाईकोर्ट में अपील दाखिल की जाती है। अपील पर सुनवाई लंबित रहने के दौरान अभियुक्त पक्ष सेशनकोर्ट का फैसला निलंबित करने या जमानत पर रिहा करने की मांग कर सकता है।
सजा के बिंदु पर सुनवाई होने के बाद फैसले का इंतजार कर रहे उदयभान करवरिया कुछ देर के लिए अदालत कक्ष से बाहर आए और समर्थकों को ढांढस बंधाया। इस दौरान वह मुस्कराते रहे मगर बीच बीच में गंभीर हो जाते। चिंता की लकीरें माथे पर उभर आती थीं। इस बीच एक समर्थक ने पानी बोतल पकड़ाई तो उन्होंने लपक कर ले लिया और पानी पीने के बाद कुछ राहत महसूस करते हुए फिर समर्थकों से बातचीत में मशगूल हो गए।