कायम रहा अमन-चैन, भाईचारा, पुराने शहर खासकर मुस्लिम मोहल्लों में सबकुछ रहा ‘ओके’
तारिक खान
प्रयागराज: गंगा-जमुनी तहजीब वाले शहर इलाहाबाद के बारे में शायर मुनव्वर राना का कहा, ‘गले मिलते हैं मौसम से जहां मौसम दिखाएंगे, इलाहाबाद आना हम तुम्हें संगम दिखाएंगे’ शनिवार को फिर सच हुआ। राम मंदिर पर सुप्रीम फैसले के आने से पहले शहर की फिज़ा में भले ही तरह-तरह की आशंकाएं घुली हुई थीं लेकिन फैसला आने के बाद दोनों ही पक्षों की सूझबूझ और आपसी भाईचारे से ये आशंकाएं जाने कहां काफूर हो गईं।
पुराने शहर, खासकर मुस्लिम इलाकों में कहीं-कहीं मामूली खामोशी भले रही लेकिन सामान्य दिनों की तरह ही चाय-पान सहित अन्य छोटी-बड़ी दुकानें खुलीं। जुटे पड़ोसियों में वैसी ही लंतरानी, बकैती चलती रही। इस बीच कहीं किसी ने राम मंदिर मुद्दा कुरेदा भी तो दूसरे ने अगले ही पल चर्चा का रुख बदल दिया। गीतकार वसु मालवीय भी याद आए, ‘वो सेवइयां प्यार से लाना टिफिन में, दस मुलाकातें हमारी एक दिन में, आज भी ताजा जेहन में, कुछ नहीं है हुआ मन में’ और ऐसा ही रहा। रोजमर्रा की तरह ही लोग एक दूसरे के साथ दफ्तर गए, साथ टिफिन साझा किया और एक दूसरे के मददगार बने रहे।