ओवैसी का अडवानी पर निशाना – कहा जब मस्जिद अवैध थी तो उसको तोड़ने का केस आप पर क्यों ?
यश कुमार
हैदराबाद. बाबरी मस्जिद पर आये भाजपा के वरिष्ठ नेता और राममंदिर आन्दोलन के मुखिया रहे लाल कृष्ण अडवाणी के बयान पर असदुद्दीन ओवैसी ने जमकर निशाना साधा है. उन्होंने दो टुक में अडवानी को जवाब देते हुवे कहा है कि आपके अनुसार जब मस्जिद अवैध थी तो आपके ऊपर मुकदमा किस कारण है ?
बताते चले कि अयोध्या में विवादित जमीन को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी लगातार फैसले की खिलाफत करते रहे है. उन्होंने बीजेपी के वरिष्ठ नेता एल के आडवाणी पर यह निशाना एक जनसभा में अपने भाषण के दौरान साधा है। ओवैसी ने कहा कि जैसा कि कोर्ट ने इस मामले पर फैसला सुनाने के दौरान कहा कि बाबरी मस्जिद गैर-कानूनी थी, तो फिर इसे ढहाने को लेकर एल के आडवाणी और अन्य पर मुकदमा क्यों चल रहा है ?
हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बात करते हुए कहा कि जिस इंसान ने किसी का घर गिराया, उसे कैसे वही घर दिया जा सकता है। एक जनसभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में खामियां बताई और कहा कि सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च है लेकिन अचूक नहीं है।
जनसभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा कि यदि एक व्यक्ति आपका घर गिरा देता है और आप पंच के पास जाते हैं और वह आपका घर उसी व्यक्ति को दे देता है, जिसने आपका घर गिराया और कहता है कि इसके बदले आपको दूसरी जगह जमीन दी जाएगी तो आपको कैसा लगेगा ? मैं बस इतना पूछना चाहता हूं कि अगर बाबरी मस्जिद अवैध थी तो मस्जिद को ध्वस्त करने वाले बीजेपी नेताओं जिनमें आडवाणी और अन्य बड़े नेता शामिल हैं के खिलाफ मामला क्यों चल रहा है ?
ओवैसी ने आगे कहा था कि अगर मस्जिद वहां पर रहती तो सुप्रीम कोर्ट क्या फैसला लेती। यह कानून के खिलाफ है। बाबरी मस्जिद नहीं गिरती तो फैसला क्या आता है। जिन्होंने बाबरी मस्जिद को गिराया, उन्हें ट्रस्ट बनाकर राम मंदिर बनाने का काम दिया गया है।
इससे पहले एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने फैसला आने के बाद अपनी प्रतिक्रिया दी थी। ओवैसी ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा था कि मैं कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हूं। सुप्रीम कोर्ट वैसे तो सबसे ऊपर है, लेकिन अपरिहार्य नहीं है। हमें संविधान पर पूरा भरोसा है, हम अपने अधिकार के लिए लड़ रहे हैं, हमें खैरात के रूप में 5 एकड़ जमीन नहीं चाहिए। हमें इस पांच एकड़ जमीन के प्रस्ताव को खारिज कर देना चाहिए। हम पर कृपा करने की जरूरत नहीं है।