गरीब किसान की बेटी बनी डिप्टी कलेक्टर
रायपुर। बिलासपुर के एक साधारण किसान परिवार की डॉ स्निग्धा तिवारी दूसरे स्थान पर हैं। इससे पहले उनका चयन डीएसपी पद पर हुआ था। वे रायपुर में डेंटल डाक्टर हैं। स्निग्धा ने बताया कि वर्ष 2013 की पीएससी में उनका 32वां रैंक था। वर्तमान में वे पुलिस अकादमी चंदखुरी में प्रशिक्षण ले रही है।
कमर्शियल टैक्स की छोड़ी नौकरी, बना डिप्टी कलेक्टर
कोरबा के रहने वाले भूपेंद्र साहू का पीएससी में तीसरे स्थान पर चयन हुआ है। पिछली बार कमर्शियल टैक्स इंस्पेक्टर के पद पर चयन हुआ था, लेकिन डिप्टी कलेक्टर बनने के लिए ही उन्होंने इसे ज्वाइन नहीं किया। एनआईटी रायपुर से बीटेक करने वाले भूपेंद्र वर्तमान में एनटीपीसी सीपत में मैनेजर हैं। इनका कैंपस सलेक्शन हुआ था। भूपेंद्र ने बताया कि वर्ष 2013 की पीएससी में वे 77वें रैंक पर थे। उन्होंने बताया कि सफलता के लिए सोच, संकल्प और क्रियान्वयन की जरूरत है। पूरी इमानदारी से प्लानिंग के साथ तैयारी करने पर सफलता मिलती है। विजन क्लियर होने पर सफलता जरूर मिलती है।
अनुकंपा नियुक्ति में क्लर्क बनाया था
पीएससी में दसवां स्थान प्राप्त करने वाले बिलासपुर के ओंकार यादव अपने पिता की मौत के बाद अनुकंपा नियुक्ति में क्लर्क बने थे। उस समय ही उन्होंने तय किया कि वे एक दिन अधिकारी बनेंगे। वर्ष 2006 और 2008 की पीएससी में ओंकार ने इंटरव्यू दिया, लेकिन चयन नहीं हुआ। वर्ष 2013 की पीएससी में उनका चयन कमर्शियल टैक्स इंस्पेक्टर के रूप में हुआ। ओंकार ने बताया कि उनके पिता तहसीलदार थे, जब उनकी मौत हुई तो अनुकंपा नियुक्ति के रूप में क्लर्क की नौकरी मिली थी। उन्होंने बिना कोचिंग के पढ़ाई की और टाइम मैनेजमेंट करके सफलता अर्जित की