मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना।
हमारा देश भले हीं कहने को धर्मनिरपेक्ष है लेकिन ये सच्चाई भी जग-जाहिर है कि इसके बाद भी भारत धर्म और जाति के नाम पर बंटा हुआ है। आए दिन ऐसी खबरें आती रहती है कि कहीं पर धार्मिक उन्माद की वजह से लोगों की जानें चली गई। ऐसे में हम आपको ऐसे शख्स की कहानी सुनाने जा रहे हैं, जिसके बारे में जानकर आपको खुद
न के भारतीय होने पर गर्व होगा।
ये हैं अकबर खान। अकबर जब बचपन में किसी मुसीब
त में होते थे तो मस्जिद में दुआ मांगने के अलावा मंदिर में भगवान शिवजी की पूजा करते थे। वो अपने दोस्तों के साथ मंदिरों में जाया करते थे। 39 वर्षीय अकबर ने अब शिवजी का मंदिर बनाया है। 30 अप्रैल को इस मंदिर का उद्घाटन करने से पहले अकबर ने गणेश भगवान की पूजा भी करवाई और एक कलश यात्रा का भी आयोजन करवाया है।
अकबर को हालांकि यह याद नहीं है कि उन्होंने भगवान शिव की अराधना कब आरंभ की लेकिन वो कहते हैं कि जब भी वो दुखी होते थे तो भगवान शिव की पूजा करना आरंभ कर देते थे। वो कहते हैं कि ऐसा करने से उनकी सारी समस्या दूर हो जाती थी। अकबर के मुताबिक अल्लाह कहो या राम, कोई फर्क नहीं पड़ता।
अपने द्वारा बनाए गए शिव मंदिर का नाम भूतेश्वर मंदिर दिया। इस मंदिर में शिव के साथ-साथ, शिव के परिवार की प्रतिमा भी स्थापित की गई है। उन्होंने सिकंदरा के दौसा से यह मूर्तियां मंगवाई हैं। अकबर ओम विहार में एक स्कूल चलाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस काम के लिए उन्हें उनके समुदाय के लोगों ने कभी रोका नहीं
अकबर को हालांकि यह याद नहीं है कि उन्होंने भगवान शिव की अराधना कब आरंभ की लेकिन वो कहते हैं कि जब भी वो दुखी होते थे तो भगवान शिव की पूजा करना आरंभ कर देते थे। वो कहते हैं कि ऐसा करने से उनकी सारी समस्या दूर हो जाती थी। अकबर के मुताबिक अल्लाह कहो या राम, कोई फर्क नहीं पड़ता।
अपने द्वारा बनाए गए शिव मंदिर का नाम भूतेश्वर मंदिर दिया। इस मंदिर में शिव के साथ-साथ, शिव के परिवार की प्रतिमा भी स्थापित की गई है। उन्होंने सिकंदरा के दौसा से यह मूर्तियां मंगवाई हैं। अकबर ओम विहार में एक स्कूल चलाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस काम के लिए उन्हें उनके समुदाय के लोगों ने कभी रोका नहीं