कानपुर के होटल में बर्तन धो रहे है देश के भविष्य बच्चे।

कानपुर। दिग्विजय सिंह। बच्चे इस देश का भविष्य होते है। आपने यह युक्ति किताबो से लेकर नेताओ के भाषण में खूब सुनी होगी। देश के हर बच्चे की पढ़ाने के वायदे भी सुने होंगे। प्रदेश सरकार दिन प्रतिदिन शिक्षा पर ज़ोर दे रही है। मगर साहेब होता तो वही है जो समाज के ठेकेदारो को मंज़ूर होता है। आप फड़फड़ा कर क्या करेगे जब समाज का ठेका लेकर बैठे कुछ मठाधीश किस्म के प्राणी समाज को आगे बढ़ने ही नहीं देना चाहते है।
एक वैवाहिक कार्यक्रम के सिलसिले में कल कानपुर प्रवास हुवा। वैवाहिक कार्यक्रम में शरीक होने के लिए बर्रा-3 के एक होटल गुलज़ारी पैलेस पहुचा। होटल एक समाज में बड़ा रुतबा रखने वाले सज्जन का है। मान्यवर ने बहुत लगन से होटल की सजाया सवारा है।
हॉटेल में वैवाहिक कार्यक्रम शुरू हो चूका था। सभी मस्ती में सराबोर थे। खाने पीने का दौर चल रहा था। मैं एक फ़ोन आने के सिलसिले ने बात करता हुवा उस तरफ टहल गया जहा होटल मालिक ने बर्तन धुलवाने का इंतेज़ाम किया था। 
मेरी नज़र वहा बर्तन धोने वालो पर पड़ी। होटल के मालिक ने बर्तन धोने के काम में मासूम बच्चों को लगा रखा था। तस्वीरों को देख कर आप अंदाज़ लगा सकते है कि बाल मज़दूरी पर सरकार के दावो और ज़मीनी हकीकत में कितना फर्क है। बातचीत में बच्चों ने बताया कि रोज़ बर्तन धोने तथा झाड़ू पोछा करने के काम इन बच्चों से लिया जाता है। इसके एवज़ में इनको 100 रुपये रोज़ मिलते है। साथ में खाना भी मिलता है।
मुझको इन बच्चों के अंदर अपने बच्चे दिख रहे थे। मैं इस सम्बन्ध में मालिक से बात करना चाहता था मगर मालिक महोदय से भेट न हो पाई है मैनेजर साहेब ज़रूर मिल गए। जब मैंने यु ही बिना अपना कोई परिचय बताये पूछ बैठा बच्चों के सम्बन्ध में तो साहेब ने अपनी बड़बत्तीय हॉक दी। बताया उन्होंने कि साहेब क्या करू बच्चे सस्ते पड़ते है। बड़े को ज़्यादा देने पड़ते है।
अब सवाल कई अनसुलझे है। आखिर बाल मज़दूरी को अपराध की श्रेणी में रखने का क्या फायदा जब बाल मज़दूरी पर लगाम नहीं लगा सकते है। अक्सर ही क्षेत्रीय थाना होटलो की जांच का कोरम पूरा करता है तो क्या ये जाँच केवल कागज़ों पर होती है अगर कागज़ों पर नहीं होती तो फिर कैसे पुलिस कर्मियो को होटल में काम करने वाले मासूम नहीं दिखे। अब दो में से एक बात हो सकती है, या तो क्षेत्रीय थाना होटलो की जांच सिर्फ कागज़ों पर करता है या फिर होटल मालिक अथवा मैनेजर को थाने बुला कर खानापूर्ति करवा लिया जाता है।
जो भी हो बर्तनों की जूठन के बीच देश का भविष्य सिस्कारिया भर रहा है अब देखने की बात यह होगी की तस्वीरों को देखने के बाद भी क्या कोई कार्यवाही ऐसे लोगो पर होगी अथवा नहीं।

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