‘‘रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून‘‘

जौनपुर। रविन्द्र दुबे। ”रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून” कवि रहीम दास जी के दोहे की उक्त पंक्ति ही मनुष्य के जीवन में पानी के महत्व की उपयोगिता बताने के लिए पर्याप्त है। गर्मी के दिनों में पानी की समस्या से जूझ रहे क्षेत्र के लोगों की समस्यायें बढ़ गयी है। वैसे तो हर महीने पेयजल की समस्या से क्षेत्रवासियों को रूबरू होना पड़ता है लेकिन खासकर गर्मियों के दिनों में पानी की समस्यायें और भी बढ़ जाती है। गौरा, सोनारी, पिलखिनी, सरसौड़ा, धर्मापुर, गजना, मुफ्तीगंज, उमरी, सुरैला, मनिहागोविंदपुर, भदेवरा आदि  ग्रामीण क्षेत्रों में नदी तालाबों का पानी सूखने के साथ ही हैण्डपम्प भी दगा दे रहे हैं।  पीने का पानी न मिलने पर पशु पक्षी भी इस भीषण गर्मी से बेहाल हो चुके हैं। तेज धूप एवं गर्मी से कुओं व तालाब से पानी गायब हो चुका है। 
सरकार के तमाम दावों व जल संवर्धन योजनाओं के बावजूद कुओं का जीर्णोद्वार नहीं हो पा रहा है, जबकि दो दशक पहले इन्हीं कुओं से लोगों की प्यास बुझती थी और किसानों की फसलें भी लहलहाती रहती थी। लगातार गिरते भूगर्भ जल स्तर को नियंत्रित कर पानी की समस्या से निजात दिलाने के क्रम में शासन ने आदर्श तालाबों का निर्माण कराना सुनिश्चित किया। इसके लिए केन्द्र सरकार द्वारा चलाई जा रही मनरेगा योजना की तिजोरी का धन भी उडे़ल दिया गया, परन्तु ग्राम प्रधान व संबंधित अधिकारी आदर्श तालाब का आधा-अधूरा काम करवाने के बाद शेष पैसा हजम कर गये। नतीजा यह हुआ कि आदर्श तालाब तो पूरा हुआ नहीं और संबंधित लोग मालामाल हो गये और तालाब मात्र ग्रामीणों के लिए शौच स्थल बनकर रहे गये । अब भी समय है अगर नहीं चेते तो पानी को लेकर हिंसक घटनाएं भी निकट भविष्य में हो जाय तो बड़ी बात नहीं

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