कालीमहल-फाटक शेख सलीम मार्ग: वाह नगर निगम वाराणसी, सड़क पास हुई 650 मीटर, सड़क बनी महज़ 200 मीटर से भी कम, कार्यदाई संस्था पर उठ रहे कई सवाल
ए जावेद
वाराणसी। वाराणसी नगर निगम शायद वाराणसी की प्रगति केवल मैदागिन-गोदौलिया मार्ग और अस्सी क्षेत्र को काशी के रूप में समझता है। सभी विकास की बाते इन्ही इलाको में होती रहती है। वही शहर के मध्य बड़ी आबादी वाले इलाको की बात करे तो वह अपनी मुलभुत सुविधाओं से वंचित होता जा रहा है। सीवर की समस्या तो खैर पुरे शहर को ही अपने जंजाल में समेटे हुवे है। मगर सीवर के साथ बदहाल सड़के और गलियों की स्थिति भी कुछ बेहतर नही है। चौके उखड़ कर लोगो को दांत दिखा रहे है तो वही सड़के भी जर्जर स्थिति में पहुच चुकी है।
इन्ही जर्जर सडको में से एक मार्ग है काली महल-फाटक शेख सलीम मार्ग। इस मार्ग के निर्माण के लिए 88 लाख से अधिक का बजट पास हुआ। मार्ग के निर्माण का शिलान्यास हुआ। शिलान्यास करने खुद वाराणसी की मेयर साहिबा आती है। पत्थर लगा दिया जाता है ताकि सनद रहे और नजीर कायम हो। मगर काम ठन्डे दफ्तर में चला जाता है। मार्ग की लम्बाई पास होती है कुल 650 मीटर की। अगर पास हुवे प्रोजेक्ट पर ध्यान दिया जाए तो कुल एक दर्जन इस पुरे मार्ग पर ब्रेकर भी पास हुआ था। ठन्डे दफ्तर में आराम तलब कर रही इस फाइल पर जमने वाली धुल को हटाने की हमारे द्वारा काफी कोशिशे हुई। आखिर कोशिश कामयाब होती दिखाई दी।
इस मार्ग के निर्माण में मुख्य अभियंता मोईनुदीन ने हमारी खबरों का संज्ञान लेकर दिलचस्पी दिखाई और निर्माण कार्य शुरू हुआ। हम भी प्रसन्न और जनता भी प्रसन्न कि इस उबड़ खाबड़ मार्ग पर आखिर निर्माण कार्य तो हुआ। हमने भी खबर का असर दिखाया। नगर निगम की तारीफ किया। मगर काम एक रात ऐसा चला कि दूसरी रात चलने का नाम नही लिया। जो प्रोजेक्ट पास हुआ था 650 मीटर उस प्रोजेक्ट को महज़ 200 मीटर लगभग बना कर छोड़ दिया गया। शायद कार्यदाई संस्था ने इस मार्ग के निर्माण में अपनी दिलचस्पी दिखाई मगर दिल में चस्पा नही कर पाई। निर्माण कार्य एक बार फिर ठन्डे दफ्तर में आराम तलब कर रहा है।
जनता खुश है कि सड़क का निर्माण हुआ। चुनाव सर पर है। निर्माण कितना हुआ और कितना पास हुआ इसके ऊपर किसी का ध्यान नही उस समय गया। मगर अब लोगो में सुगबुगाहट तेज़ हो गई है कि निर्माण के नाम पर कही कोई भ्रष्टाचार तो परवान नही चढ़ गया है। जिस मार्ग का जितना निर्माण हुआ है उसके ऊपर एक भी ब्रेकर नही बना है। ब्रेकर न बनने के कारण एक जानवर ने अपनी जान भी गवाई थी। मगर कार्यदाई संस्था को इन सबसे क्या लेना देना। उसको तो शायद फार्मेल्टी पूरी करना था कर चुकी है। सड़क जितना ठेका मिला था उसकी आधी भी नही बनी।
बदनाम कौन होगा? शायद कार्यदाई संस्था को इस बात से कोई लेना देना नही है। उसको इसकी फिक्र नही है कि सरकार पर ही विपक्ष आरोप लगाएगा। संस्था को तो शायद सिर्फ नाम टकवाना था और वह टक गया है। अब दौर आलोचना का चल उठा है। स्थानीय जनसेवक सुमित उपाध्याय ने कहा कि “सडक निर्माण का कार्य शुरू करवा कर जनता के आँखों में नगर निगम ने धुल झोक दिया है। निर्माण कार्य जितना होना था उसका आधा भी नही हुआ है। आम जनता तो ये समझ कर शांत बैठी है कि निर्माण कार्य शायद इतना ही पास हुआ होगा। समझ नहीं आता है कि इसको लापरवाही कहे अथवा भ्रष्टाचार में नगर निगम का साथ।”
बहरहाल, हमने इस सम्बन्ध में जब मुख्य अभियंता नगर निगम मोईनुद्दीन से बात किया तो उन्होंने कहा कि मामले की जानकारी नही है। हम इस मामले को देखते है। जितना पास हुआ है उतना निर्माण होना है। स्थल निरिक्षण खुद मैं करूँगा और जल्द ही निर्णय लिया जायेगा। प्रकरण आप द्वारा संज्ञान में लाया गया है। जल्द ही निष्कर्ष निकलेगा। वही दूसरी तरफ स्थानीय नागरिको में अब असंतोष की लहर अपनी उछाल ले रही है। अब देखना होगा कि नगर निगम इस प्रकरण को कब तक निदान करता है। जितनी सड़क बाकी है शायद उतनी ही इस पुरे मामले में पिक्चर बाकी है।