निलंबित प्राचार्या ने दबंगई में किया ध्वजारोहण।
“देश की शान तिरंगे का किया गया अपमान। क्या स्वतः संज्ञान लेंगे भीमपुरा थानाध्यक्ष”
बलिया। राहुल सिंह। जनपद के नगरा ब्लाक के केसेसर पुर्व माध्यमिक विद्यालय पर कल गणतंत्र दिवस के अवसर पर एक निलंबित प्राचार्या की दबंगई देखने को मिली जब नियमो को दरकिनार कर अपने दबंग पति के साथ वह विद्यालय परिसर पहुची और उसने दबंगई में निलंबन के बावजूद ध्वजारोहण किया। उसके इस दबंगई में उसका साथ विद्यालय के एक अन्य शिक्षक रमेश सिंह ने दिया। ध्वजारोहण में भी नियमो को उस अध्यापक और निलंबित प्राचार्या ने ताख पर रख दिया और नियमो के विपरीत बाए हाथ से केवल एक हाथ का प्रयोग करते हुवे झंडारोहण किया और झंडे को सलामी भी नहीं दिया। यही नहीं झंडारोहण के कुछ समय बाद ही झंडे को नीचे उतारा गया और निलंबित प्राचार्या अपने दबंग पति के साथ बैठ कर समस्त अध्यापको के साथ एक बैठक करती दिखी।
दूसरे फ़ोटो में इसको देख सकते है कैसे निलंबित प्राचार्या के सामने मेज़ पर देश की शान तिरंगा लपेट कर रखा है। नियमो को शायद निलबित प्राचार्या पर तिरंगे के अपमान का भी केस बनता है मगर समस्या यह है कि आखिर करेगा कौन। क्या भीमपुरा थानाध्यक्ष स्वतः संज्ञान लेंगे।
इस सम्बन्ध में जब हमारे प्रतिनिधि ने निलंबित प्राचार्या से वार्ता करना चाहा तो प्राचार्या की जगह उसके प्रवक्ता के तौर पर रमेश सिंह नामक एक शिक्षक और प्राचार्या पति ने कहा सवालो का जवाब हम देंगे। किसी की क्या मजाल जो झंडारोहण से हमको रोक सके। हम झंडारोहण किये है कौन हमको रोकेगा। एबीएसए हमको क्या निर्देशित करेगा या फिर कौन हमको निलंबित करेगा। हम चलाते है विद्यालय को कोई क्या रोकेगा हमको हम असली विद्यालय के मालिक है। बीएसए कौन होते है हमको निलंबित करने वाले।
प्राचार्या पति और रमेश सिंह के इस जवाब से वास्तव में हम अचंभित है। अब देखना है कि सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी और बेसिक शिक्षा अधिकारी इस प्रकरण में क्या कदम उठाते है। वैसे भी आपको बताते चले कि बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा की गई उक्त निलंबन की कार्यवाही में त्रुटिवष नाम गलत लिखा गया। उक्त नाम को आज भी सही नहीं किया गया है।
प्राचार्या पति और रमेश सिंह के इस जवाब से वास्तव में हम अचंभित है। अब देखना है कि सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी और बेसिक शिक्षा अधिकारी इस प्रकरण में क्या कदम उठाते है। वैसे भी आपको बताते चले कि बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा की गई उक्त निलंबन की कार्यवाही में त्रुटिवष नाम गलत लिखा गया। उक्त नाम को आज भी सही नहीं किया गया है।