बीएचयु आंख फोड़वा काण्ड- शुरू है लीपा-पोती।

वाराणसी। नीलोफर बानो। बीएचयू इसी हफ्ते के बहुचर्चित आँखफोड़वा कांड में कुछ लोगो द्वारा अब लीपा-पोती का काम करने लगे है। आपको बताते चले कि बी.एच.यु. में आँख का ऑपरेशन करवाये 6 मरीज़ों को गलत इंजेक्शन लगने से आँख की रोशनी चली गई थी। उनमे लक्ष्मण शर्मा की सिर्फ एक आँख की रोशनी ही थी जिससे वह पूर्णतः अंधे हो गए थे। उनको चिकित्सको की सलाह के अनुसार परिवारजनो ने एक निजी चिकित्सालय में भर्ती करवाया था। फिर अचानक अखबारो की सुर्ख़ियो से लेकर सोशल मीडिया पर यह सुचना और समाचार लगातार आने शुरू हो गए कि मरीजो की आँख की रोशनी वापस आना शुरु हो गई है। मगर आज अचानक इसपर विराम लगता प्रतीत हुवा जब ऑपरेशन से आँख वापस आनेे का समाचार जिन लक्ष्मण शर्मा का आ रहा था उनके पुत्र प्रेमदेव शर्मा ने अपना बयान जारी किया। उनके बयान के बाद तो अब बीएचयु प्रशासन की सूचनाये ही संदिग्धता की श्रेणी में आ गई है।
आज हर अख़बार मे समाचार है कि सभी की रोशनी वापस आने लगी है! लेकिन सात मे से मात्र एक मरीज़ लक्ष्मण शर्मा की जानकारी ही सभी ने दी है बाकि का पता नही। वही आज लक्ष्मण शर्मा के पुत्र प्रेमदेव शर्मा हमसे बातचीत में कहाकि आज जैसा 1-2 पेपर में निकला है की लक्ष्मण शर्मा की आँखों की रोशनी वापस आ गयी है इसका खंडन करता हु, अभी मात्र उम्मीद की रौशनी जगी है। कि मेरे पिता जी की आँखों की रोशनी वापस आजायेगी। अभी वापस आई नहीं है। बीएचयु के कर्मठ व ज़िम्मेदार अधिकारी बयान जारी कर अपने को पाक साफ़ साबित करने में लगे है और हर रोज एक नया बयान जारी कर अपना पल्ला झाड़ रहे, इन्होंने मात्र उन्ही मरीजो से बात की है जो उनके दरवाजे पर गए है, उनके अनुसार मरीज अपना इलाज छोड़ कर केवल उनसे बाते करता रहे।
प्रेमदेव शर्मा ने कहाकि बी.एच.यू. प्रवक्ता के अनुसार अभी तक किसी को रेफर नहीं किया गया है सभी अपनी मर्जी से इलाज करने गए है। मैं उनसे पूछना चाहता की अगर मरीज को अंतिम समय सड़क पर कर दिया जाये तो मरीज क्या करे। मेरे पिता जी का तो एक आँख ख़राब थी ही और एक मात्र बची आँख का सवाल था आखरी समय मैं डॉ. ओ पी मौर्या द्वारा दी गयी परामर्श का ही पालन कर बताये गए निजी केंद्र पर इलाज कराया है। अभी तक किसी भी बी.एच.यू. अधिकारी ने हम लोगों से संपर्क नहीं किया है। अब लगता है प्रशासन केवल अपना पल्ला छाड़ रहा है।
आज अपनी आँख की रोशनी खो बैठे मरीज़ों के परिजनो ने जिलाधिकारी वाराणसी से उनके आवास पर भेट कर अपना दुःख सुनाया। ज़िलाधिकारी ने इस सम्बन्ध में कुलपति से बात की तथा पीड़ित परिवार को सान्तवना के साथ हर संभव मदद का वायदा भी किया है।
एक अन्य मरीज़ विनोद कुमार सिंह के परिजन धर्मेन्द्र सिंह ने हमको बताया कि अस्पताल प्रशासन अपनी बातो पर टिक नहीं रहा है। पहले वीसी ने हमसे कहाकि वह कोल्कता से टीम बुलवाकर यहाँ इलाज करवायेगे मगर दो दिन बाद ही वो अपने वायदे से पलट गए और उन्होंने कहाकि आप मरीज़ को लेकर कोल्कता जाओ और इलाज करवाओ हम वहा सुविधा उपलब्ध करवा देगे। अब कोई बताये जब वीसी अपने वायदे पर एक दिन नहीं टिक सके है तो कोल्कता का वायदा कैसे निभायेगे।
धर्मेन्द्र सिंह ने कहाकि किसी निजी चिकित्सा संस्था में अगर वो भेजते है तो लिखित रूप से दे हम अपने मरीज़ को लेकर जाने को तैयार है। मगर मौखिक रूप से नहीं।
उन्होंने सवाल उठाया कि अभी तक यह समझ के परे है कि प्रकरण में आरोप निर्धारित होना तो दूर की बात रही आज तक उत्तर दायित्व नहीं निर्धारित हुवा है।
जो भी हो इस प्रकार का खंडन आने से अब अस्पताल प्रशासन की नियत पर शक और गहरा होने लगा है। आज तक इस प्रकरण में किसी का उत्तरदायित्व बीएचयु प्रशासन निर्धारित नहीं कर सका है तो फिर क्या पीडितो को इन्साफ की आशा हो। आखिर क्यों बीएचयु प्रशासन दोषियों को बचाना चाहता है यह भी समझ के बाहर है। वही अभी अभी सूत्रो से प्राप्त सुचना के अनुसार लिखित रेफर मांग रहे विनोद सिंह को अस्पताल द्वारा चेन्नई के शंकरा अस्पताल रिफर कर दिया है और वह आज ही चेन्नई जा रहे है। अब देखना यह है कि का प्रकरण में केंद्र सरकार क्या एक्शन लेती है।

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *