न खुदा ही मिला न रिसाले सनम, न इधर के रहे न उधर के रहे।
कानपुर। इब्ने हसन ज़ैदी। आज का ये समाचार बनाने में मुझको एक शायर का एक खूबसूरत शेर याद आ रहा है। शेर है ” न खुदा ही मिला न रिसाल-ए-सनम, न इधर के रहे न उधर के रहे। कुछ ऐसा ही आज कानपुर के कचहरी में देखने को मिला। इन्साफ के लिए गए एक परिवार को इन्साफ मिला या नहीं ये तो बाद की बात है मगर हवालात की हवा ज़रूर खानी पड़ी। घटना भी बड़ी अजीबो गरीब है जहा एक गरीब बेलगाम हो चुकी प्राइवेट फाइनान्स कम्पनियों के विरोध में इंसाफ पाने के लिए आत्मदाह करने पंहुचा। आत्मदाह करने के पहले ही पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और फिर भेज दिया हवालात।
हुवा कुछ ऐसा कि हकीकत के धरातल पर बेलगाम हो चुकी है प्राइवेट फाइनान्स कंपनिया। इन दिनों ये सीधे सादे लोगों को चुना लगाने और ठगी करने का काम खुले आम कर रही हैं। इन पर सरकार की नज़र कमज़ोर होने की वजह से लोगो का उत्तपीड़न हो रहा है।
ऐसी ही एक कंपनी से पीड़ित है कानपुर के अरमापुर इलाके की रहने वाला एक परिवार। पीड़िता ने ऑटो छुड़ाने के लिए हर तरह जा प्रयास करने के बाद थक हार कर आज डीएम कार्यालय पहुचा, जहां पीड़ित परिवार ने आत्मदाह का प्रयास किया। हालांकि पुलिस ने दंपत्ति को आत्मदाह करने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया था। अब पीड़ित को न्याय तो मिला नहीं उलटा आत्मदाह करने के प्रयास में जेल की हवा खानी पड सकती है।
ऐसी ही एक कंपनी से पीड़ित है कानपुर के अरमापुर इलाके की रहने वाला एक परिवार। पीड़िता ने ऑटो छुड़ाने के लिए हर तरह जा प्रयास करने के बाद थक हार कर आज डीएम कार्यालय पहुचा, जहां पीड़ित परिवार ने आत्मदाह का प्रयास किया। हालांकि पुलिस ने दंपत्ति को आत्मदाह करने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया था। अब पीड़ित को न्याय तो मिला नहीं उलटा आत्मदाह करने के प्रयास में जेल की हवा खानी पड सकती है।
अमरपुर के रहने वाले राम दास ने अपना खेत बेच कर एक प्राइवेट फाइनेन्स कम्पनी से दो लाख चालीस हज़ार रुपया देकर साढ़े चार लाख रूपये का मैं परमिट ऑटो फाइनेंस करा लिया। दो साल बाद अचानक रामदास से परमिट छीन लिया जिस से उसका ऑटो काकादेव थाने में सीज़ हो गया पीड़ित ने फाइनान्स कम्पनी से बहुत गुहार लगाईं लेकिन फाइनेन्स कंपनी ने यह कर टाल दिया कि परमिट सिर्फ दो साल के लिए दिया था। इतना ही नहीं फाइनेन्स कम्पनी वालों ने पीड़ित रामदास से ऑटो का ओरिजनल कागज़ भी छीन लिया। जिससे पीड़ित ने मजबूरी में थाने में जाकर गुहार लगाईं लेकिन फाइनेन्स कम्पनी वालो के रसूख के चलते पीड़ित को कोई मदद नहीं मिली । पीड़ित ने जब कागज़ की फोटोकॉपी से ऑटो का रिलीज़ आर्डर बनवा लिया तो थांने वालो ने उससे ओरिजनल कागज़ मांगे जो फाइनेंस कम्पनी के पास जमा थे। ओरिजनल कागज़ न होने की वजह से जब गाडी नहीं छुटी तो पीडत ने आला अधिकारियों के चौखट पर गुहार लगानी शुरू की।जब कहीं से कोई मदद नहीं मिली तो गरीब पीड़ित ने आज ज़िलाधिजारी कार्यालय में अपने तीन बच्चों और पत्नी के साथ आत्मदाह करने पहुँच गया। आत्मदाह तो कर नहीं पाया उलटा पीड़ित परिवार को पुलिस ने गिरफ्तार कर कोतवाली ले आई। अब पुलिस पीड़ित के केस की उच्चस्तरीय जांच कर न्याय दिलाने की बात कर रही है।
Yeh galat hua. Nyay milna chahiye