डीडीसीए नही लागू करेगी न्यायमूर्ति लोढा समिति की सिफारिशों को
नई दिल्ली। जूही खन्ना। दिल्ली एवं जिला क्रिकेट
संघ (डीडीसीए) ने
न्यायमूर्ति लोढा समिति की सिफारिशों को लागू करने से
इनकार कर दिया। इन सिफारिशों को लागू किए जाने से
बीसीसीआई
की राज्य इकाईयों के कामकाज पर सीधा
असर पड़ सकता है।
डीडीसीए की
प्रबंध समिति की आज यहां लोढा समिति
की विभिन्न सिफारिशों की
समीक्षा के लिए यहां बैठक हुई और वह
बीसीसीआई के संचालन
ढांचे में आमूलचूल सुधारों से संबंधित प्रमुख सिफारिशों से सहमत
नहीं है।
संघ (डीडीसीए) ने
न्यायमूर्ति लोढा समिति की सिफारिशों को लागू करने से
इनकार कर दिया। इन सिफारिशों को लागू किए जाने से
बीसीसीआई
की राज्य इकाईयों के कामकाज पर सीधा
असर पड़ सकता है।
डीडीसीए की
प्रबंध समिति की आज यहां लोढा समिति
की विभिन्न सिफारिशों की
समीक्षा के लिए यहां बैठक हुई और वह
बीसीसीआई के संचालन
ढांचे में आमूलचूल सुधारों से संबंधित प्रमुख सिफारिशों से सहमत
नहीं है।
डीडीसीए चुनाव और
पदाधिकारियों के कार्यकाल,
डीडीसीए पदाधिकारियों का
एक साथ बीसीसीआई पद
भी संभालना, प्राक्सी मतदान और हितों
के टकराव सहित अन्य मसलों पर लोढा पैनल से सहमत
नहीं है।
एक व्यक्ति के एक पद पर रहने के मसले पर
डीडीसीए ने यहां
जारी बयान में कहा,
‘डीडीसीए की
प्रबंध समिति को लगता है कि यह फैसला संबंधित राज्य इकाई
की स्वतंत्रता है कि पदाधिकारियों की
नियुक्ति से डीडीसीए के
प्रशासनिक कार्य प्रभावित होते हैं या उनमें रूकावट
आती है।’ इस बयान पर दो उपाध्यक्षों चेतन
चौहान और सीके खन्ना के हस्ताक्षर हैं। इसमें
आगे कहा गया है, ‘जब तक कार्यकारी समिति
(निदेशकों) के सदस्यों को नहीं लगता कि
डीडीसीए का कामकाज
प्रभावित हो रहा है तब तक इस नियम को लागू करने का कोई
उचित कारण नहीं हो सकता है।’
पदाधिकारियों के कार्यकाल,
डीडीसीए पदाधिकारियों का
एक साथ बीसीसीआई पद
भी संभालना, प्राक्सी मतदान और हितों
के टकराव सहित अन्य मसलों पर लोढा पैनल से सहमत
नहीं है।
एक व्यक्ति के एक पद पर रहने के मसले पर
डीडीसीए ने यहां
जारी बयान में कहा,
‘डीडीसीए की
प्रबंध समिति को लगता है कि यह फैसला संबंधित राज्य इकाई
की स्वतंत्रता है कि पदाधिकारियों की
नियुक्ति से डीडीसीए के
प्रशासनिक कार्य प्रभावित होते हैं या उनमें रूकावट
आती है।’ इस बयान पर दो उपाध्यक्षों चेतन
चौहान और सीके खन्ना के हस्ताक्षर हैं। इसमें
आगे कहा गया है, ‘जब तक कार्यकारी समिति
(निदेशकों) के सदस्यों को नहीं लगता कि
डीडीसीए का कामकाज
प्रभावित हो रहा है तब तक इस नियम को लागू करने का कोई
उचित कारण नहीं हो सकता है।’