शहीद भगत सिंह के शहीदी दिवस पर नीलोफर बानो का विशेष लेख- एक पत्रकार भी थे शहीद भगत सिंह।
वाराणसी। निलोफर बानो। 23 मार्च 16 को फागुन मास में पडी इस होली को जहाँ एक और अबीर गुलाल के रंगो एक दूसरे के गालों को रंगें, नयी नयी पिचकारी से एक दूसरे के कपड़ो को रंग दिया, गुझियों की मिठास,और शिव जी के प्रसाद संग हुड़दंग में सराबोर हुवे। वही 23 मार्च को शहीद होकर देश के कुछ वीर जवानो ने देश के लिए कुछ ऐसा किया जिससे अपने देश को आज़ादी के रंग की ख़ुशी मिली।
“मेरा रंग दे बसंती चोला,
मेरा रंग दे बसंती चोला:
मेरा रंग दे बसंती चोला।माय रंग दे बसंती चोला”
मेरा रंग दे बसंती चोला।माय रंग दे बसंती चोला”
ये वो पंक्तिया है जिसे देश के वीर सपूतो भगत सिंह और उनके दो साथियो सुखदेव और राज गुरु ने सन् 23 मार्च 1931 को फाँसी पर जाते समय मस्ती से गाया था।शाम के 7 बजकर 33 मिनट पर भगत सिंह तथा इनके दो साथियों सुखदेव और राजगुरु को लाहौर मामले में फाँसी दी गयी थी।
भगत सिंह का जन्म 27 सितम्बर सन्1907 पंजाब के जिला लायलपुर के गाँव बावती में हुआ था।
उनके पिता का नाम सरदार किशन था और माता का नाम विद्यावती कौर था।
लाहौर के नेशनल कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर भगत सिंह ने भारत की आज़ादी के लिए नौजवान भारत की स्थापना की।
चंद्रशेखर आज़ाद की पार्टी हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन से जुड़ने के बाद पार्टी को एक नया नाम हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन दिया।इस संगठन का उद्देश्य सेवा,त्याग और पीड़ा झेल सकने वाले नवयुवक तैयार करना था।
भगत सिंह और इनके साथी ने मिलकर
“हिंदुस्तान ज़िंदाबाद
साम्राज्यवाद मुर्दाबाद”
का नारा लगाया था।
उनके पिता का नाम सरदार किशन था और माता का नाम विद्यावती कौर था।
लाहौर के नेशनल कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर भगत सिंह ने भारत की आज़ादी के लिए नौजवान भारत की स्थापना की।
चंद्रशेखर आज़ाद की पार्टी हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन से जुड़ने के बाद पार्टी को एक नया नाम हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन दिया।इस संगठन का उद्देश्य सेवा,त्याग और पीड़ा झेल सकने वाले नवयुवक तैयार करना था।
भगत सिंह और इनके साथी ने मिलकर
“हिंदुस्तान ज़िंदाबाद
साम्राज्यवाद मुर्दाबाद”
का नारा लगाया था।
जेल में रहने के दौरान भगत सिंह लेख लिखकर क्रन्तिकारी विचार व्यक्त किया करते थे।
जेल में अंग्रेजी में उन्होंने एक लेख भी लिखा था जिसका शीर्षक था “मैं नास्तिक क्यों हूँ”
भगत सिंह ने कई पत्र पत्रिकाओं के लिए लिखा भी और संपादन भी किया।
जेल में अंग्रेजी में उन्होंने एक लेख भी लिखा था जिसका शीर्षक था “मैं नास्तिक क्यों हूँ”
भगत सिंह ने कई पत्र पत्रिकाओं के लिए लिखा भी और संपादन भी किया।
उनकी मुख्य कृतियां हैं, ‘एक शहीद की जेल नोटबुक (संपादन: भूपेंद्र हूजा), सरदार भगत सिंह : पत्र और दस्तावेज (संकलन : वीरेंद्र संधू), भगत सिंह के संपूर्ण दस्तावेज (संपादक: चमन लाल)।
भगत सिंह को आज भी देश की जनता आज़ादी के दीवाने के रूप में देखती है।
आज भगत सिंह देश के नव जवानो के लिए प्रेरणा है।
आज भगत सिंह देश के नव जवानो के लिए प्रेरणा है।
होली के दिन होलीका का दहन होता है होलिका को वरदान मिलने पर भी अग्नि जला देती है।
सत्य के रास्ते पर चलने वाले प्रहलाद को आँच तक नही आती। सत्य की जीत होती।
इस होली हम सब को जरुरत है उन शहीदों को याद करने की जो सत्य की राह पर चले जिन्होंने गलत का साथ नही दिया।
उन वीर जवानो को याद करने की जिनकी शहादत से इस देश को आज़ादी के रंग देखने को मिले।
PNN24 की टीम इन शहीदो को श्रद्धांजलि अर्पित करती है।
बहुत खूब निलोफर जी!!
आपका लेख बहुत ही प्रेरणादायक और देशभक्ति के रंग से सराबोर है।
Nilofer Bano ji, Ap k shabdo me Wo jadu h Ki jab apke lekh main padta hoo to unme doob sa jata hoo.. Ap jaise sashakt patrakar Ki hi is desh ko jarurat hai.. Bahut khub likha h apne… Great words..
बढ़िया नीलोफर
आपका लेख बहुत ही प्रेरणादायक और देशभक्ति के रंग से सराबोर है। मालिक आपकी कलम में और ताकत दे ..