बीमार बाप के इलाज को लिखा पीएम को पत्र आया जवाब

कानपुर। इब्ने हसन ज़ैदी। कानपुर में पिता की अस्थमा की बीमारी से आर्थिक रूप से परेशान सातवी के छात्र ने प्रधानमंत्री लेटर लिखा जिसमे लिखा कि मै अति गरीब सिलाई मजदूर का बेटा हूँ। चंदे से मेरे मेरे पिता का इलाज चल रहा है। मै मेरी माँ और छोटा भाई पिता के ही सहारे है। यदि आप की कृपा हो जाएगी तो मेरे पिता जी का समुचित उपचार हो जायेगा और हम दोनों भाइयो का भविष्य बिगड़ने से बच जायेगा। मेरा पूरा परिवार जीवन पर्यंत हदय से मानता रहेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस लेटर को संज्ञान में लेते हुए कानपुर डीएम को पत्र लिख इलाज में सहयोग करने को लिखा। बीते 26 फरवरी को पीड़ित को पत्र भेजकर सूचित किया कि उर्सला में जाकर मुख्य चिकत्साधिकारी से मिले। 

नौबस्ता के संजय गाँधी नगर में रहने वाले सरोज मिश्रा सिलाई मजदूर है। परिवार में पत्नी उषा बड़ा बेटा सुशांत (13) क्लास 7 का छात्र है और छोटा बेटा तन्मय क्लास 4 का छात्र है। सरोज मिश्रा बीते दो साल से अस्थमा की बीमारी से पीड़ित है और बिस्तर पर पड़े है। कानपुर में एक दर्जन से अधिक डाक्टरों से इलाज करा चुके है लेकिन उन्हें रहत नही मिली। बिस्तर पड़े होने की वजह से परिवार आर्थिक स्थिति से गुजर रहा है। इलाज के लिए रूपया नही होने पर स्थानीय लोगो ने चंदा कर इलाज शुरू किया।
सुशांत ने बताया कि मै अक्सर टीवी पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देखा करता था वह बहुत अच्छे इन्सान है और हमेशा दुसरो की मदद करते है। तभी मेरे मन में विचार आया कि अब प्रधानमंत्री जी को अपनी समस्या बताकर उसने मदद की गुहार लगाई जाये। तभी 28 जनवरी को प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखा लेकिन उनके कार्यालय का एड्रेस मुझे नही पता था। पड़ोस में रहने वाले संतोष कुमार शुक्ला को लेटर दिखाया और उनसे प्रधानमंत्री कार्यालय का पता पूछकर पोस्ट कर दिया। बच्चे ने बताया कि बीते 26 फरवरी को डीएम कार्यालय से स्पीड पोस्ट से लेटर आया जिसमे लिखा था कि उर्सला अस्पताल में जाकर सीएमओ कार्यालय में बात करे।

मकान मालिक राज कुमार शर्मा ने बताया कि सरोज मिश्रा मेरे मकान में पिछले दस साल से किराय पर रह रहे है। इनके बच्चे छोटे-छोटे है सरोज की तबियत जब बहुत ज्यादा बिगड़ गई थी और साँस लेने में दिक्कत हो रही थी। लेकिन इनके पास इलाज के लिए रूपए नही थे तभी मोहल्ले के लोगो ने हजार ,पांच सौ रूपए का चंदा कर इनको अस्पताल में भर्ती कराया गया था और पंद्रह दिनों तक ओक्सिजन लगा रहा था। जिसमे 30 हजार रूपए का खर्च आया था। अभी भी इनकी दावा चंदे के रूपए से चल रही है। 

 सरोज मिश्रा ने बताया कि डीएम कार्यालय से लेटर आने के बाद उर्सला में डॉ अनिल निगम से मिले उन्होंने कुछ दवा और जाँच के लिए लिखा है। उन्होंने बताया कि मेरे पास जो भी जमा पूंजी थी वह सब खर्च हो गई है। रिश्तेदारों से लगभग 2 लाख रूपए उधर ले चुके है। इसके साथ ही यदि मोहल्ले वाले नही होते तो अब तक मेरी मौत हो चुकी होती।

बच्चो के स्कूल के प्रिंसिपल गिरजाशंकर ने बताया कि यह दोनों बच्चे पढने में बहुत अच्छे है। इनके घर की स्थिति बेहद ख़राब है इसी वजह से मै अपने स्कूल में बच्चो की फीस माफ़ कर दी है। उन्होंने कहा कि जब तक यह बच्चे हमारे स्कूल में पढेगे इनसे फीस नही ली जाएगी। स्कूल की तरफ से इन बच्चो की पढाई लिखाई की जिम्मेदारी हमारी है।

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