शिवरात्रि स्पेशल- ऐसे करें महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग का पूजन

शीतल सिंह माया

अध्यात्म में तीन रात्रियां अपना विशेष महत्व रखती हैं, जिन्हें कालरात्रि, महारात्रि और महोरात्रि के रूप में जाना जाता है। दीपावली और होली की रात्रि को कालरात्रि, शिवरात्रि को महारात्रि तथा नवरात्र में अष्टमी की रात्रि को महोरात्रि कहा गया है। प्रत्येक उत्सव का अपना विशेष महत्व है। लेकिन ये तीन महापर्व पूजा, अनुष्ठान एवं साधना के लिए प्रमुख माने जाते हैं।
शिवरात्रि को महारात्रि कहने का अपना इतिहास है। इसी दिन शिव-पार्वती विवाह बंधन में आबद्ध हुए थे। शिव-शक्ति के मिलन की इस महारात्रि को स्वनिर्मित शिवलिंग के पूजन का विशेष महत्व शास्त्रों और धर्म ग्रंथों में वर्णित है। इस शिवलिंग को तैयार करने के लिए शुद्ध चिकनी मिट्टी, दही, घृत, शहद, शर्करा, गुलाब जल, गाय का दूध, इत्र, केसर, कपूर, रक्त-चन्दन, श्वेत-चन्दन, बेल और धतूरे के बीज, श्वेत मदार के पुष्प और गंगाजल को अच्छी तरह मिला कर अर्घा सहित शिवलिंग तैयार करें और किसी पात्र में स्थापित करें।
प्रदोष काल में श्वेत वस्त्र धारण कर कुशासन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख कर बैठें। सर्वप्रथम गंगाजल, पंचामृत और गुलाब-जल से इन मंत्रों का उच्चारण करते हुए एक धार में स्नान कराएं-‘ॐ भवम् देवम् तर्पयामि’, ॐ सर्व देवम् तर्पयामि, ॐ ईशान देवम् तर्पयामि, ॐ पशुपति देवम् तर्पयामि, ॐ रुद्र देवम् तर्पयामि, ॐ उग्र देवम् तर्पयामि, ॐ भीम देवम् तर्पयामि, ॐ महान्तम् देवम् तर्पयामि!’ स्नान के बाद ‘ॐ शाम्ब सदा शिवाय नम:’ बोल कर वस्त्र, ‘ॐ नम: शिवाय कालाय नम:’ बोल कर केसर युक्त चन्दन का तिलक करें, ‘ॐ नम: शिवाय कल विकरणाय नमो नम:’ से अक्षत और पुष्प अर्पित करें। तीन दल वाले पांच बेल-पत्र गुलाब-जल में भिगो कर एक-एक मंत्र का उच्चारण कर शिवलिंग के ऊपर अर्पित करें। ‘ॐ आकाश तत्वाम् पार्वती महेश्वराभ्याम् नम:! ॐ वायु तत्वाम् सती महेश्वराभ्याम् नम:! ॐ जल तत्वाम् उमा महेश्वराभ्याम् नम:! ॐ पृथ्वी तत्वाम् प्रकृति तत्वाम् नम:! ॐ अग्नि तत्वाम् महेश्वराभ्याम् नम:! ॐ अग्नि तत्वाम् शक्ति महेश्वराभ्याम् नम:!’ इसके बाद ‘ॐ नम: शिवाय भवोद्भवाय भूतद्मनाय नम:’ से धूप दिखाएं। ‘ॐ नम: शिवाय मनोन्मनाय नम:!’ से दीप दिखाएं। ‘ॐ नम: शिवाय!’ से नैवेद्य और जायफल चढ़ाएं। इसके बाद लौंग इलायची के साथ ताम्बूल अर्पित करें।
 पूजन के बाद शिव-शक्ति के स्वरूप का ध्यान करते हुए ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र की माला जाप कर एक माला शिव-गायत्री – ‘ॐ महादेवाय विद्यहे रुद्र मूर्तय धीमहि तन्नो शिवा प्रचोदयात्’ मंत्र का जाप कर आरती और पुष्पांजलि अर्पित कर अनुष्ठान पूर्ण करना चाहिए। शिवरात्रि की रात्रि भजन कीर्तन के साथ सपरिवार रात्रि जागरण करने का विशेष महत्व है।◆

हमारी निष्पक्ष पत्रकारिता को कॉर्पोरेट के दबाव से मुक्त रखने के लिए आप आर्थिक सहयोग यदि करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें


Welcome to the emerging digital Banaras First : Omni Chanel-E Commerce Sale पापा हैं तो होइए जायेगा..

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *