जा रहे थे ट्रेन पकड़ने, रास्ते में मौत से हुआ सामना।

संजीव कुमार (बेतिया-मोतिहारी बिहार) शहर के प्रधान पथ में अब से दस दिन पूर्व 8 मार्च 2016 को व्यवसायी को गोली मारे जाने व बीच बाजार में लगातार बम विस्फोट की घटना को लोग अभी भूले भी नहीं थे कि शुक्रवार को शहर के पॉश इलाके में कचहरी चौक के पास बदमाशों की गोली सुगौली की सुकुल पाकड़ पंचायत के पैक्स अध्यक्ष लालपरसा गांव निवासी रामनरेश ¨सह को लग गई। खून लगातार गिरने लगा।

सरेशाम हुई इस घटना को देख सभी दहशत में आ गए कि गोली कहां से और किसने कैसे चलाई कि किसी ने देखा तक नहीं। ताजा घटना में जख्मी पैक्स अध्यक्ष खतरे से बाहर बताए गए हैं। हालांकि इस बात की चर्चा तेज है कि गोली कचहरी रेलवे गुमटी के उस पार हवाई-अड्डा की ओर से चली। पुलिस इस घटना को लेकर खासा परेशान है। वजह यह कि किसी ने बदमाशों को नहीं देखा। गोली चलने की सूचना जैसे ही शहर में फैली सभी इस बात की चर्चा करने लगे कि कहीं अपराधियों का गैंग पहले की तरह शहरी इलाके के आस-पास तो नहीं मंडरा रहा है। जिस तरह से पुलिस कार्यालय व कलेक्ट्रेट से सटे इलाके में गोली चलाई गई उससे अपराधियों के बुलंद हौसले का एहसास हो रहा है। यदि समय रहते पुलिस ने शहर को अपराध मुक्त बनाने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए तो अपराधी लगातार घटनाओं को अंजाम देते चले जाएंगे। इन सबके बीच पुलिस के लिए राहत की बात यह है कि जख्मी खतरे से बाहर हैं। पर मुश्किल यह है कि उन्होंने किसी से किसी तरह के विवाद की बात नहीं कही है। ऐसे में पुलिस के लिए मुश्किल है फायरिंग करनेवाले बदमाशों को खोज निकालना।
जा रहे थे ट्रेन पकड़ने, रास्ते में मौत से हुआ सामना।।।
शहर के अति सुरक्षित जोन में स्थित कचहरी चौक के पास कोर्ट रेलवे स्टेशन के नजदीक एक लकड़ी की दुकान पर बैठे सुगौली के सुकुल पाकड़ के पैक्स अध्यक्ष रामनरेश सिंह को जब गोली लगी तो उन्होंने भगवान को याद किया। बोले- ‘किसी से कोई विवाद नहीं था। ऐसे में मुझपर गोली कैसे चली, मेरी समझ से बाहर है। मैं तो पैक्स के काम से मोतिहारी आया था। काम निबटाकर मैं ट्रेन पकड़ने के लिए मोतिहारी कोर्ट रेलवे स्टेशन पर ट्रेन पकड़ने जा रहा था। ट्रेन लेट होने के कारण रेलवे गुमटी के पास स्थित लकड़ी की दुकान पर बैठ गया। इसी बीच मेरे पैर में गोली लग गई। गनीमत बस इतनी थी कि मौत बन बरसनेवाली गोली पैर में लगी और मैं बच गया।’ घटना के बाद सदर अस्पताल में श्री सिंह की चिकित्सा उनके समधी गौरीशंकर सिंह, उनके पुत्र व भतीजा भी शामिल था। परिजनों ने भी किसी तरह के विवाद से इन्कार किया है।

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