कर्ज और सुखा बना किसान का काल
सूखे और आकाल की मार झेल रहे बुंदेलखंड के बांदा जिले में किसानों की आत्महत्या का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा. सूखे और कर्ज के बोझ तले फिर एक युवा किसान ने फांसी लगाकर जान दे दी. मला बांदा के चिल्ला थाना क्षेत्र के बंबिया गांव का है जहां रविवार को 30 वर्षीय किसान आशाराम का शव उसके घर की अटारी से लटकता मिला. परिजनों ने इसकी सूचना पुलिस को दी. पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को कब्ज़े में लेकर पोस्टमार्टम कराया. मृतक के पास सिर्फ 4 बीघा ज़मीन है जिसमे इस साल भी एक दाना अनाज नहीं हुआ।
परिजनों ने बताया कि खेती सूखे के चलते हो नहीं पायी और खेती के लिए बैंक से लिया क़र्ज़ भी बढ़ रहा था साथ ही बहन की शादी के लिए भी साहूकारों से क़र्ज़ लिया था, जिससे मृतक बेहद परेशान रहता था. मृतक के पिता का कहना है कि कल शनिवार शाम को खेत से लौटकर उसने खाना भी नहीं खाया और सुबह उसने फांसी लगा ली. इस सम्बन्ध में जिलाधिकारी का कहना है कि मामले की जांच कराई जा रही है और जो भी मदद होगी कराई जायेगी