ये है यूपी का हाल बिना पंखे और बिजली के पढ़ने को मजबूर नौनिहाल।

बुलंदशहर में आठ सौ से ज्यादा ऐसे सरकारी प्राइमरी स्कूल है जिनमें पिछले एक दशक से बिजली-पंखे का इंतजाम नही है. जब पारा 44 से पार हो गया तो शिक्षा विभाग को इन स्कूलों की याद आयी है. इन स्कूलों में पंखे और बिजली कनेक्शन के लिए अब बीएसएस साहब ने शासन से बजट मांगा है.

बुलंदशहर सिटी की पुलिस लाइन के सरकारी प्राइमरी स्कूल में पंखा, फिटिंग और बिजली कनेक्शन बीते सात सालों से सफेद हाथी बनकर खड़े है. इस स्कूल की हैड मास्टर श्रीमती यास्मीन बानो बताती हैं कि 2011 में यूपी की मुख्यमंत्री मायावती के आने की खलबली के बाद स्कूल के स्टाफ ने अपनी जेब से खर्चा करके कुर्सी बचाने के लिए बिजली फिटिंग और पंखा लगवाया था. मायावती के खौफ से डरे बिजली अफसर स्कूल में खंभा लगाकर अवैध कनेक्शन भी कर गये. लेकिन खौफ खत्म होने के बाद कुछ दिन पंखा चला और फिर हमेशा के लिए बंद हो गया. अब स्कूल के बच्चे और सारे शिक्षक गर्मी में ही शिक्षण कार्य करते हैं.
सिविल लाइंस प्राइमरी पाठशाला-एक के छात्र रिंकू बताते है कि स्कूल में इमारत के नाम पर केवल एक कमरा है और उसमें 40 बच्चों के बैठने के बाद गर्मी से बुरा हाल होता है. मास्टरजी से कहते है कि पंखा लगवा दो, लेकिन वह भी क्या करे. स्कूल में बिजली ही नही है.
हाथ से पंखा झेलकर स्कूल में बच्चों को पढ़ा रही इसी स्कूल की हैड मास्टर नुसरत फातिमा बताती है कि देहात में बिजली कनेक्शनों के लिए सरकार ने पैसा दिया, लेकिन शहरी इलाकों के स्कूलों के लिए कभी सोचा भी नही गया. किसी भी स्कूल में बिजली का कनेक्शन तो दूर, पंखा लगाने या फिटिंग के बारे में भी नही सोचा गया. हर साल तपती गर्मी में बच्चों को पढ़ाना पढ़ता है और बच्चे ऐसे माहौल में बेहाल हो जाते है.
बुलंदशहर बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों की हालत घोटालों और शिक्षा विभाग के अफसरों की लापरवाही से बेहाल है. जिले में करीब 2475 प्राइमरी और उच्च प्राथमिक स्कूल है. हाल ही में हुए पंचायत चुनावों में करीब-करीब सभी स्कूलों को मतदान केन्द्र बनाया गया था.
इन केन्द्रो पर बिद्युतीकरण और पंखा लगाये जाने का प्रावधान था. इस काम के लिए लाखों रूपये का बजट भी आया. लेकिन सारा कार्यक्रम कागजों पर ही सिमटकर रह गया. विद्युतीकरण के नाम पर विभाग को मिले पैसा का क्या हुआ कोई नही जानता.
जिले में अभी भी 800 से ज्यादा ऐसे स्कूल मौजूद है जिनमें बिजली कनेक्शन नही है. बिजली नही है तो पंखा नही है और जब पंखा नही है तो स्कूल के बच्चे 44 डिग्री पारे में कैसे पढ़ रहे हैं आप अंदाजा लगा सकते है. सैकड़ों करोड़ रूपये बेसिक शिक्षा पर फूँकने वाली सरकार के अधिकारी जब स्कूलों में बच्चों के बैठने का इंतजाम ठीक से नही कर पाते तो उनको पंखा झलते मास्टरजी भला कितनी देर पढ़ा सकते हैं.
बेसिक शिक्षा अधिकारी वेदराम बताते है कि जितना बजट मौजूद था उससे विद्युतीकरण के लिए स्कूलों को जारी कर दिया गया है. लेकिन अभी करीब 800 स्कूल ऐसे है जिनके विद्युतीकरण बजट के लिए सरकार को प्रस्ताव भेज दिया गया है. यह पूछे जाने पर कि अप्रैल के अंत में भेजे गये प्रस्ताव का बजट कब तक आयेगा. बीएसए साहब ने बस इतना कहा कि अधिकारी अपना काम कर रहे है.
व्यवस्था का माल खाकर हाथ झाड़कर खड़े हो जाना शिक्षा विभाग के अधिकारियों की आदतों में शुमार हो चुका है. मई में केवल 20 दिन स्कूल खुलने है. सरकार से बजट मांगा गया है. यह बजट कब आयेगा और कहां खपेगा ये तो शिक्षा विभाग के अफसरों के अलावा राम ही जानते है, लेकिन चिलचिलाती गर्मी से इन नौनिहालों को कैसे निजात दिलाई जाये..ये आज का सवाल है जो इन अफसरों के सामने मुंह उठाये खड़ा है

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