तीन मौतों के बाद कुम्भकर्णीय नींद से जागा मथुरा का प्रशासन।
मथुरा। रवि पाल। काँशीराम कॉलोनी में गुरूवार को हुये दिल दहला देने वाले घटनाक्रम के बाद मानो प्रशासन ‘कुुम्भकर्णी नींद’ से जाग गया, और काँशीराम कॉलोनी में व्याप्त सभी समस्याओं को दूर करने का बीड़ा उठा लिया है। पिछले पाँच वर्षों से प्रशासन को अपनी समस्याओं से अवगत कराते-कराते हार मान चुके कॉलोनी वासियों को आज अचानक प्रशासन की यह कार्यवाही देखकर बड़ा आश्चर्य हो रहा है। लोगों का कहना है कि क्या अपनी जान गँवाने के बाद ही पानी, बिजली, सफाई, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी मूलभूत समस्याओं से हमें मुक्ति मिल पायेगी। जी-ते-जी तो प्रशासन से हमारी समस्याओं का निस्तारण हो नहीं पाता है, लेकिन मौत के तांडव के बाद प्रशासनिक अमला हमारे घावों पर सफाई, पानी, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि रूपी मरहम लगाते हुए श्रद्धांजलि देता है, और तीन-चार दिन की खानापूर्ति के बाद फिर हमें मरने के लिये छोड दिया जाता है। आखिर ऐसी जनहानि वाली घटनाओं के बाद ही प्रशासन क्यों जागता है? पहले हमारी समस्याएँ क्यों किसी को नजर नही आती हैं।
तीन मौतों के बाद चेता प्रशासन, की जा रही कड़ी कार्यवाही–
कल हुई घटना के बाद प्रशासन हरकत में आ गया है। कल से ही यहाँ प्रशासनिक अधिकारियोँ का जमावाड़ा लगा हुआ है। जिलाधिकारी के आदेश पर स्वास्थ्य विभाग की चार टीमें यहाँ डेरा डाले कल से ही पड़ी हुयी हैं। व घर-घर जाकर प्रत्येक जन का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। इसी क्रम में जिलाधिकारी ने यहाँ बनी पानी की टंकी को सील करा दिया है। व नगरपालिका तथा अन्य समाज सेवी संस्थाओं के टैंकरो द्वारा पानी वितरीत किया जा रहा है। कई सालों से बन्द पड़ी नालियों को साफ कराया जा रहा है। वर्तमान में पानी की सप्लाई की पाइपलाइन नालियों में होकर आ रही है, जो अब काफी गल चुकी है। जिससे नाली का गन्दा पानी भी पीने के पानी की पाइपलाइन में मिल जाता है। इस कारण भी पानी दूषित हो रहा है। इसलिए पानी की सप्लाई की पूरी पाइपलाइन को भी बदलवाया जा रहा है। गंदे पानी के निकास के लिये नाला खुदाई के आदेश दे दिए गये हैं। नाले द्वारा गंदे पानी के निकास के लिए या तो काँशीराम कॉलोनी के सामने खाली पड़ी डायट की जमीन में सीवेज-ट्रीटमेंट प्लांट बनवाया जायेगा। या फिर इसे गाँव बाद लिए जा रहे चक रोड़ से जोड़ दिया जायेगा। बिजली के तारों की मरम्मत व कॉलोनी की सभी स्ट्रीट लाइट भी बदलवाई जा रही हैं। जिलाधिकारी राजेश कुमार ने बताया की अपर जिलाधिकारी वित्त को मामले की मजिस्ट्रेट जाँच सौंपी गयी गयी है। अक्षय-पात्र द्वारा वितरित किये गये विषाक्त दूध व कॉलोनी के पानी के सैंपल जाँच को भेजे गये हैं। परिणाम आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पायेगी।
रिफाइनरी ने पीड़ितों को दिया महत्वपूर्ण योगदान-
रिफाइनरी के प्रशासनिक अधिकारी राजेश शर्मा ने बताया की स्वर्ण जयंजी अस्पताल में कल 74 मरीजों व आज 34 मरीजों का इलाज किया गया। जिसमें 42 मरीजों को स्वास्थ्य में लाभ होने के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है। सभी मरीजों के इलाज का खर्च मथुरा रिफाइनरी द्वारा वहन किया जा रहा है।