मथुरा: बृजधाम पहुँचा दिव्यांग माँ को तुला में रख कलयुग का श्रवण कुमार
रवि पाल
मथुरा। धन्य है, वह जननी माता जिसने इस कलयुग में भी ऐसे श्रवणकुमार को जन्म दिया। जिसने अपने माँ-बाप की इच्छा और सेवा को ही अपना जीवन समर्पित कर उनकी सेवा में जुट कर अपना सर्वस्व न्यौछावर कर अपने जीवन को धन्य मान रहा है।
मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर के कल्यानपुर तहसील के गाँव रूद्रपुर एक होनहार अपनी दिव्यांग माँ को भगवान कृष्ण की नगरी के वृन्दावन धाम में राजाधिराज ठा० बाँकेेबिहारी के दर्शन को करीब चैदह सौ किलोमीटर की पैदल यात्रा अपनी माँ को तुला में बिठा कर बृजधाम की यात्रा को निकला है।
कैलाश गिरि महाराज के रूप में यही वह श्रृवण कुमार है, जो की अपने किशोर अवस्था में संन्यास का दामन थाम कर जीवन व्यतीत कर रहा था। फिर अपने गुरू स्वामी बेलगिरि निश्चलचंद महाराज से प्रेरणा मिली की मानव जीवन में माता-पिता की आज्ञा व सेवा से बढ कर और कोई सेवा नही है। इसी प्रेरणा के पश्चात् अपने पिता की मृत्यु के बाद माँ की इच्छा बृज धाम के दर्शन करने की हुई। माँ की इच्छा को अदभुत तरीके से व एक मिसाल बनकर पूर्ण करने का जुनून मन में बना लिया। अपनी 35 वर्ष की अवस्था में तुला में अपनी माँ को ससम्मानित तरीके से बिठा कर निकल पडा बृजधाम यात्रा पर। रास्ते में अपनी दिव्यांग माँ को अपने हाथों से प्रतिदिन की नित्य क्रिया व भोजन कराता है। प्रतिदिन तुला को अपने कंघे पर रख तीन से चार किलोमीटर चलता है। लम्बे कारवाँ को तय कर यह श्रवणकुमार देर शाम 12 वर्ष की लम्बी यात्रा के बाद अब बृज की दहलीज पर प्रवेश कर गया है। जगह-जगह उसके इस सेवा भावी कार्य को लोगों ने सलाम कर सराहा है। इस सम्बन्ध में श्रवणकुमार ने आज की युवा पीढ़ी को एक संदेश देने काम किया है। और आवाहन किया है कि माँ-बाप के चरणों मे व उनकी सेवा में ही स्वर्ग है। उनके आशीर्वाद से ही मानव जीवन धन्य है। माँ को लम्बी यात्रा पूर्ण कर शीघ्र ही बृज के राजा ठा० बाँकेबिहारी, गिर्राज महाराज व राधारानी के धाम बरसाना के भी दर्शन करा कर अपनी यात्रा को सम्पन्न करेगा।