बलिया-कप्तान साहेब आपकी पुलिस को खुली चुनौती देकर कैसे निकल गई जीवित व्यक्ति की शव यात्रा।

बलिया। राहुल सिंह। राजस्व निरीक्षक चंद्रदेव राम ने एक सत्तारूढ़ दल के कद्दावर नेता के खिलाफ रिपोर्ट क्या लगाई अचानक उसने जैसे अपने सर बवाल ही मोल लिया हो। जिसको देखो किसी न किसी बहाने से तुला बैठा है कि मौका अच्छा है, अब नौकरी ही खा जाओ राजस्व निरीक्षक की। कानून का क्या ? कानून की किसको परवाह है। इनके लिये जैसे नियम तो तोड़ने के लिए जैसे बने हुवे है। अपनी इस रपट को पूरा करने के पहले अपने पाठको को नियम बताते चले। आईपीसी और देश का संविधान इस बात को इंगित करता है कि किसी जीवित व्यक्ति के विरुद्ध विरोध प्रदर्शन के तौर पर उसका पुतला फुकना, अथवा उसकी शव यात्रा निकालना अथवा उसके पुतले का अंतिम संस्कार करना या कोई भी क्रिया ऐसी जो जीवन के बाद की जाती है करना  कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है। इस सम्बन्ध में आईपीसी की धाराओ में मुकदमा पंजीकृत होता है।
पाठको को याद दिलाते चले की विगत वर्ष इलाहाबाद न्यायालय परिसर में आत्मरक्षार्थ एक दरोगा ने एक अधिवक्ता को गोली मार दी थी। जिसका मुकदमा सम्मानित न्यायालय में विचाराधीन है। इस प्रकरण के बाद आईपीएस अमिताभ ठाकुर आरोपी दरोगा के परिवार से मिलने उसके आवास गए थे तथा परिवार को अपने एक दिन का वेतन देने की बात कही थी। उनके इस कार्य का लखनऊ के अधिवक्ताओ ने विरोध किया था और कुछ अधिवक्ताओ ने आईपीएस अमिताभ ठाकुर का पुतला दहन किया था एक सांकेतिक शव यात्रा निकाल कर। इस विरोध प्रदर्शन में चिन्हित अधिवक्ताओ पर लखनऊ में अपराध पंजीकृत हुवा था और उस पर विवेचना जारी है। 
अब अपने पाठको को मुख्य मुद्दे पर ले चलते है। मुद्दा कुछ इस प्रकार है कि क्षेत्र के एक समाजसेवक (?) विनोद यादव ने आरोप लगाया कि तहसील परिसर में सरकारी काम प्राइवेट लोगो से करवाये जाते है। वरिष्ठता का क्रम देखते हुवे उप जिलाधिकारी बेल्थरा रोड ने इसकी जांच राजस्व निरीक्षक चंद्रदेव राम को सौपी। चंद्रदेव राम की और उनकी इस सम्बन्ध में रिपोर्ट को माने तो उनकी जांच में यह आरोप निराधार साबित हुवा और उन्होंने रिपोर्ट लगा दी। सूत्रो और तहसील परिसर में व्याप्त चर्चाओ को अगर आधार माना जाय तो यह रिपोर्ट विनोद यादव को पसंद न आई क्योकि उनके मन माफिक यह रिपोर्ट नहीं थी। तो बस शुरू हो गया विरोध प्रदर्शन।


क्या हुवा आज

आज प्रसार संस्था ने राजस्व निरिक्षक चंद्रदेव राम की शव यात्रा निकाल कर विरोध किया। शव यात्रा पूर्व पूर्वांचल सिनेमा हाल के पास से होते हुए रेलवे स्टेशन,चौधरी चरण सिंह तिराहा होते हुए तहसील का परिक्रमा करते हुए तहसील के मुख्य द्वार पर चिता बनाकर जलाया। इस सन्दर्भ में  संस्था और एस0डी0एम0 बेल्थरा रोड के बीच ज्ञापन सौंपते समय कुछ बातो को लेकर हल्कि झड़प भी हुई। झड़प के बिच संस्था ने एस0डी0एम्0 से पुनः आगामी मंगलवार को धरना प्रदर्शन करने को कहा और ये भी कहा की जब तक हमारी मांगे पूरी न हुई तब तक धरना प्रदर्शन युहीं चलता रहेगा। मांग भी क्या साहेब मांग है राजस्व निरीक्षक चंद्रदेव राम को निलंबित करो।

कुछ सवाल अब पुलिस हेतु

साहेब अब कलमकार हु तो सवाल तो बनता है साहेब। सवाल भी हल्का फुल्का नहीं गंभीर मुद्दे पर है। 
★ जब सांकेतिक शव यात्रा पुरे बेल्थरा रोड घुमी तो कैसे मान लिया जाय कि पुलिस प्रशासन को इसकी खबर नहीं लगी।
★ विनोद यादव ने बाकायदा एक प्रेस कांफ्रेंस करके यह बात दावे के साथ कही थी जो विभिन्न अख़बार में समाचार के तौर पर प्रकाशित भी हुई थी कि आज वह राजस्व निरीक्षक चंद्रदेव राम की शव यात्रा निकाल कर चिता पर उसका दहन करेगे। तो फिर यह समाचार कैसे नहीं सम्बंधित थाने को पंहुचा और सम्बंधित थाने ने क्यों नहीं इस अपराध को कारित होने से रोका।
★ क्या इस शव यात्रा को स्थानीय थाना और प्रशासन की मौन स्वीकृति मिली थी? क्योकि पुर्व सुचना के आधार पर सम्बंधित थाना इस प्रकरण में हस्तक्षेप कर सकता था।
★साहेब प्रसार संस्था एक स्वयं सेवी संस्था है, जिसके बाइलॉज के अध्यन से यह स्पष्ट होता है कि संस्था को यदि विरोध दर्ज करवाना हुवा तो वह शांति पुर्वक और नियमो के अधीन विरोध दर्ज करवाएगी, तो फिर सम्बंधित थाने ने इस नियमो के विपरीत कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को कैसे होने दिया
★किसी सत्तारूढ़ दल के नेता का यदि आम जनता या कोई राजनैतिक दल पुतला दहन करना चाहती है तो सर्वप्रथम पुलिस शांतिपूर्वक इसको रोकती है, न मानने पर बल पूर्वक पुतला छीन लेती है।फिर भी न माने तो उनका कम से कम 151 में चालान काट देती है। मगर साहेब सम्बंधित थाने  ने ऐसा कुछ भी न किया। सूत्रो की माने तो एक तरह से मौन समर्थन पुलिस का इस प्रकरण में था। 
★ साहेब राजस्व निरीक्षक चंद्रदेव राम एक दलित है क्या यह दलित उत्पीडन में नहीं आएगा।
★ साहेब इस प्रकरण में दूसरा पक्ष तहसील कर्मियो का शांत था और उसने कोई इनका विरोध नहीं किया, अब सवाल ये उठता है कि यदि तहसील कर्मी इसका विरोध तहसील परिसर में कर गए होते तो स्थिति अराजक हो सकती थी, साहेब ऐसे परिस्थिती में इसका उत्तरदायित्व किसका होता। संज्ञान रहे कि इसके पुर्व में भी अधिवक्ताओ और तहसील कर्मियो के बीच हिंसक झड़प हो चुकी है।


अब एक यक्ष प्रश्न

एक यक्ष प्रश्न ही इसको कहूँगा कि आखिर विनोद यादव स्वयं क्या है? सूत्रो से प्राप्त सूचनाओ को आधार माना जाय तो विनोद यादव का इसके पुर्व अधिकतर समय तहसील परिसर में ही गुज़रता था। विनोद यादव स्वयं को समाजसेवक कहते है। प्रश्न यहाँ भी उठता है कि यदि विनोद यादव एक समाजसेवक है और उन्होंने किसी प्रकरण में कोई शिकायती प्रार्थना पत्र दिया जिसकी जांच से वह संतुष्ट नहीं है तो बंधू न्यायालय की शरण ले न। न्यायालय है, उच्चाधिकारी है। वहा से उच्च स्तरीय जांच का आदेश करवा ले न साहेब। या फिर स्वयं ही न्याय करेगे। वर्त्तमान में तो उनका विरोध कुछ ऐसा ही ज़ाहिर कर रहा है कि ” हम न मानेगे, अब हमने शिकायत की, जाँच अधिकारी ने मेरे शिकायत के विपरीत रिपोर्ट लगा दी, अब जाँच अधिकारी को ही निलंबित करो तब हम मानेगे”।
साहेब ऐसा तो कही नहीं होता है। यदि आप असंतुष्ट है तो एक जनहित याचिका दायर कर दीजिये न साहेब आपके दावों के अनुसार आपके पास पुख्ता साक्ष्य भी है, और आपकी संस्था के बाइलॉज में भी आपने कहा है कि ” हम समाज सेवा हेतु आवश्यकता पड़ने पर जनहित याचिकाये भी दाखिल करेगे।”


क्या है चंद्रदेव राम का आखिर अपराध-

हमारी भी जांच टीम ने इसका अपना खाका तैयार किया और हमने भी सूत्रो से सूचनाये इकट्ठा की। चंद्रदेव राम पहली बार चर्चा में तब आये जब उन्होंने तहसील स्थानांतरण के सम्बन्ध में रिपोर्ट लगाई। यह विवाद इतना बढ़ा कि चंद्रदेव राम को उच्च न्यायालय की भी शरण लेनी पड़ी। अभी यह मुद्दा ठंडा भी नहीं हुवा था कि सत्तारूढ़ दल के एक कद्दावर नेता के विरुद्ध जांच मिल गई चंद्र देव राम को। अब राजस्व निरीक्षक चंद्रदेव राम दुबारा चर्चा में आ गए क्योकि उन्होंने नेता जी के खिलाफ रिपोर्ट लगा दी। यह बात नेता जी को बुरी लग गई। नेता जी ने इसको अपनी प्रतिष्ठा का विषय बना लिया। इसी बीच बेल्थरा रोड के बथुवा ग्राम में कुछ दबंग तालाब पर अवैध कब्ज़ा कर रहे थे, धनबल के प्रयोग से बाहुबल प्राप्त इन दबंगो की क्रिया कलाप PNN24 न्यूज़ ने जब समाचार के तौर पर खोल दी तब इसका संज्ञान लेकर तत्कालीन उपजिलाधिकारी बेल्थरा प्रवंनशील बरनवाल ने स्वयं मौके पर पहुच कर अवैध कब्ज़े को रुकवा दिया था और इसकी जाँच तथा आगे की कार्यवाही हेतु राजस्व निरीक्षक चंद्रदेव राम को आदेशित किया था। राजस्व निरीक्षक ने पुरे पोखरे की सरकारी नक़्शे और दस्तावेज़ के  अनुसार पैमाइश करवा कर अवैध कब्ज़ा धारको को नोटिस थमा दी। अब धनबली को यह बात इस कारण हज़म नहीं हुई क्योकि वह धनबल से सबको खरीदने का सपना सजाये बैठा था। बस फिर क्या इस तरह वह भी राजस्व निरीक्षक से खुन्नस खा बैठा।
अब जब ज़मीन राजस्व निरीक्षक के खिलाफ तैयार करने की बात आई तो सूत्रो की माने तो सभी “दुश्मन का दुश्मन अपना दोस्त” के मुद्दे पर भी इकठ्ठा हो गए। कन्धा कोई और निशाना अपना भी होने की संभावना बलशाली हो रही है इस प्रकरण में।

जो भी हो मगर पुलिस प्रशासन को कानून व्यवस्था सुदृण रखने में कोई कोर कसर नहीं छोड़नी चाहिए। मसला राजस्व का है उसमे कानून के साथ किसी को खिलवाड़ नहीं करने देना चाहिए। वैसे कप्तान साहेब आज एक व्यक्ति विशेष की शव यात्रा पुर्व घोषित कार्यक्रम पर निकाल दिया गया और इसको कारित करने वाला सीना चौड़ा करके कहता है कि अगले मंगलवार फिर करूँगा। साहेब हिम्मत की बात कहेगे इसको और क्या?

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