फ़िल्म उड़ता पंजाब और ड्रग्स में डूबा समाज

लेखक(सत्यम सिंह बघेल )-शाहिद कपूर और आलिया भट्ट अभिनीत अपकमिंग फिल्म “उड़ता पंजाब” विवादों के घेरे में है । फिल्म को लेकर सेंसरबोर्ड और फिल्म निर्माता-निर्देशक के बीच जुबानी युद्ध जोरों पर है ।  कुछ दिन पहले ट्रिब्यूनल ने फिल्म को सर्टिफिकेट दिए बिना वापस रिवाइजिंग कमेटी के पास भेजा था और अब खबर है कि फिल्म से ‘पंजाब’ शब्द हटाने की सलाह निर्माताओं को दी गई है। साथ ही सेंसर बोर्ड को मूवी के डायलॉग्स पर आपत्ति है, जिसमें गालियों का इस्तेमाल किया गया है। बोर्ड को लगता है कि इस वजह से यह फिल्म युवाओं को गलत दिशा दिखाएगी।  सेंसर बोर्ड के एक अधिकारी के अनुसार ‘उड़ता पंजाब’ के 6-7 दर्जन दृश्यों या डायलॉग को लेकर रिव्यू कमेटी ने फिल्म के निर्माता को अवगत कराया है । इस फिल्म में शाहिद कपूर ड्रग एडिक्ट पॉप सिंगर बने हैं और अपने गानों में ड्रग्स के बारे में बताते हैं, कहते हैं कि सभी को ड्रग्स लेनी चाहिए। फिल्म में आलिया भट्ट भी ड्रग एडिक्ट के कैरेक्टर में हैं। दरअसल फिल्म में ड्रग्स से बर्बाद हो रहे पंजाब के बारे में दर्शाया गया है । फिल्म के क्लाइमेक्स में एक लोकल नेता चुनाव जीतने के लिए अपने मेनिफेस्टो के साथ ड्रग्स के पैकेट बांटता है। ड्रग्स को किस तरह दो-तीन प्रोडक्ट्स के साथ मिलाकर बनाते हैं और फैक्ट्री में यह कैसे बनती है, इसकी पूरी डिटेल फिल्म में है। यह भी बताया गया है कि किस तरह से फैक्ट्री ऑपरेट हो रही है।

वर्तमान समय में ड्रग्स हर तरह से पंजाब के लिए मुख्य समस्या बन चुका है । आंकड़े बताते हैं कि इस वर्ष जनवरी से अब तक 134 किलो हेरोइन पकड़ी गई। इंटरनेशनल मार्केट में इसकी कीमत एक करोड़ रुपए/किलो है। पिछले पांच साल में 8400 किलो अफीम पकड़ी गई है। कीमत 60 हजार से लेकर 1.20 लाख रुपए/किलो । 1500 किलो अफीम डोडा चूरा (पोस्त) पकड़ा गया है। अखिल भारतीय आयूर्विज्ञान संस्थान(AIIMS) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में सामने आया है कि पंजाब में हर साल 7,500 करोड़ रुपये के नशीले पदार्थों की खपत होती है, इसमें ये भी बताया गया है कि हेरोइन की हिस्सेदारी 6,500 करोड़ रुपये की है। पहले तो सुरक्षा एजेंसियां ये दावा करती रही है कि पाकिस्तान से आई हेरोइन पंजाब में इस्तेमाल नहीं होती है। बल्कि इसे पंजाब के रास्ते दिल्ली तथा अन्य बड़े शहरों एवम् महानगरों में भेजा जाता है। लेकिन ड्रग्स पंजाब के युवाओं को किस तरह नशे का आदी बना रहा है। इसे दर्शाने के लिए एम्स के नेशनल ड्रग डिपेनडेंस ट्रीटमेंट सेंटर यानी एनडीडीटीसी ने एक सर्वे किया है। सर्वे में पंजाब के 10 जिलों को शामिल किया गया है, तो चौकाने वाले नतीजे सामने आये, सर्वे में खुलासा हुआ है कि । इन जिलों में कुल जनसंख्या 2 करोड़ 77 लाख है। पंजाब में 8 लाख 60 हजार लोग अफीम के आदी हैं । पंजाब में हेरोइन का नशा करने वाले 1 लाख 23 हज़ार लोग हैं। रिपोर्ट में ड्रग्स के इंजेक्शन लेने वालों की संख्या करीब 75 हज़ार बताई गई है। 18 से 35 वर्ष की उम्र के हर 100 में से 15 लोग नशे के आदी हैं। ड्रग्स खरीदने के लिए पूरे पंजाब में रोज़ाना 20 करोड़ रुपये खर्च किये जाते हैं। हेरोइन लेने वाला हर व्यक्ति नशे पर रोज़ाना औसतन 1400 रुपये खर्च करता है। 
पंजाब में महिलाओं और बच्चो के लिए सामाजिक सुरक्षा विभाग के पिछले साल के अंत में जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार पंजाब के गांवों में करीब 67 फीसदी घर ऐसे हैं जहां कम से कम एक व्यक्ति को नशे की लत है । इसके अलावा हर हफ्ते कम से कम एक व्यक्ति की ड्रग ओवरडोज के कारण मौत भी होती है ।  इस से साफ पता चलता है कि पंजाब में युवाओं में नशे का जहर किस हद तक फैला हुआ है । पंजाब के स्कूल और कॉलेज के बच्चों में ड्रग्स और शराब आम बात हो गयी है। अफीम, चरस, हेरोइन और बार्बिचुरेट, पंजाब के युवा को इन नशीले पदार्थों की लत लगती जा रही है । जिनके पास इन्हें खरीदने का रास्ता नहीं है वे शराब के नशे में डूबे हैं । लत का आलम यह है कि कई युवा तो खांसी के सिरप को भी नशे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं क्योंकि उनमें भी कुछ मात्रा में अल्कोहल होता है और बाजार में इन्हें खरीदने में कोई मुश्किल भी नहीं आती । पंजाब में नशे की लत ने न सिर्फ युवाओं को बल्कि बड़ी तादाद में पुलिसवालों को भी अपनी चपेट में ले लिया है। सर्वे में साफ हुआ कि बड़ी तादाद में पुलिसकर्मी नशा करते हैं । नशा करने वालों में सिपाही से लेकर एसएसपी और आईजी स्तर के अफसर शामिल हैं। ज्यादातर पुलिसवाले थाने में जमा अफीम और पोस्त का नशा करते हैं क्योंकि ये उन्हें आसानी से और मुफ्त में मिल जाती है। जानकारों का कहना है कि नशे की लत के चलते ही पंजाब पुलिस के जवानों में आपराधिक प्रवृत्तियां बढ़ रही हैं।

एक ऐसा प्रदेश जो नानक की वाणी और सूफी संतों की भक्ति के लिये जाना जाता हो और जहां धार्मिक पंथ का अनुसरण करने वाली पार्टी राज करती हो आज ऐसी भयानक नशाखोरी की चपेट में है जिससे उबरना असंभव सा प्रतीत होता है । पंजाब में युवाओं में फैलती नशे की लत एक राष्ट्रीय समस्या बनती जा रही है और अगर सरकार ने इसे वक्त रहते नहीं सुलझाया तो शायद यह बेकाबू हो जाए । कभी देश भर में खुशहाली का प्रतीक माने गए पंजाब की युवा पीढ़ी का एक बड़ा हिस्सा आज तबाह हो रहा है । यहां के अस्सी फीसदी से अधिक युवा अफीम, चरस और शराब के लती हो चुके हैं जिससे परिवारों की सुख-शांति भंग हो चुकी है, समाज जर्जर और अर्थव्यवस्था डांवाडोल है । भारत के सबसे धनी राज्यों में शामिल पंजाब का ये वो डरावना सच है जिसने आज इस राज्य को खोखला कर दिया है और इसमें पाकिस्तान का बहुत बड़ा हाथ है। पंजाब में जहर का ये कारोबार भारत-पाकिस्तानी बॉर्डर के माध्यम से होता है। इतना ही नहीं पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ की सहायता से ये तस्कर आसानी से बॉर्डर के उस पार से अपने काम को अंजाम दे रहे हैं। आंकड़े तो केवल उन्हीं चीजों के मौजूद हैं जो पकड़े गए, जो पकड़े नहीं गए, उनकी बात तो यहां है ही नहीं ।
नशाखोरी की ये समस्या सिर्फ पंजाब तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसी विकराल रूप कई दूसरे राज्यों में भी फैल रही है । पड़ोसी राज्य हरियाणा भी इस संक्रमण की गिरफ्त में आ चुका है, दिल्ली के स्कूलों और कॉलेज से भी ऐसी खबरें मिलती रहती हैं । केरल में भी पंजाब की तर्ज पर शराबखोरी युवाओं को तबाह कर रही है, राजस्थान में कोटा, ड्रग्स का गढ़ माना जाने लगा है और उत्तराखंड की राजधानी देहरादून समेत कई इलाकों में निजी और सरकारी स्कूलों और कॉलेजों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों के इर्दगिर्द नशे का एक दमघोंटू कुहासा फैलता जा रहा है । मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल हो या फिर उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ, इन शहरों के पार्कों में सड़कों में या किसी अन्य एकांत जगह में ड्रग्स लेते युवाओं को देखा जा सकता है । कुछ दिन पहले ही मुम्बई की रहने वाली मेरी एक महिला मित्र जो कि उम्र में मुझसे बहुत बड़ी हैं, ने बताया कि उनके दो बेटे हैं एक 27 वर्ष का और दूसरा 23 वर्ष का दोनो ही ड्रग्स के बहुत ज्यादा आदि हैं और पूरे वक्त वो नशे में डूबें रहते हैं । इस कारण अब वे दोनो बीमार बीमार भी रहने लगे हैं, उन्होंने बताया कि सिर्फ वे दोनो ही नही बल्कि उनके साथ में रहने वाले उनके हमउम्र सभी युवा साथी भी ड्रग्स के आदि हैं और इस कारण सभी भी बीमार रहने लगें हैं । वे इस बात से हर पल बेहद चिंतित रहती हैं कि किस कदर यह नशा का जहर (आतंकवाद) हमारे समाज को, भावी युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रहा है । उनका चिंता करना जायज भी है । सरकारें और पुलिस प्रशासन भले ही ऑन रिकॉर्ड न मानें लेकिन अंदरखाने इस समस्या ने सबको हैरत और चिंता मे डाल दिया है कि आखिर युवाओं को नशे के चंगुल में जाने से कैसे बचाएं । कानून कई हैं लेकिन बात वही ढाक के तीन पात वाली है । अमल होता है लेकिन सुस्ती रहती है, सजाएं सख्त नहीं हैं, कार्रवाई का स्तर कमजोर और रफ्तार धीमी है । समाज में मोटीवेशन की प्रक्रियाएं अब एक मजाक बन कर रह गई हैं । ऐसा लगता है मानो पतन ही इस दौर का हासिल है । पारिवारिक ढांचे के बिखराव, स्वच्छंद जीवनशैली, सामाजिक अलगाव, हिंसा भरे माहौल, शिक्षा प्रणाली की जर्जरता, प्रेम और सौहार्द जैसे नैतिक मानवीय मूल्यों के ह्रास ने एक ऐसा समाज तैयार कर दिया है जो आधुनिकता की आड़ में चमकता भले ही हो लेकिन अंदर से वो काला और खोखला हो रहा है । ये एक भीषण आपदा है, लेकिन जब तक समझें, तब तक कहीं बहुत देर न हो जाए । क्योंकि इसके कारण पूरा समाज व परिवार बर्बाद हो रहे हैं । ऐसा लग रहा है जैसे पूरा देश ही ड्रग्स नाम के किसी बड़े से ऑक्टोपस की चपेट में आ गया है । यदि इस मामले में सख्ती नहीं बरती गयी तो ड्रग्स लेने के लिए इंजेक्शन के इस्तेमाल से एड्स के मामले बढ़ने का भी खतरा भी हो सकता है । जिन युवाओं से देश की तरक्की मे योगदा देने, स्वच्छ समाज के निर्माण करने तथा खेती-बाड़ी के पारिवारिक बिजनेस को आगे ले जाने की उम्मीद की जा रही थी, वह इस जाल में फंसे हुए हैं । अगर हमने इस समस्या के बारे में कुछ नहीं किया तो युवाओं की एक पूरी पीढ़ी गायब हो जाएगी । नेताओं की इसमें कोई रूचि नहीं है । लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए हमे ही नए कदम उठाने होंगे ।

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