बेरहम पुलिस वाला।

कानपुर। इब्ने हसन ज़ैदी। उत्तर प्रदेश की सरकार भले ही पुलिस प्रशासन को सुधारने के कई प्रयास करती हो लेकिन तब भी वह सही तरीके से बाज नही आती यहॉ तक की प्रदेश सरकार ने महिलाओ की सुबिधा के लिए कई सुबिधाओ को भी लागू किया लेकिन यह सब सुबिधाए धरी की धरी रह जाती है जब कोई लडकी या महिला के साथ कोई घटना होती है ऐसा ही नजारा कानपुर के थाना काकादेव की पुलिस द्वारा  देखने को मिला जहॉ एक लडकी लहू लोहान होकर चौकी पहुची तो चौकी इंचार्ज ने लडकी की बात  भी नही सुनी न लहू लोहान हुई लडकी को अस्पताल भेजना उचित समझा बल्कि उन्हे वहॉ से  भगा कर कहॉ की इलाज कराओ जा कर पहले
महिलाओ की सुबिधा के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने एक नंबर दिया 1090 लेकिन इस नंबर पर कॉल करो तो कॉल तो उठती है पर उस पर कोई सुनबाई नही होती है जी हॉ यह हम नही बल्कि चार घंटो से हैलट अस्पताल के बहार बैठी लहुलोहान होकर लडकी के घर वाले कह रहे है उसकी आखो से निकलते आसू उसके दर्द वाया कर रहे है की उत्तर प्रदेश की पुलिस कितनी बेरहम हो गई है

चार घंटे  पहले से हैलट अस्पताल के बहार अपने घर वालो के साथ बैठी  लहूलोहान महिला दर्द से तडप रही है न कोई पुलिस वाला आया न ही किसी डाक्टर ने उस की तरफ देखा लेकिन वही जब डाक्टर के पास इलाज के लिए  पहुची महिला तो डाक्टरो ने इलाज करने से ही मना कर दिया और कहा की थाने से कोई पर्चा लेकर आओ तभी इसका इलाज करेगे 

क्या है पूरा मामला—–  
दरसल पीडित शालू का विवाद शालू के चाचा से  घर की जमीन को लेकर  चल रहा था जिस कारण पहले भी झगडा हो चुका था लेकिन शालू के घर वाले सुलानामा की बात चाचा से चला रहे थे लेकिन चाचा के लडके रोहित और राहुल ने सुलानामा करने से मना कर दिया लेकिन आज जब शालू दबा लेने जा रही थी तभी  राहुल ने शालू के भाई गोलू के सिर पर डंडा मार दिया वही जब रोहित चाकू मारने के लिए आगे आया तो शालू ने चाकू को हाथ से पकड लिया जिससे उसके हाथ से खून निकलने लगा यह देख रोहित और राहुल मौके सेभाग निकले लेकिन लहू लोहान हुई शालू  इस घटना की शिकायत शास्त्री नगर चौकी में लेकर पहुची तो चौकि इंचार्ज की बात सुन पीडित दंग रह गई वहॉ चौकी इंचार्ज नें पूरी बात तो सुनी और रिपोर्ट पढी तो चौकी इंचार्ज कहने लगे की रिपोर्ट में यह चाकू क्यो लिखा जब पीडित की बहन ने कहा की चाकू से मारा है तो चाकू ही लिखेगे तो इस पर दरोगा जी बोले की जाओ इलाज कराओ जाकर लेकिन न खुद गए और नही थाने से कोई सिपाही भेजा न कोई पर्चा दिया   बल्कि यह कह कर भगा दिया की यह तुमारा रोज का है जाओ सुबह आना अभी जा कर इलाज कराओ जा कर लेकिन जब महिला हैलट अस्पताल पहुची तो डाक्टरो ने इंसानियत तो दिखाना दूर की बात बल्कि  यह कहा की पहले थाने से पर्चा बनावा कर लाओ 

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